बिहार मे यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC): नियमन आ कार्यान्वयन
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) के अर्थ अछि - सभ नागरिक के स्वास्थ्य सेवासभ सुलभ होय, चाहे ओ गरीब होय वा धनीक, ग्रामीण होय वा शहरी। एकरा प्राप्त करबाक लेल सरकार आ समाज के संग-संग नियामकीय व्यवस्था (regulatory provisions) के सेहो मजबूत बनेबाक आवश्यकता अछि। विशेष रूप सऽ, ग्रामीण भारत, जतय स्वास्थ्य सेवा सभ लोक तक पहुंचनाई अखनों सीमित अछि। ओतय ई नियामकीय व्यवस्था आरो बेसी महत्व रखैत अछि।
भारत के संविधान मे स्वास्थ्य के मूल अधिकार के रूप में स्पष्ट रूप सऽ नहि राखल गेल अछि, मुदा अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) आ नीति निदेशक तत्व (Directive Principles) में ई बात कहलक गेल अछि जे राज्य के दायित्व अछि जे नागरिक सभ के उत्तम स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराओल जाय। स्वाइत संविधान मे स्वास्थ्य सेवा के समवर्ती सूची मे राखल गेल अछि, अर्थात एकरा पूर्ति के ज़िम्मेदारी केंद्र आ राज्य सरकार दुनु पर देल गेल अछि। यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) के पूर्ति लेल विभिन्न राज्य आ केंद्र सरकार समय समय पर नाना तरहक कानून, नीति आ नियामक निकाय बनौलक अछि आ अपना अपना हिसाब से कार्यान्वित कऽ रहल अछि।
बिहारमे यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) प्राप्त करबाक लेल केवल सरकारी वादा आ नीतिगत घोषणा पर्याप्त नहि; एकर लेल एकटा यथार्थवादी, समयबद्ध, आ जवाबदेह दृष्टिकोण आवश्यक अछि। स्वास्थ्य सेवा वितरणक क्षेत्रमे चुनौतीसभ, जेना कि बुनियादी ढांचाक कमी, स्वास्थ्य कार्यबलक अभाव, उच्च निजी खर्च, डेटा गोपनीयताक जोखिम, आ जनजागरूकताक कमी के समाधान करबाक लेल दृढ़ कार्यकारी आ राजनैतिक इच्छाशक्ति के आवश्यकता अछि। एकरा लेल आवश्यक अछि जे बिहार के जनता आ राजनैतिक पार्टी सबहक मध्य ई एकटा गंभीर राजनैतिक मुद्दा बनय।
बिहारक जनसंख्या लगभग 13 करोड़ अछि, जाहिमे लगभग 80-90% ग्रामीण क्षेत्रमे निवास करैत अछि। बिहारक स्वास्थ्य संकेतक, जेना कि शिशु मृत्यु दर (IMR: 38 प्रति 1000 जीवित जन्म) आ मातृ मृत्यु दर (MMR), राष्ट्रीय औसत सँ नीचा अछि, जे स्वास्थ्य प्रणालीक कमजोरी दर्शावैत अछि। @IndiaToday क X पोस्ट (23 जुलाई 2025) क अनुसार, बिहारमे प्रति 2,148 व्यक्ति पर केवल एकटा चिकित्सक उपलब्ध अछि, जे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) क सिफारिश (1:1000) सँ बहुत कम अछि। 1,258 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (APHC) मे सँ करीब 800 मे चिकित्सक नहि अछि, आ राज्य मे साढ़े पाँच हजार से बेसी चिकित्सकक पद रिक्त अछि। ई आँकड़ा सरकारक दावाक खोखलापन उजागर करैत अछि। वास्तव मे बुनियादी ढांचा आ मानव संसाधनक अभाव बिहार मे स्वास्थ्य सेवाक आ यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के प्राप्त करबा मे एकटा बड़का बाधा अछि।