बुधवार, 30 दिसंबर 2020

चाहता हूँ


 

                                         हज़ारों गीत हैं अपने ज़हन में।

                                मगर एक ख़ास गाना ढूँढ़ते हैं।

                                जहाँ परवाह हो मेरी किसी को,

                                वही बस इक ठिकाना ढूंढ़ते हैं।

 

                                गगन मे दूर कहीं इक छोड़ पर हो

                                तरक्की के किसी इक मोर पर हो

                                जिसे सुनकर मगन हो साथवाले

                                वही धुन गुनगुनाना चाहता हूँ।

 

                                नहीं है चाह की छू लूँ गगन को

                                खिला दूँ फिर से मैं बिखरे चमन को

                                के आँसू पोछ पाऊँ कुछ मनुज के

                                कुछ ऐसा कर दिखाना चाहता हूँ ।

 

                                जो पुछे कौन है, क्या नाम इसका

                                जमाने मे भला क्या काम इसका

                                मनुज हूँ ये ही है पहचान मेरी

                                सभी को ये बताना चाहता हूँ ।

 

                                के पतझड़ से लड़ें बहार आने तक

                                घुटन के बीच अंतिम सांस आने तक

                                करूँ मैं सामना हर स्थिति का

                                वही हिम्मत जुटाना चाहता हूँ।

 

                                प्रलय के बीच नवनिर्माण सा हो

                                की देवों से मिले सम्मान सा हो

                                जीत लूँ मैं यहाँ सबके हृदय को

                              विजय का राग गाना चाहता हूँ 

मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

एनबीई के नव पीजी डिप्लोमा कोर्स – ग्रामीण आ सीमांत क्षेत्र मे विशेषज्ञ चिकित्सा सेवा आ शिक्षा केर विस्तार (समसामयिक आलेख -- मैथिली)

भारत सनक विशाल आ विविधतापूर्ण जनसंख्या बला देश मे विशेषज्ञ चिकित्सक के कमी एकटा वास्तविकता अछि। पिछला साल टाइम्स ऑफ इंडिया मे छपल एकटा रिपोर्ट के अनुसार भारत मे दिल्ली के अतिरिक्त मात्र 2-3 टा आर शहरी राज्य छैक जहा डबल्यूएचओ के मानक के अनुसार या ओकरा आसपास मरीज-डॉक्टर अनुपात पूरा होइत छैक। अपन बिहार आ झारखंड सन राज्य ऐ मामला मे पांछा से अव्वल छियइ। ऐ रिपोर्ट के मुताबिक रिपोर्ट के समय मे जै गति से चिकित्सक तैयार भ रहल छलाह, बिहार मे डबल्यूएचओ मानक पूरा करबा मे 57 साल आ झारखंड मे 87 साल लागि सकई अछि। किएकि चिकित्सा शिक्षा केंद्र आ राज्य दुनू के विषय अछि तै एकर विस्तार मे एहि घोंघा चालि लेल पिछला 25-30 वर्षक राज्य सरकार के विशेष रूप से कोसल जा सकई अछि।

खैर। वर्तमान केंद्र सरकार के बात करि त ऐ गैप के भरs लेल सरकार शुरू से प्रयत्नशील रहल अछि आ देश के विभिन्न हिस्सा मे चिकित्सा स्नातक(एमबीबीएस) आ विशेषज्ञ चिकित्सक के संख्या बढ़ाबs के लेल अपन एजेंसी, राज्य सरकार आ प्राइवेट पार्टी सब के संग मिली के काज क रहल अछि। वर्ष 2016 मे प्रधानमंत्री संसद के बजट सत्र के अपन भाषण मे साल 2022 तक एमबीबीएस आ पीजी सीट के दोगुना करबाक लक्ष्य निर्धारित केने छलाह। ऐ के लेल सरकार के मुख्य चिकित्सा प्रशिक्षण अंग एमसीआई(आब एनएमसी) आ एनबीई के शासी इकाई, नीति आयोग के संग मिलि के बहुतेक रास पॉलिसी मे बदलाव केलक, नव पॉलिसी बनायाल गेल आ ओकरा लागू करबा लेल काज कैल गेलइ। नतीजा ई देखल जा सकई अछि जे साल 2016 मे जहां देश मे एमबीबीएस के करीब 55 हजार सीट छलईय आब ओकर संख्या करीब 83 हजार पहुँच गेल अछि। पीजी सीट के संख्या सेहो 35 हजार से बढि के 50 हजार के आस पास पहुँच गेल अछि।

