शनिवार, 24 दिसंबर 2022

शाम फ़िर तुम याद आये हो

 


आज की शाम फ़िर

तुम याद आये हो

कुछ छुए-अनछुए जज्बात

दिल में उतार लाये हो।

 

य़े पहाडि.यां ये वादियां

मुझसे कुछ कह रही हैं

भावनायें दिल की कुछ

आंसुओं संग बह रही है।

 

कर रहा हूं महसुस खुदको,

फ़िर अकेला असमर्थ कातर;

क्या मिलेंगे कभी मुझे भी ,

प्यार  के कोई  ढाइ आखर?

 

कर रही होगी कहीं तुम,

आज भी अट्खेलियां

घेरे होंगी खुशामद को

सारी सखी-सहेलियां।

 

अपने तब्बस्सुम से जहां को

यूं ही आफ़ताब करते रहना

हो सके तो मुझ अदना के

जीवन में भी रंग भरना !!

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