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) केँ बिहारमे स्वास्थ्य सेवाक डिजिटलीकरणक लेल एकटा क्रांतिकारी कदमक रूपमे प्रस्तुत कएल जाइत अछि। एकर तहत आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) बनायल जा रहल अछि, जे नागरिकसभ केँ एकटा डिजिटल स्वास्थ्य पहचान प्रदान करैत अछि। 2024 तक बिहारमे लाखों ABHA खाता बनायल गेल अछि, मुदा एकर प्रभावकारिता पर सवाल उठैत अछि। ग्रामीण क्षेत्रमे इंटरनेट कनेक्टिविटी आ डिजिटल साक्षरताक कमी ABDM क सफलताकेँ सीमित करैत अछि। @UdayBhanuIYC क X पोस्टमे बिहारक सरकारी अस्पतालसभक खराब स्थिति पर प्रकाश देल गेल अछि, जे डिजिटल पहलक बावजूद बुनियादी सुविधाक अभाव दर्शावैत अछि। ABDM क प्रचार सरकारी उपलब्धिक रूपमे कएल जाइत अछि, मुदा ग्रामीण रोगी केँ विशेषज्ञ चिकित्सक तक पहुँचक लेल टेलीमेडिसिन केंद्रसभक अपर्याप्त बुनियादी ढांचा एकटा बड़का बाधा अछि।
टेलीमेडिसिन बिहारमे स्वास्थ्य सेवाक पहुँचमे असमानता कम करबाक लेल एकटा महत्वपूर्ण उपकरणक रूपमे देखल जा रहल अछि। 2024 मे जारी टेलीमेडिसिन दिशानिर्देश ग्रामीण क्षेत्रमे स्वास्थ्य सेवाक वितरणक लेल कानूनी ढांचा प्रदान करैत अछि। पटना मेडिकल कॉलेज आ अस्पताल (PMCH) मे टेलीमेडिसिन केंद्र स्थापित कएल गेल अछि, मुदा एकर उपयोग अखन सीमित अछि। ग्रामीण क्षेत्रमे बिजलीक अनियमित आपूर्ति, डिजिटल साक्षारता के कमी आदि टेलीमेडिसिनक प्रभावकेँ कमजोर करैत अछि। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रसभमे उपकरण आ दवाईक कमी एकटा बड़का मुद्दा अछि, जे टेलीमेडिसिनक लाभ केँ सीमित करैत अछि। टेलीमेडिसिनक प्रचार एकटा आधुनिक समाधानक रूपमे कएल जाइत अछि, मुदा एकरा लागू करबा मे बुनियादी ढांचाक कमी एकटा गंभीर मुद्दा अछि।
बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMSICL): वादा बनाम हकीकत BMSICL स्वास्थ्य सेवाक वितरणमे दवाई, उपकरण, आ बुनियादी ढांचाक उपलब्धता सुनिश्चित करबाक दावा करैत अछि। 2024 मे दवाई आ उपकरणक आपूर्ति बढ़ाओल गेल अछि, मुदा ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रसभमे दवाईक कमी आ उपकरणक अपर्याप्त रखरखाव अखनों एकटा समस्या अछि। कै ठाम मोबाइल मेडिकल यूनिटक शुरुआतक उल्लेख सेहो भऽ रहल अछि, जे गाम तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचयबाक लक्ष्य राखैत अछि। मुदा, ई यूनिटसभक प्रभाव सीमित अछि, कियाकि प्रशिक्षित कर्मचारीक कमी आ नियमित मॉनिटरिंगक अभाव एकर प्रभावकेँ कम करैत अछि। BMSICL क प्रयास सराहनीय अछि, मुदा एकर कार्यान्वयनमे पारदर्शिता आ जवाबदेहीक कमी एकटा गंभीर मुद्दा अछि।