ग्रामीण क्षेत्र मे विशेषज्ञ चिकित्सक के कमी आ आर्थिक रूप से आ ज्ञान मे कनी पछुयायल वा इन-सर्विस एमबीबीएस चिकित्सक के विशेषज्ञता के ट्रेनिंग नै भेंट पेनाई एकटा ज्वलंत समस्या छैक। देश के जानल मानल चिकित्सक आ नारायना हृदयालय के संस्थापक डॉ देवी शेट्टी कहई छथीन जे अखन देश मे करीब डेढ़ लाख स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के आवश्यकता छैक मुदा देश मे करीब 40 हजार एहेन विशेषज्ञ उपलब्ध अछि। नीट पीजी परीक्षा मे सब साल डेढ़ लाख से ऊपर छात्र बैसे छईथ जै मे से अखनो करीब 50 हजार गोटे के पीजी सीट भेटई छईन्ह। नतीजा जिनका पीजी सीट नै भेटई छईन्ह से या त डोक्टरी छोड़ि तैयारी मे लागल रहला आ नै त बिना विशेषज्ञता प्राप्त केने चिकित्सक के काज शुरू क दै छथीन। ग्रामीण आ कस्बाई क्षेत्र मे एहेन अधखिज्जु एमबीबीएस चिकित्सक बेसी भेटई छथीन जे विशेषज्ञ के कमी के बीच, मधुमेह, हृदयरोग, स्त्री-प्रसूति, बाल-चिकित्सा, अस्थि विशेषज्ञ आदि जबर्दस्ती अथवा आधा-अधूरा ज्ञान के आधार पर बनि जाय छईथ, जे कानूनी रूप से सेहो उचित नै।

ऐ समस्या के पाटs लेल एनबीई पहिने त डीएनबी इन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल प्रोग्राम आनने छल। आब अपन उद्देश्य के आगा बढ़ाबैत, एनबीई केंद्र सरकार के अनुमोदन से आठ टा ब्रॉड विशेषज्ञता मे 2 वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम ल क आबि रहल अछि जेकर मुख्य उद्देश्य ग्रामीण आ सीमांत क्षेत्र मे विशेषज्ञ चिकित्सा सेवा आ प्रशिक्षण के विस्तार छैक जै से देश के सुदूर क्षेत्र मे रह बला आबादी तक न्यूनतम विशेषज्ञ चिकित्सा सेवा के उपलब्धि सुनिश्चित भ सकई आ देश के बेसी से बेसी प्राथमिक चिकित्सक(एमबीबीएस) के अपन पसंद के विषय मे विशेषज्ञता के औपचारिक प्रशिक्षण आ डिग्री उपलब्ध कराओल जा सकई। केंद्र सरकार द्वारा ऐ विषय मे नोटिफिकेशन अगस्त 2020 मे जारी कैल जा चुकल छैक आ एनबीई द्वारा ऐ पाठ्यक्रम के लेल योग्य संस्थान से आवेदन आमंत्रित कैल जा चुकल छैक। एनबीई द्वारा प्रदत्त ई डिप्लोमा भारत सरकार के एनएमसी एक्ट के अंतर्गत मान्यता प्राप्त छैक जे एकर प्रथम शेड्यूल मे अंकित छैक।

एनबीई द्वारा शुरू कैल गेल डिप्लोमा के संक्षिप्त विवरण निचा द रहल छि:

एनेस्थेसीयोलॉजी विषय मे डिप्लोमा [डीए(एनबीई)]: ऐ विषय के चिकित्सक के काज रोगी के कोनो अंग विशेष के सुन्न केनाइ व बेहोस केनाइ होइत छैक। ऐ विशेषज्ञ के आवश्यकता अमूमन सभटा पैघ-छोट सर्जरी मे होइत छैक। हिनका सब के एनेस्थेसीस्ट के नाम से जानल जाइत छैक।

ओब्स्टेट्रिक्स आ गायनेकोलॉजी मे डिप्लोमा [डीजीओ(एनबीई)]: ई स्त्री आ प्रसूति रोग विषय से संबन्धित कोर्स छियइ जै मे डॉक्टर के स्त्री के प्रजनन अंग के स्वास्थ्य देखभाल आ गर्भावस्था के प्रबंधन के लेल ट्रेन कैल जाय छैक। स्वस्थ आ समृद्ध भारत के लेल ऐ विषय के विशेषज्ञ के पर्याप्त उपलब्धता बड्ड आवश्यक।

पीडियाट्रिक्स मे डिप्लोमा [डीसीएच(एनबीई)]: ऐ कोर्स मे नेना-भुटका सब के बीमारी के पहचान आ निदान के विषय मे प्रशिक्षण देल जाइत छैक।

फेमिली मेडिसिन मे डिप्लोमा [डी.फेम.मेड(एनबीई)]: एकरा कॉम्बो मेडिकल ट्रीटमेंट कोर्स कहि सकई छी जै मे मेडिसिन, सर्जरी, पीडियाट्रिक्स आ ओजी के मौलिक प्रशिक्षण देल जाइत छैक आ प्रायमरी आ सेकेंडरी हेल्थकेयर के लेल विशेषज्ञ तैयार कैल जाय छैक।

ऑफथल्मोलॉजी मे डिप्लोमा [डीओ[एनबीई)]: ऐ कोर्स मे आंखि संबंधी रोग के डायग्नोसिस आ ओकर निदान के विषय मे प्रशिक्षण देल जाइत छैक।

ईएनटी मे डिप्लोमा [डीएलओ(एनबीई)]: ऐ कोर्स के द्वारा एमबीबीएस डॉक्टर के नाक, कान गला से संबन्धित रोग सब के निदान के विषय मे प्रशिक्षित कैल जाय छैक।

रेडियो डायग्नोसिस मे डिप्लोमा [डीएमआरडी(एनबीई)]: ई नैदानिक चिकित्सा त नै छैक मुदा सभ प्रकार के चिकित्सा के डायग्नोसिस मे ए विषय के विशेषज्ञ के आवश्यकता होइत छैक। हिनका सब के रेडियोलोजिस्ट कहल जाइत छैक। आ ई सब विभिन्न प्रकार के एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी-स्कैन, एमआरआई आदि के परीक्षण क नैदानिक रिपोर्ट बनबई छईथ।

ट्यूबरोकूलोसिस आ चेस्ट डीजीज मे डिप्लोमा  [डीटीसीडी(एनबीई)]: वर्तमान मे वायु प्रदूषण आ आन फैक्टर के चलते देश मे श्वसन संबंधी रोग बढि रहल अछि। टीबी आ दममा एकटा लंबा समय से ग्रामीण क्षेत्र के लोक के लेल परेशानी के सबब रहल अछि। ऐ कोर्स मे अहि प्रकार के रोग के निदान के प्रशिक्षण देल जाइत छैक।

उपरोक्त कोर्स मे प्रवेश एमबीबीएस पास कोनो चिकित्सक नीट पीजी वा एनबीई द्वारा संचालित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ल सकई छईथ। ई कोर्स खास रूप से ओय चिकित्सक सभ लेल लाभकारी हेतइन जे:

  • बहुत पहिने से एमबीबीएस केने छईथ आ उपरोक्त मे से कोनो विशेषज्ञता के क्षेत्र मे काज क रहल छईथ वा कर लेल उत्सुक छईथ, मुदा ऐ के लेल कोनो औपचारिक डिग्री/प्रशिक्षण नै छईन्ह।
  • एमबीबीएस के बाद से सरकारी नोकरी मे जुड़ल छईथ मुदा पदोन्नति/विशेषज्ञ के पद लेल आवश्यक पीजी प्रशिक्षण आ डिग्री नै छईन्ह।  
  • पैसा या परफ़ोर्मेंस(नीट-पीजी मे) के कमी के चलते बेहतर पीजी कोर्स मे प्रवेश नै भेंट पाबि रहल छैन।
  • आर्थिक दवाब के चलते एमबीबीएस के बाद यथाशीघ्र विशेषज्ञता प्राप्त क अपन प्रेक्टिस शुरू कर चाहई छईथ।

2 आ 3 नंबर के डॉक्टर लेल ऐ कोर्स के एकटा फायदा इहो छईन्ह जे ओ स्टेप बाय स्टेप चढ़ि के निक संस्था से पीजी करय के सपना सेहो पूरा क सकई छईथ। उदाहरण के लेल मानि लिय जे एकटा डॉक्टर मधुबनी सदर अस्पताल से डीसीएच(एनबीई) करई छईथ एकरा बाद ओ डीएनबी-पीडीसीटी के परीक्षा मे बैसई छईथ जै मे कम कंपीटीशन के चलते हुनका गंगाराम अस्पताल या कांची कामाकोटी चाइल्ड ट्रस्ट सन अस्पताल सेहो भेंट सकई अछि जहां से ओ अगिला 2 वर्ष मे डीएनबी(पीडियाट्रिक्स) क सकई छईथ आ निक बाल-चिकित्सक बनि सकई छईथ।

ऐ कोर्स के करीकुलम ऐ तरहे बानाओल जा रहल छैक आ एकरा चलाब लेल न्यूनतम आवश्यकता के पॉलिसी ऐ तरहे बानाओल गेल छैक से देश के सुदूर क्षेत्र के टर्सियारी केयर अस्पताल ऐ तरहक कोर्स चला सकई मे सक्षम भ सकई अछि। मोटा-मोटी न्यूनतम 100 बेड बला अस्पताल जे टर्सियारी केयर अस्पताल चलाब के सबटा मान्यता राखइत छैक आ जै मे विषय विशेष मे 20 बेड अथवा आवश्यक ईक्विपमेंट(एनेस्थेसीय आ रेडियोलोजी के केस मे) आ पोस्ट पीजी 5 या बेसी वर्ष के अनुभव बला 2 टा चिकित्सक कंसल्टेंट होय से ओहि विषय मे कोर्स चलाब लेल आवेदन क सकई अछि।

आवेदक अस्पताल के निरीक्षण एनबीई के विशेषज्ञ द्वारा कैल जाय छैक जेकरा रिपोर्ट के आधार पर एवं अन्य प्रक्रिया पूर्ण केला के बाद कोर्स चलाबs लेल मान्यता देल जाइत छैक।

आशा करैत छी जे ई जानकारी अहाँ के निक आ रोचक लागल होयत। जे कियौ राजनैतिक/सामाजिक रूप से सक्रिय छी से अपन क्षेत्र के योग्य सरकारी टर्सियारी केयर अस्पताल मे ऐ तरहक कोर्स शुरू कराब के प्रयास क सकई छी आ जिनकर जानकारी मे योग्य प्राइवेट अस्पताल होय ओ हुनका सब के ऐ विषय मे जानकारी द सकई छी।   

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

मिथिला में सब किछ छै!

 कि नै छै! मिथिला में सब किछ छै

बाकल बुरबक वोटर सब, भेटत थाकक थाक

कियौ गदहा बनि जाय नेता, पहिरि के एत्त पाग।


टायटल देख चुनै अछि लोक विधायक आ कलाकार

भरि ढिर भोजन भेटब चाहियैन आर किछ नै दरकार।


कि नै छहि! मिथिला में सब किछ छै


बाढ़ि, बेमारी, दुर्भिक्षा आबै छै सब साल

राहत पैकेज ल क सब कियौ भेल रहत निहाल


बंद पड़ल कारखाना सब छै,पुरातन निर्माणक अवशेष

कत्तेक दिन से सुनि रहल छी, राज्य बनत ई बड़ि विशेष


कि नै छै! मिथिला में सब किछ छै


आजादी से पहिलुक DMCH सेहो सम्हरि नै पाबय छै

एम्स-एम्स के हल्ला सब बेर इलेक्शन में मचाबै छै


अस्पताल नै, डॉक्टर नै छै, डायग्नोस्टिक के सुविधा नै

झोलाछाप से गरीब लोक सब केहुना काज चलाबै छै


कि नै छै! मिथिला में सब किछ छै


मंडन मिश्रक धरतीक नेना ढंगक शिक्षा नै पाबै छै

बयस भेला पर दिल्ली जा क तंबू-खंभा गारै छै


स्कूल में बहुते मास्टर के अपने किछ नै आबै छै

ट्रेनिंग दिएबाक बदला सरकार, जनगणना कराबय छै


उच्च शिक्षाक कोनो संस्थान एत्त, नेता नै बनबाबय छै

पढ़ाई आ दवाई खातिर सब एमहर आम्हार भागय छै।


गामे गामे पोखैर छलैय, सेहो सब मुनबाबय छै

घरे घरे पिबय के जल, बोतल में भरि आबै छै।


कि नै छै! मिथिला में सब किछ छै।


नगरे नगरे पलायित लोक के प्राण गाम पर अटकल य

गामे गामे घुरि के देखू, घर पर ताला लटकल य।


मिथिला में जे ट्रेन चलै से घंटो घंटा लेट

लेट्रिन रूम में यात्रा करैत लोक जैत अक्सर भेट।


अपराधक कमी छल पहिने तकरो आब बोलबाला छै

सरकारी योजना त छै मुदा, ओय में बड्ड घोटाला छै।


आरो छै। मिथिला में सब किछ छै

कहितहुँ त किछ आर मुदा, हमरा नींद लागल छै


पीएस: कोई भी पेशेवर गायक या गीतकार किसी के भी प्रसंशा के गीत गाए या लिखे वो मेरे हिसाब से सही हैं, जबतक वो भाषाई मर्यादा में हैं। इसी तरह से हर राजनैतिक व्यक्ति का अपने पार्टी और सरकार के समर्थन में तर्क देना स्वाभाविक और जायज है, चाहे वो वास्तविकता से दूर ही क्यों न हो।

इसका इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि अरुण जेटली जी ने इलेक्टोरल बांड को इलेक्टोरल रिफॉर्म और ट्रांसपेरेंट व्यवस्था के रूपमे प्रोजेक्ट किया था।

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

कलम और कूची











न कैनवास है, न कोई रंग है

फिर कैसे मान लें आप मेरे संग हैं


हम छन्द लाएंगे, आप रंग लाइये

कलम और कूची को फिर संग लाइये


ये कह रहा है आसमान बाँह खोलकर

बना दो कहीं इंद्रधनुष रंग घोलकर


जो आपके एकाध हम दाद पाएंगे

तो मंदबुद्धि हम भी नए गीत गाएंगे


नदियाँ गा रही है अपनी धुनमें आजतक

रंगों में डूबी हुई, शोज़-ओ और साज तक


उम्मीद है ये आपसे, जो मान जाएंगे

कुछ फूल मेरे गमलों में भी मुस्कुराएंगे


आप शक्ल दीजिए, हम अक्ल भी देंगे

हारी हुई बाजी को भी, जीत हम लेंगे।


कोरेसे इस कागज़पे कोई, गुल खिलाइए

अब छोड़िए भी ज़िद, मान जाइए


शेरों को मेरी आप, ग़ज़ल बनाइए

संग मेरे आप भी, कुछ गुनगुनाइए


हम छन्द लाएंगे, आप रंग लाइये

कलम और कूची को फिर संग लाइये


बुधवार, 16 सितंबर 2020

सितंबर 2020 माह के कुछ मुक्तक

  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

हर एक करवट मे अब गुजरा जमाना याद आता है

लड़कपन तो कभी बचपन हमारा याद आता है।

वो रातें जो कभी काटी थी हमने दोस्तों के संग

वो बिछड़े यार और उनका याराना याद आता है।।

 

वो लोरी याद आती है, वो किस्से याद आते हैं

वो कुछ लम्हे जो जीवन मे, जमाने बाद आते हैं ।

जबभी मिल जाए तुम रखलो, हृदय मे यूं सँजो कर के

कि पतझड़ मे बड़ी मुश्किल से झंझावात आते हैं।।

 

थकन और बेबसी मे साथ देना याद आता है

मुसीबत मे बढ़ाकर हाथ देना याद आता है ।

मैं जो भी हूँ, जहां भी हूँ, तुम्हारी मेहरबानी है

हृदय के हर स्पंदन से यही आवाज आती है।।

 

समर है, द्वंदहै, चेहरे पे सबकेक्यूँ उदासी है

गगन मे इन्द्र बैठे हैं, धरा फिर भी क्यों प्यासी है!

मिला क्यों प्राण उनको जी रहे निष्प्राण होकर जो

यहाँ हर आदमी की जिंदगी मे बदहवासी है ॥

 

सियाही से लिखूँ जो मैं, उसे आकार कर देना

मेरे इक स्वप्न को एक दिन, तुम साकार कर देना।

अमन और समृद्धि मे जी रहे हों देशवाले यूं

विधाता स्वर्गवालों मे धरा से डाह कर देना॥

 

नहीं गम हो जमाने की, जमाने मे न गफलत हो

मोहब्बत से भरा हो दिल, किसी से भी न नफरत हो

वो दिन फिर से कभी आएंगे क्या? बतला मेरे मौला

धरा पर स्वर्ग से हों दिन, लगे जैसे कि सतयुग हो

 

जहां हर राधिका को कृष्ण का सम्मान मिलता है

कृषक से लोग मिलते यूं कि जौं बलराम मिलते हों ।

जहां अन्याय से लड़ने धनंजय, गाँडीव धरते हैं

वही भूमि ये भारत है, हम जिसकी बात करते हैं ॥

तृष्णा Craving

 

हाथ मे था सीप और

मोती को मैं फिरता रहा ।

एक अंजाने सफर पर

रात दिन चलता रहा ॥

 

कुछ तो थी उलझन, जिन्हे

सँवारने की होड़ मे ।

जिंदगी के तृष्णा जाल मे

और भी फँसता रहा ॥

 

कल को मेरी आत्मा ने

फिर से ये दोहरा दिया ।

वृक्ष की छाया मे न ठहरे!

क्यूँ धूप मे तू तपता रहा!!

 

आदमी ही हूँ, मैं कैसे

छोड़ दूँ फितरत भला!

पाखंड, तृष्णा, मोह से

बच सकूँ कैसे भला!!


पथडिगा हूँ मैं भले

मुझको शरण मे स्थान दे।

पार पाउ माया से तेरी

प्रभु मुझे वह ज्ञान दे ॥

मंगलवार, 15 सितंबर 2020

नया मोटर वाहन कानून (New Motor Vehicle Act 2019)

 


जग्गू जी बता रहे थे, नया मोटर वाहन कानून है आया

हुल्लरों मे डर, और जन-जन में नई चेतना है लाया


 

पीयूसी केंद्र के बाहर, वाहन की लंबी कतार नजर आया

एक दूजे से सब पूछ रहे थे, इतने दिन कहां थे भाया,


 

जग्गू जी भी घर से निकले, पहन के हेलमेट अबकी बार

खड़े हो सलामी दे रहे सब, कोई न करता सिग्नल पार


 
डुग्गू जी जब भगा रहे थे, आरी तिरछी हौंडा कार

लगा जुर्माना, कटा चालान, बोले हाय यह कैसी सरकार!

 


अब छुटकू जो कार चलाया, मम्मी पापा जाएंगे जेल

एंबुलेंस का रास्ता रोकने वाले भी होंगे डिटेन


 
दारू पीकर गाड़ी चलाने वाले की तब उतरेगी

चालान की राशि वाहन की कीमत तक जब पहुंचेगी


 
हालांकि चालान की राशि हुई बड़ी और अकान

नहीं फिर भी कुछ कीमत इसकी, जितनी कीमती अपनी जान


 

यातायात नियम पालन की, ली है हमने मन में ठान

नियमों का पालन करने पर नहीं कटेगा कोई चलान


1.   हेलमेट से है...चालान और जान दोनों सुरक्षित


2.   ट्रेफिक नियम का जो रखे ध्यान


    आओ करें उनका सम्मान


 - 28 सितंबर 2019