नियामक प्रावधान: कागजी उपलब्धि कि वास्तविक प्रभाव? : डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 (DPDP एक्ट) DPDP एक्ट स्वास्थ्य डेटाक गोपनीयता आ सुरक्षाक लेल एकटा महत्वपूर्ण कदम अछि। ई रोगी डेटाक संग्रहण, भंडारण, आ साझेदारीक लेल सहमति ढांचा प्रदान करैत अछि। मुदा, बिहारमे डिजिटल साक्षरताक कमी आ डेटा उल्लंघनक जोखिम एकर लागूकरणकेँ चुनौतीपूर्ण बनावैत अछि। ग्रामीण रोगी, जे डिजिटल स्वास्थ्य सेवासभक उपयोग करैत अछि, अक्सर अपन डेटाक गोपनीयताक विषय मे अनजान रहैत अछि। DPDP एक्टक कागजी प्रावधान मजबूत अछि, मुदा एकर जमीनी लागू करबा मे कमी एकटा बड़का सवाल उठावैत अछि।
क्लिनिकल एस्टाब्लिशमेंट एक्ट, 2010 : ई एक्ट स्वास्थ्य सुविधासभक पंजीकरण आ नियमनक लेल लागू अछि, मुदा बिहारमे एकर कार्यान्वयन कमजोर अछि। डिजिटल स्टेट रजिस्टरक निर्माणक बावजूद, बहुत रास निजी क्लिनिक आ डायग्नोस्टिक सेंटर बिना उचित पंजीकरणक संचालित होइत अछि। ई स्वास्थ्य सेवाक गुणवत्ता आ जवाबदेही पर सवाल उठावैत अछि आ अक्सर एहन सेंटर सभ द्वारा अनुचित इलाज आ अनुचित फीस वसूली कैल जाय अछि।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) : NHM बिहारमे स्वास्थ्य सेवाक सुधारक लेल एकटा प्रमुख पहल अछि, मुदा वर्तमान मे एकर प्रभाव सीमित अछि। जननी बाल सुरक्षा योजना (JBSY) क तहत संस्थागत प्रसवक दर बढ़ल अछि, मुदा ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रसभमे स्वच्छता, दवाई, आ प्रशिक्षित कर्मचारीक कमी एकर प्रभावकेँ कम करैत अछि। NHM क कोषक उपयोगमे पारदर्शिता आ जवाबदेहीक कमी एकटा गंभीर मुद्दा अछि, जे सरकारी दावासभक खोखलापन उजागर करैत अछि।
केस स्टडी 1: अनन्या कार्यक्रम: अनन्या कार्यक्रम, जे 2010 मे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन आ बिहार सरकारक सहयोग सँ शुरू भेल, मातृ आ शिशु स्वास्थ्यमे सुधार आनलक अछि। ई बिहारक आठ जिला मे लागू कएल गेल आ 10 मिलियन सँ बेसी माता आ शिशुसभ तक पहुँचल। मुदा कार्यक्रमक समाप्तिक बाद एकर दीर्घकालिक प्रभाव सीमित रहल। ग्रामीण क्षेत्रमे स्वास्थ्य कार्यकर्तासभक प्रशिक्षण आ प्रेरणा बनाय राखबमे कमी एकटा बड़का कमजोरी रहल।
केस स्टडी 2: परिवार फ्रेंडली हॉस्पिटल इनिशिएटिव SWASTH कार्यक्रमक तहत दरभंगा मेडिकल कॉलेज आ अस्पतालमे रोगी देखभालक गुणवत्ता सुधारबाक प्रयास कएल गेल, मुदा कर्मचारी कमी आ बुनियादी ढांचाक अभाव एकर प्रभावकेँ कम करैत अछि।
केस स्टडी 3: टेली-ECG पहल: 2024 मे स्टेट हेल्थ सोसाइटी, बिहार (SHSB) द्वारा शुरू टेली-ECG पहल हृदय रोगक निदानक लेल एकटा सकारात्मक कदम अछि। मुदा, ग्रामीण क्षेत्रमे उपकरणक रखरखाव आ प्रशिक्षित कर्मचारीक कमी एकर प्रभावकेँ सीमित करैत अछि। ई-टेंडर प्रक्रिया (NIT: 22/SHSB/Tele-ECG/2024-25) मे पारदर्शिता आ समयबद्ध रुपे लागू करय के अभाव सेहो एकटा चिंता अछि।
बिहारमे ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रसभमे बुनियादी सुविधा जेना कि बेड, स्वच्छ प्रसव कक्ष, पेयजल, आ नियमित बिजलीक कमी एकटा गंभीर समस्या अछि। @UdayBhanuIYC क X पोस्ट (2025) मे उल्लेख कएल गेल अछि जे सरकारी अस्पतालसभमे लापरवाही आ सुविधाक कमी रोगी देखभालक गुणवत्ताकेँ प्रभावित करैत अछि। ई कमी केँ दूर करबाक लेल सरकारकेँ निम्नलिखित कदम उठायबाक चाही:
- समयबद्ध योजनाक निर्माण: ग्रामीण क्षेत्रमे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) आ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) क उन्नयनक लेल एकटा पंचवर्षीय रोडमैप बनायल जाय, जाहिमे प्रत्येक जिला मे कम सँ कम 50% PHC केँ 2027 तक पूर्ण सुसज्जित आ कार्यरत बनेबाक लक्ष्य होय। उदाहरण स्वरूप, दरभंगा जिला मे वर्तमान मे केवल 30% PHC मे पर्याप्त बेड आ उपकरण उपलब्ध अछि, जे एकटा गंभीर कमी अछि।
- पारदर्शी कोष उपयोग: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) आ बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMSICL) क तहत कोषक उपयोगमे पारदर्शिता सुनिश्चित करबाक लेल एकटा ऑनलाइन डैशबोर्ड बनायल जाय, जे प्रत्येक जिला मे कोष आवंटन, व्यय, आ परिणामक रियल-टाइम जानकारी दै। ई कदम भ्रष्टाचारक आरोपसभकेँ कम करत आ जनताक विश्वास बढ़ाओत। हालक समाचार (@IndiaToday, 23 जुलाई 2025) मे NHM कोषक दुरुपयोगक उल्लेख अछि, जे जवाबदेहीक कमी दर्शावैत अछि।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): ग्रामीण क्षेत्रमे अस्पताल आ डायग्नोस्टिक सेंटरक निर्माणक लेल PPP मॉडलक उपयोग कएल जाय, मुदा एकर निगरानीक लेल एकटा स्वतंत्र नियामक निकाय स्थापित कएल जाय जे गुणवत्ता आ लागत नियंत्रण सुनिश्चित करय। उदाहरण स्वरूप, पूर्णिया जिला मे PPP मॉडलक तहत बनल डायग्नोस्टिक सेंटरक लागत अधिक रहल, जे गरीब रोगीसभक लेल असुविधाजनक अछि।
- चुनावी संदर्भ: आगामी विधानसभा चुनाव मे’ राजनीतिक पार्टि सभ ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाक उन्नयनकेँ अपन घोषणापत्रमे शामिल करय एकरा लेल राज्य के जनता सभ के अपन राजनैतिक विमर्श द्वारा प्रेशर बनेबाक चाहिए । Congress, RJD आ जनसुराज आदि विपक्षी दल ग्रामीण क्षेत्रमे स्वास्थ्य सुविधाक कमी केँ उजागर कऽ सकैत अछि, जबकि NDA (BJP आ JD(U)) अपन PPP पहलक प्रचार करय। मुदा, केवल घोषणा नहि, बल्कि जमीनी परिणाम पर ध्यान देब आवश्यक अछि।
स्वास्थ्य कार्यबलक भर्ती: प्रक्रिया मे तेजी : बिहारमे स्वास्थ्य कार्यबलक कमी एकटा प्रमुख बाधा अछि। प्रति 10,000 व्यक्ति पर केवल 20 स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपलब्ध अछि, जे राष्ट्रीय औसत सँ कम अछि। 5,750 चिकित्सकक पद रिक्त अछि, जे स्वास्थ्य सेवा वितरणकेँ प्रभावित करैत अछि। ई कमीकेँ दूर करबाक लेल निम्नलिखित उपाय आवश्यक अछि:
- तेज भर्ती प्रक्रिया: बिहार सरकारकेँ एकटा विशेष भर्ती अभियान शुरू करबाक चाही, जाहिमे 2026 तक कम सँ कम 50% रिक्त पद (लगभग 2,875 चिकित्सक आ 5,000 नर्स) भरल जाय। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) केँ स्वास्थ्य कर्मीक भर्तीक लेल विशेष फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया शुरू करबाक चाही, जेना कि तमिलनाडु सरकार द्वारा कएल गेल अछि।
- ग्रामीण क्षेत्रमे प्रोत्साहन: ग्रामीण क्षेत्रमे सेवा करबाक लेल चिकित्सक आ नर्ससभ केँ वित्तीय प्रोत्साहन, जेना कि 20-30% अतिरिक्त वेतन, मुफ्त आवास, आ शैक्षिक अवसर, प्रदान कएल जाय। उदाहरण स्वरूप, उत्तराखंड मे ग्रामीण क्षेत्रमे सेवा करबाक लेल चिकित्सकसभ केँ विशेष भत्ता देल जाइत अछि, जे बिहारमे लागू कएल जा सकैत अछि।
- प्रशिक्षण आ क्षमता निर्माण: सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO), आशा (ASHA), आ सहायक नर्स मिडवाइफ (ANM) सभक प्रशिक्षण पर जोर देब आवश्यक अछि। अनन्या कार्यक्रमक तहत प्रशिक्षणक सफलता देखल गेल, मुदा एकर दीर्घकालिक प्रभावक लेल नियमित रिफ्रेशर कोर्स आ डिजिटल उपकरणक उपयोग आवश्यक अछि।
- चुनावी संदर्भ: स्वास्थ्य कार्यबलक कमी चुनाव मे एकटा प्रमुख मुद्दा बनबाक संभावना राखे अछि। विपक्षी दल सरकारी अस्पतालसभमे रिक्त पदकेँ उजागर कऽ सकैत अछि, जबकि NDA अपन भर्ती योजनाक प्रचार करय। मुदा, महत्वपूर्ण ई अछि जे आई मामला मे मतदाता जागरूक रहे, आ खाली घोषणा के बजाय जमीनी परिणामक मांग करैत रहय।
डिजिटल स्वास्थ्यक विस्तार: बुनियादी ढांचा आ प्रशिक्षण पर जोर: टेलीमेडिसिन आ टेली-ECG सन डिजिटल स्वास्थ्य पहल बिहारमे स्वास्थ्य सेवाक पहुँच बढ़ायबाक लेल महत्वपूर्ण अछि, मुदा एकर लागू करबा मे बहुत रास दिक्कत अछि। ग्रामीण क्षेत्रमे इंटरनेट कनेक्टिविटी, बिजलीक अनियमित आपूर्ति, आ डिजिटल साक्षरताक कमी एकर प्रभावकेँ सीमित करैत अछि।
- बुनियादी ढांचाक सुधार: टेलीमेडिसिन केंद्रसभक लेल प्रत्येक PHC मे कम सँ कम 4G कनेक्टिविटी आ 24x7 बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कएल जाय। उदाहरण स्वरूप, सहरसा जिला मे केवल 20% PHC मे विश्वसनीय इंटरनेट उपलब्ध अछि, जे टेलीमेडिसिनक उपयोगकेँ सीमित करैत अछि। भारत सरकारक भारतनेट परियोजना सँ बिहारक ग्रामीण क्षेत्रमे ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी बढ़ायल जा सकैत अछि।
- प्रशिक्षण आ तकनीकी समर्थन: स्वास्थ्य कार्यकर्तासभ केँ टेलीमेडिसिन उपकरणक उपयोग आ रोगी डेटा प्रबंधनक लेल प्रशिक्षण देल जाय। टेली-ECG पहल, जे स्टेट हेल्थ सोसाइटी, बिहार (SHSB) द्वारा शुरू कएल गेल, मे प्रशिक्षित टेक्नीशियनक कमी एकटा बाधा अछि। प्रत्येक जिला मे कम सँ कम 100 टेक्नीशियनक प्रशिक्षण 2026 तक पूरा कएल जाय।
- जागरूकता आ उपयोगिता: ग्रामीण रोगीसभक बीच टेलीमेडिसिनक लाभक जागरूकता बढ़ायबाक लेल स्थानीय भाषामे प्रचार सामग्री (जेना कि मैथिली, भोजपुरी) बनायल जाय।
वित्तीय संरक्षण: AB-PMJAY आ नया स्वास्थ्य बीमा योजनाक विस्तार: बिहारमे स्वास्थ्य व्ययक 61% हिस्सा निजी खर्च सँ आवैत अछि, जे गरीब परिवारसभक वित्तीय संकट बढ़ावैत अछि। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) आ जुलाई 2025 से शुरू बिहारक मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना वित्तीय संरक्षण प्रदान करैत अछि, मुदा एकर कवरेज आ जागरूकता सीमित अछि।
- कवरेज विस्तार: AB-PMJAY क तहत बिहारमे 1.5 करोड़ परिवारसभ तक पहुँचल गेल अछि, मुदा ग्रामीण क्षेत्रमे बेसी सँ बेसी परिवारसभकेँ शामिल करबाक लेल लगातार विशेष अभियान चलायल जाय। उदाहरण स्वरूप, खगड़िया जिला मे केवल 40% पात्र परिवार AB-PMJAY क तहत पंजीकृत अछि, जे जागरूकताक कमी दर्शावैत अछि।
- जागरूकता अभियान: AB-PMJAY आ CMJAY लाभक विषय मे ग्रामीण क्षेत्रमे जागरूकता बढ़ायबाक लेल आशा कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह (SHG), आ स्थानीय पंचायतक उपयोग कएल जाय। मैथिली, भोजपुरी, मगही, आ अन्य स्थानीय भाषामे सूचनात्मक सामग्री बनायल जाय, जे सरल आ सांस्कृतिक रूप सँ संवेदनशील होय।
- निजी अस्पतालक नियमन: AB-PMJAY क तहत निजी अस्पतालसभमे रोगी सँ अनुचित शुल्क लेबाक शिकायत आम अछि। एकटा स्वतंत्र शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित कएल जाय, जे रोगी अधिकारक रक्षा करय। उदाहरण स्वरूप, हाले मे पटना मे किछु निजी अस्पताल AB-PMJAY क तहत अतिरिक्त शुल्क लेबाक आरोपमे समाचारमे आयल अछि (@IndiaToday, 2025)।
बिहारमे स्वास्थ्य सेवा वितरणक सुधारक लेल एकटा यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनायब आवश्यक अछि, जे बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य कार्यबल, डिजिटल स्वास्थ्य, वित्तीय संरक्षण, आ जागरूकताक क्षेत्रमे जमीनी परिणाम आनय। सरकारी दावा सभ आ वास्तविकतामे बड़का अंतर अछि, जे पारदर्शिता, जवाबदेही, आ सामुदायिक सहभागिताक कमी सँ स्पष्ट होइत अछि। आगामी 2025 विधानसभा चुनाव मे स्वास्थ्य सेवाक मुद्दाके एकटा राजनीतिक मुद्दा बनेबाक चाही। स्थानीय भाषा, सांस्कृतिक संवेदनशीलता, आ डिजिटल मंचक उपयोग सँ जनजागरूकता बढ़ायल जा सकैत अछि, बशर्ते एकरा सभ के लागू करबा मे पारदर्शिता आ प्रभाविकता सुनिश्चित कएल जाय। बिहारमे UHC क लक्ष्य प्राप्त करब एकटा दीर्घकालिक चुनौती अछि, मुदा एकटा यथार्थवादी आ जवाबदेह दृष्टिकोण सँ ई संभव अछि।
- प्रणव कुमार झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली