शनिवार, 20 जुलाई 2024

कालचक्र [मैथिली कथा]

 

दू बज्जी राति के समय छल। बाहर पूस के दुलकाबय बला ठंढी बसात बहि रहल छल। रोड पर जाड़ से दुलकैत कुकुर के भौंकब आ कानब के डरावना अवाज आबि रहल छल। सहरसा सिटी अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा विभाग अर्थात इमर्जेंसी मे आने दिन जेका चारि-पाँच टा मरीज पड़ल छल। सिरियस पेसेंट सभ के देख सुनि आ कंडीशन के स्थिर क के जूनियर डॉक्टर सभ वार्ड से चलि गेल छल। आब वार्ड मे हरियरका ड्रेस पहिरने एकटा 40-45 वरष उमैर के नर्स छलिह आ 20-22 वर्षक एकटा नवयुवक कंपाउंडर(पुरुष नर्स)। कुर्सी पर बैसल दुनु बतियाइत समय काटि रहल छलाह। जाड़ से बच लेल दुनु वार्ड बॉय से चाह मंगा के चाहक चुस्की लैत पुनः गपियाबलागल छलाह।

हम देवाल पर टांगल डिजाइनर घड़ी छी जे टिक-टिक-टिक-टिक करईत अनवरत चलायमान छी आ आई अहाँ के ई कथा बांचि रहल छी। जहिया से ई विभाग चालू भेल अछि ताहिए से हमरा ऐ देबाल पर टाँगि देल गेल अछि। साइत ऐ अस्पताल के मालिक काली बाबू के च्वाइस से हमरा किनल गेल छल। इमर्जेंसी के हृदयविदारक वातावरण मे जत कतेको के रुकल समय एकबार पुनः चलि पड़य छैक त कतेको के समय सदिखन लेल रुकि जाय छैक, हमरा सन सुंदर मनोरम घड़ी के नै जानि की सोचि कटाँगि देल गेल हेतैक। साइत अनवरत चलबाक लेल। साइत एत्त आब बला के एकटा भरोस देबाक लेल। कतेक समय से देख रहल छी। कतेको नर्स आ मेडिकल स्टाफ आयल कतेको गेल। नित दिन इमर्जेंसी के एक से बढि क एक केस देखय छी, अनवरत टिक टिक क के चलईत। गर्मी मे हहा के चलईत पंखा एखन शांत छल, मुदा हम जेना ओकरा कहि रहल छलियई जे चलनाई के मतलब भेल अनवरत चलनाई, नियत चालि से। ई नै जे कखनो हहा के घूमलागल आ कखनो एक्दम्मे शांत। हम समय के दूत छी, तै अनवरत चलय छी, नै मौसम के लेल रुकय छी आ नै मृत्यु के लेल।

किछु एमहर-आम्हर, गाम-घरक चर्चा करइत करइत खिस्सा अस्पताल के किछ डॉक्टर आ साथी नर्स के गॉसिप पर पहुंचल। कोनो डॉक्टर संग कोनो नर्स के लसफस के चर्चा भेल छल जै पर प्रोढ़ा बिहूँसि उठल छलिह। नहु नहु बजलिह, बौआ तों ऐ सब मे नय पड़ीह। मोन से अपन नौकरी पर ध्यान लगाब। फेर ओ नहुए नहुए आजु राति ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर लेल बाजल छलिह “देखिह, आई राइत ई टटीबा ड्यूटी पर छौ, राति बेकारे नै जाय कहीं। “

“किए काकी?” ओ नब युवा कंपाउंडर पुछलकै।

“अरे ओ दारू पी के मातल रहय छै भोरे से। कोनो काज ठीक से नै आबय छय। पता नै के डॉक्टर बना देलकै एकरा। पक्का चोरी चकारी से डॉक्टर बनल हेतैक।“ नहुए नहुए प्रोढ़ा नर्स पुनः बाजल छलिह।

“मुदा आब साइत कोनो इमर्जेंसी नै आबय। तै बौआ तों कनि काल चाहे त सुस्ता ले।“ 

“नै काकी! ठीक छै। अहिं कनि काल आराम कलिय।“

“अरे ल ले कनि काल टेबुले पर माथ राखि के झपकी। एत्त कोन ठेकान, कखन के मरलेल आबि जाय” – प्रोढ़ा पुनः बाजल छलिह।

आजूक राति मे अजबे मनहूसियत बुझना जा रहल छल। शहरक एकटा छोड़ पर बनल अस्पताल के मनहूस केजुएल्टी  मे अपशकुनी कोनो नब बात त छल नै। कन्ना-रोहट, छाती पिटईत लोक, चीखम-चिल्ली, तामस, झगड़ा-लफड़ा, विकलांगता, मृत्यु,  कतेको त देखल अछि हमर, डॉक्टर, नर्स आ वार्ड बॉय सभ के संग। स्वाइत डॉक्टर, नर्स आ वार्ड बॉये जेका हमरो आब ई सब मनहूस नै लागे छल। भसकय छैक जे मनुखक मोन मे वेदनाक एकटा कोटा होइत होई, जे चाहे त ककरो धीरे धीरे खर्चा होइत होइक आ की तेजी से। शुरू शुरू मे त हमरो होई छल जे केकरो मुईला के कनिके काल बाद ई सभ चाहक कप के संग गपियाईत आ ठिठियाइत कोना के देखा जाय छैक! मुदा किछु मृत्यु देखला पाछा त हमहू आब ई अपशकुनी भाव से मुक्त भगेल छी आ एकर सबहक ठिठोली पर मुस्किया लैत छी।

मुदा तैयो आजुक ई सर्द राति किछु बेसिए अपशकुनी बुझना जा रहल छल। खिड़की के कोनो फुजल भाग से छनि छनि क अबईत घुप अनहार देखा रहल छल। दूर बाट पर लागल भेपर लाइट के मरकरी भूकभाक क रहल छल। दूर तक कुहेस आ चुप्पी पसरल छल, एहि सबहक बीच मे कुकुरक भूकब आ कानब गजबे भुतिया सीनक पटकथा लिखि छल। प्रोढ़ा नर्स कुर्सी पर बैसल ओङ्घाय लागल छलीह। नवयुवक एक बेर पुनः रोगी सबहक ठाहर लेबलेल वार्ड मे राउंड लेबलागल।

हमर सूईया अनवरत अपन गति से  टिक-टिक करइत घुमि रहल छल। छोटकी सूईया आब 3 आ 4 के बीच मे छल आ अपन मंथर गति से 4 दिस बढ़ल जा रहल छल। कनिकबे काल मे दूर से मंदिरक घंटी, मस्जिदक अजान, बस-गाड़ी के पों-पों, रोगी के परिजन सबहक अफ़रातफरी देखबा सुनबा मे आबय बला छल, आने दिन जेका। मुदा एखन त विशुद्ध चुप्पी पसरल छल, जेकरा कुकुरक आवाज बीच बीच मे तोरि रहल छल। विशुद्ध चुप्पी सेहो कखनो काल के बड्ड डेरबबला होइत छईक।

दुनु नर्स आब अनमनायल आ निश्चिंत सन भ गेल छलथि। नवल भोर के आस मे हमर सूइया सेहो अनवरत बढ़ल जा रहल छल। मुदा ई की !! अचानके से देखय छी जे किछ लोक बदहवास सन भेल दौगइत ककरो स्ट्रेचर पर ल क आबि रहल अछि। बड्ड गंभीर एक्सीडेंट के केस छैक साइत। हे दैब! ई त काली बाबू छथीन। ऐ अस्पताल केर मालिक। एकटा टैक्सी ड्राइवर आ संग मे पुलिस ल क आयल छल। पछाति घरक लोक सेहो पहुंचइत जाइत गेल छलाह, माय-बाबू-पत्नी। कानईत बिलखइत। “हे भगवती! ई कि भेल! पटना एयरपोर्ट लेल निकलल छलाह कि आधे घंटा बाद ई अनहोनी भगेलय हे माई।“

काली बाबू बेहोश स्ट्रेचर पर पड़ल छलाह। सौंसे देह शोणित से लथपथ भेल छल, सांस ठीक से चलि नई रहल छल।

नवयुवक कंपाउंडर फुर्ती के संग हुनका बेड पर लेटा कऑक्सीज़न लगा देलकै। माथ पर जत्त से शोणित बहि रहल छल तत्त, टिंचर आयोडिन आ रसायन युक्त कॉटन लगा क दबा के राखने छल।

वार्ड बॉय के भागि के डॉक्टर के बजाबलेल कहने छल।

डॉ रघुवंशी भागल भागल रूम से आयल। युवा कंपाउंडर ओकर मुँह से दारू के महक महसूस केने छल। “काकी सहिए कहय छलिह.... सार ड्यूटियो मे पीबय छैक।“ मोने मोन ओ सोचलक।

मुदा काली बाबू के ई हाल मे देख के ओकरो निशा उतरि गेल छल। मोन आ हाथ दुनु कंपित भरहल छल ओकर।

सीनियर नर्स  बाजलिह “सर! हिनका तुरंत इंटूबेट करबाक हेतइक। सांस ठीक से नहि चलि रहल छैक। ब्लड मे ऑक्सीज़न केर स्तर गिरल जा रहल छैक।“

मुदा डॉ रघुवंशी के इंटूबेट केनाइ आबिते नै छल। आ एमहर “गोल्डेन आवर” के एक एक कीमती मिनट जे जान बचाबलेल महत्वपूर्ण होइत छैक से बीतल जा रहल छल।

ऐ क्रिटिकल समय मे ओ ककरो कोना कहितई जे हमरा ई इंटूबेशन नै आबय अछि जे इमरजेंसी मे जान बचेबाक पहिल कदम छैक। ओ सांस नली मे घुसबय बला पाईप लप्रयत्न शुरू केलक। आ संगे आन सीनियर डॉक्टर एनिस्थीसिया,सर्जरी आ क्रिटिकल केयर के सीनियर डॉक्टर के बजाबलेल कहलक। युवा कंपाउंडर आनन-फानन मे सभटा आवश्यक फोन क देलक। सौंसे अस्पताल मे काली बाबू के एक्सीडेंट के समाचार पसरि गेल छल। 15हे मिनट मे सभटा सीनियर डॉक्टर आबि गेल छल।

ऑक्सीज़न के स्तर 0 पर छल आ धड़कन के ग्राफ सेहो स्ट्रेट लाइन देखा रहल छल।

डॉ० रघुवंशी अंबुबैग से सांस नली मे घुसायल गेल ट्यूब से सांस द रहल छल। एमहर केजुएल्टी मे शुभचिंतक लोक सबहक भीड़ जमल जा रहल छल। अंततः काली बाबू के बचाओल नै जा सकल छल। वार्ड मे कन्नारोहट पसरि गेल छल। जै रंग लोग तै रंग केर खुसुर फुसुर सेहो भऽ रहल छल। मातम के बीच लोक सब काली बाबू के जीवन के अपना अपना तरह से याद कऽ रहल छल। हमहु कनी काल लेल काली बाबू के अतीत मे चलि गेल छलहु।

सहरसा जिला के एकटा गाम में काली कांत के जनम भेल छल । माई-बाप नाम राखने छलाह काली कांत मुदा नेनपन मे गामक लोक हुनका "करिया" कहि सम्बोधित करैत छल। साइत ऐ तरहक सम्बोधन के चयन मे सामाजिक परिस्थिति के सेहो योगदान रहय छैक।  हुनकर पिता जी हाई स्कूल में पीउन छलाह। हुनकर एक मात्र सपना छल कि हुनकर बेटा एक दिन डॉक्टर बनि जाए। काली कांत के पिता सब किछु करय लेल तैयार छलाह, जै से हुनकर बेटा डॉक्टर बनि सकय।

काली कांत मैट्रिक पास कएला के बाद एक प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान में नामांकन करेलक। करिया एक साधारण छात्र छल। मुदा बाबूजी के इच्छा आ बल भरोसे मेडिकल के तैयारी शुरू केलक। मुदा दू बेर अपना भरि प्रयास केला के बादो सरकारी सीट पर एमबीबीएस में प्रवेश नहि भेंट सकल। पिछड़ा वर्ग के कोटा में सेहो नै। लेकिन करिया के पिता हार माननिहार नहि छलाह। ओ अपना बेटा के डॉक्टर बनय के जिद्द में अंततः एकटा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में नामांकन करा देने छलखिन।

काली कांत आब ओहि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के पढ़ाई शुरू केलक। मुदा ओकर ध्यान मेडिकल पढ़ाई सँ बेसी मार्केटिंग आ एडमिशन प्रोसेस में लागल छल। दोसर साल सँ ओ एडमिशन प्रोसेस में लागि गेल। मेनेजमेंट आ एजेंट संगे मिल विद्यार्थी सबके एडमिशन करा कऽ कमिशन कमाय लागल छल।

समय के संग-संग, काली कांत एकरा अपन व्यवसाय बना नेने छल। अपन व्यवसाय में ओकरा सफलतो भेटलइक। संगहि ओ एमबीबीएस कोर्स सेहो कोनो तरहे पूरा केलक। ओकर पिता बहुत खुश छलाह जे हुनकर बेटा डॉक्टर बनि गेल। ओकर माता जी सेहो खुश छलिह जे हुनकर बेटा पढ़ाईए के समय सँ कमाई करय लागल छल आ खूब कनेक्शन बना लेलक अछि।

काली कांत एडमिशन काउंसिलिंग आ प्लेसमेंट बिजनेस में तेजी सँ बढ़य लागल छल। ओ खूब पाई कामाय लागल। ओ ऐ धंधा में एना क डूबी गेल छल कि नैतिकता के सेहो बिसरि गेल। ओ मेडिकल प्रवेश परीक्षा, काउंसिलिंग आ एडमिशन में अनैतिक आ अनुचित प्रयोग मे सेहो लागि गेल छल।

लोक सभ, जे ओकरा "करिया" कहैत छल, आब ओकरा "काली बाबू" कहै लागल छल। धीरे-धीरे ओ अपन क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध आ गणमान्य व्यक्ति भ गेल छलाह। ओ सहरसा में एकटा मल्टीस्पेशल्टी सिटी अस्पताल बनाओल। जै से हुनक व्यवसाय आ प्रसिद्धि दुनु मे आर बेसि वृद्धि भेल छल।  मुदा, हुनक कारोबार में बहुत रास  अनैतिकता छल, जेकर कारणेँ  कै टा अकुशल डॉक्टर सभ मेडिकल सिस्टम में शामिल भऽ रहल छल।

एक बेर काली बाबू के पिताजी हुनका टोकनेहो छलाह , "बेटा, हम अहाँ के डॉक्टर बनबय चाहैत छलहुँ, मुदा अहाँ अपन राह बदलि लेलहु अछि। ई धन-संपत्ति आ प्रसिद्धि के संग नैतिकता आ इंसानियत सेहो महत्त्वपूर्ण अछि।"

काली बाबू, किछ क्षण लेल अपन पिता के ई शब्द सुनि ठमकि गेल छलाह। ओ सोचय लगल छलाह, कि की ओ सचमुच डॉक्टर बनल अछि या एकटा धंधेबाज? ओकर मन में सवाल उठल। मुदा, काली बाबू के नाम आ कमाई के तृष्णा हुनका अनैतिकता के एहि बाट पर आगू बढ़बैत रहल छल।

वर्तमान मे घूरल त देखय छी जे क्रिटिकल केयर के कंसल्टेंट के नजरि डॉ० रघुवंशी के एक्टिविटी पर गेल। ओ देखला जे इंटूबेशन ट्यूब सांस नली (ट्रेकिआ) के बदला मे खाना के नली (इसोफैगस) मे घुसाओल छैक।

वार्ड मे पसरल कन्नारोहट केर बीच मे क्रिटिकल केयर कंसल्टेंट हमरा नीचा मे राखल कुर्सी पर आबि बैस गेला आ संकेत से डॉ० रघुवंशी के बजेलखिन।

पुछलखिन - “सर के कोन  स्थिति मे आनल गेल छल.... की कंडीशन छल ... आदि आदि”

अंत मे कहलखिन – “डॉ० रघुवंशी! ट्यूब सही जगह नै छल आ अहाँ अंबु केने जा रहल छलिए। अहाँ इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर छी आ अहाँ एखन धरि ट्यूब सांस नली मे घुसेनाइ नै सीखने छी! अहांक मुँह से दारू के महक आबि रहल अछि! अहाँ ड्यूटी पर दारू पीबय छी?

आखिर अहाँ एमडी कोना केलहु आ अहां के ऐ महत्वपूर्ण पोस्ट लेल सेलेक्ट कोना कैल गेल?

डॉ० रघुवंशी मुँह लटकौने ठाढ़ छल। ओ किछ नै बाजल। मुदा ओकर माथा मे निश्चिते किछु परिघटना चलचित्र जेका घुमल छल जेकर प्रभाव हम ओकरा चेहरा पर देख नेने छलियई।

डॉ० रघुवंशी के एमबीबीएस आ  पीजी एड्मिशन के जोगाड़ कालिए बाबू त लगेने छलखिन बिना कोनो मेरिट के तिकड़म से। आ कालचक्र के प्रभाव एहन जे कालिए बाबू हिनका एहि पद लेल सेहो सेलेक्सन केने छलाह कैएक टा मेरिटोरियस डॉक्टर के ऊपर वरियता द के, किएकि त डॉ० रघुवंशी हुनक एकटा धनाढ्य क्लाइंट के लड़का छलय।

हम आ ई वार्ड के देवाल बहुत रास केस देखने छलियइ आई धरि ऐ केजुएल्टी मे। नाउम्मीद केस के जीबीतो आ बहुत केस मे मरितो। कतेको डॉक्टर, नर्स, परिजन के देखने छी मरीज के जियाबऽ लेल जी जान लगाबइत। मुदा आजुक घटना ऐ सब से अलग छल। ऐ अस्पताल के मालिक अपनहि अस्पताल मे समय पर सही इलाज नै मिलने मृत्यु के प्राप्त भेलाह।  कदाचित ऐ कालचक्र के रचना काली बाबू स्वयं केने छलाह।

 [नई दिल्ली 20.07.2024]

 

 

शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

द मिस्टेक [मैथिली कथा ]

 

हॉस्टल के अपन डेरा में बैसल, रजनी यूट्यूब पर एकटा सजेशन वीडियो देख रहल छलिह। वीडियो मे हुनके गामक दृश्य दृष्टिगोचर भेल। गाम मे उत्सव के माहौल सन देखना जा रहल छल। दू दिन पहिने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के अंतिम परिणाम आयल छल जै मे रजनी के चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा अर्थात आईएएस के लेल भेल छल। आठ बरष भ गेल छल रजनी के घर-परिवार आ गाम से कोनो संपर्क नै छल। कियौ कोनो खोज ख़बर लेनहार नै जे रजनी जीवितो छैक की मुइल गेल। मुदा यूपीएससी मे हुनकर चयन के समाचार द्रुत गति से सौंसे पसरि गेल छल। यूपीएससी मे चयनित उम्मीदवार के पूरा जन्मकुंडली मीडिया आ सोशल मीडिया द्वारा खंघालि लेल जाइत छैक। रजनी के अपन गाम से टूटल तार सेहो ऐ परिणाम के बाद मीडिया आ सोशल मीडिया द्वारा जोड़ि देल गेल छल।  पूरा गाम आ ओकर परिवार खुशीयाली मना रहल अछि, साक्षात्कार दैत अछि, यूट्यूब, टीवी पर बाइट द रहल अछि। सभ कियौ खोजि खोजि के ओकरा से अपन संबंध निकालि रहल अछि। चाहक चुस्की लैत ई वीडियो देख रजनीक आँखिक कोना सँ कोरह फाटि जय अछि। एक बूंद नोर हुनक चेहरा से टघरईत चाहक प्याली मे खसि पड़ल छल। ई खुशी आ संघर्षक नोर अछि। हुनका याद अबैत अछि अपन अतीतक ओ पल, जखन हुनक जिनगी मे घुप्प अनहार भ गेल छल।जिनगी मानु जेना समाप्ते भ गेल छल। यैह सर समाज जे आई हुनक सफलता पर नाचि रहल अछि ओय समय मे रजनी के चिन्हऽ से, अपनाबऽ से मना क देने छल।

मिथिला के एकटा सुदूर गाम मे रजनी अपन परिवार संगे रहय छलिह। माँ-बाबू, भाई-बहिन, पित्ती-पितियाइन सर-समाज, सभ छल रजनी के जीवन मे। बाबू गामे मे रहि खेती-किसानी करय छलाह। तरकारी के खेती करय छलाह आ बथान पर माल सेहो पोसने छलाह। गाम मे एकटा छोटसन पक्का के  घर।

ओहि राति रजनी अपन कापी आ किताबक संग ओछाओन पर बैसल छलिह । ओ पढाई में बहुत होशगर छलिह । हुनक परिवार सेहो ओकरा सँ बड आशा रखैत छल। ओकर पिता कहैत रहइथ, "हम सब त अहिना रहि गेलहु मुदा हमर सपना अछि जे तोरा सभ के एक दिन बड़का अफसर बनैत देखी।"

मुदा किशोरावस्थाक उमंग में अक्सर होशगर बच्चा सभ सेहो लीक से उतरि जाय अछि आ कोनो गलती क दय अछि। वैह गलती कखनों काल मिस्टेक के रूप मे देखल जाय अछि आ कखनों वैह ब्लंडर कहल जाय अछि। ई संजोग परिस्थिति आ लोकक नजरिया पर निर्भर करय अछि।

लड़कपन के उमइर मे रजनी सेहो एकटा लड़का सँ प्रभावित भऽ गेल छल। लड़कपन के आकर्षण के प्रेम बुझबा के गलती क नेने छल। आई रजनी किताब कॉपी ल क बैसल त छलिह मुदा आई हुनक ध्यान पढ़ाई मे नै लागि रहल छल। जेना हुनक शांत मन के सरोवर मे कियौ बेरमबेर ढेपा फेंक के जलतरंग उत्पन्न क रहल छल। किछू दिन से ओ छौड़ा रजनी के अपन प्रेम पाश मे जकड़ने जा रहल छल। रजनी के बेरम बेर आई दुपहर मे ईस्कूल के टिफिन बेरिया मे भेल गप्प सभ मोन पड़ी रहल छल आ हुनक मोन बेरम बेर कोनो निर्णय तक पहुँच जाय चाहय छल।

हाई ईस्कूल मे टिफिन के समय छल। गाछक छाँह में ओ छौड़ा रजनी संग  बैसल अछि। रजनी अपन किताब मे नजैर गाड़ने छलिह  आ ओ छौड़ा ओकरा संग बैसल बतिया रहल छल। ओ छौड़ा, रजनी पर धीरे-धीरे प्रभाव जमा रहल छल आ अपन जाल फेंक रहल छल।

ओ छौड़ा: (मुस्कुराइत) "रजनी, अहाँ हमर बात बुझैत छी न? अहाँ संग हमर जीवन सगर राति जकाँ सुंदर होयत।"

रजनी: (लजा कऽ) "हमरा ई सब बातक नहि बुझल अछि। हमर परिवार समाज हमरा ई सब गप्प के पर्मिशन नहि दैत अछि।"

ओ छौड़ा: (स्नेहपूर्वक) "रजनी, हमरा लेल सब सँ पैघ अहाँकेँ प्रेम अछि। अहाँक परिवार आ समाज कतबो कठोर हो, मुदा हमरा संग भागि जाउऽ, तखन हम दुनू मिलकऽ सब सँ दूर जाकऽ रहि  सकैत छी।"

रजनी: (संकोच करैत) "मुदा, हमरा बाबूजी आ मायजी के छोड़ि क   ऽ...?"

ओ छौड़ा: (आश्वस्त करैत) "रजनी, अहाँक बाबूजी आ मायजी सदिखन अहाँक खुशी चाहैत छैथ। अहाँ हमरा संग रही, तऽ हमरा दुनू केँ खुशी भेटत। अहाँ हमरा पर विश्वास करू। हम दुनू संग-संग रहब, अपन सपनाक दुनिया बना सकब।"

रजनी: (उत्सुकता सँ) "हमरा एतेक साहस कहाँ सँ आयत? हमरा डर लागि रहल अछि।"

ओ छौड़ा: (अकिझा करैत) "डर की? हम अहाँक संग छी। अहाँ हमरा पर विश्वास राखू। हम अहाँक सबटा सपना पूरा करब। अहाँकेँ कखनो दुख नहि होयत।"

रजनी: (धीरे-धीरे प्रभावित होइत) "तऽ हम अहाँक संग कत जायब?"

ओ छौड़ा: (खुश होइत) "हमरा संग दिल्ली चलू। ओतय हमर ममियौत भाय छथि। हुनक बिजनेस छईक। ओ हमर  मदैत करता। हम दुनू संग-संग रहब, आ खुशी सँ जीब सकब।"

रजनी: (सोचैत) "मुदा, हमर परिवार...?"

ओ छौड़ा: "रजनी, सोचू कि अहाँक खुशी में अहाँक परिवार सेहो खुशी पाओत। अहाँ हमरा पर विश्वास करू। हमरा संग चलू, हम दुनू अपन जीवन खुशी सँ बिताएब।"

रजनी: (धीरे-धीरे सहमत होइत) "ठीक अछि, हम अहाँक संग चलऽ लेल तैयार छी।"

रजनी ओ छौड़ा के चालाकी सँ प्रभावित भऽ कऽ ओकरा संग भागऽ लेल तैयार भऽ जाइत अछि। एतय सँ ओकर जीवनक नाटकीय मोड़ शुरू होइत अछि।

अगिला दिन सौंसे गाम मे हर्बीर्रों उठय अछि जे फलनमा के बेटी कोनो विधर्मी संगे भागी गेल। परिवार मे कन्ना-रोहट पसरल अछि। समाज मे किछू गोटे एकरा राजनैतिक एंगिल द रहल छल त किछू गोटे मामिला के चटकार ल के नाइरेट क रहल छल। जतेक मुँह ततेक बात। किछु सहृदय लोक परिवार के सेहो समहारि रहल छलाह। हारि दारि क परिवार के लोक थाना मे एफ़आईआर क के बैस गेल छलाह।

एमहर रजनी के जीवन जल्दीए नारकीय होमय बला छल। रेल मे बैसल रजनी भविष्य केर सुनहला सपना देख रहल छलिह से जल्दीए एकटा भयावह त्रासदी मे परिवर्तित भ गेल छल। 

स्टेशन पर उतरला के बाद ओ छौड़ा रजनी केँ एकटा कच्ची कालोनी के तंग गली से होइत एकटा कोठरी में ल क पहुंचइत अछि।  ओहिठाम सिगरेट आ दारू के नशा मे मत्त  एकटा दलाल पहले सँ ठाढ़ छल। रजनी आश्चर्य आ भय सँ चारू कात तकैत अछि। वास्तव मे ओ छौड़ा एकटा मानव तस्कर ग्रुप के संगे काज क रहल छल। 

रजनी: ई अहाँ हमरा कत्त ल क आबि गेलहु? ई जगह हमरा ठीक नै बुझना जाय अछि।

ओ छौड़ा: (अग्निशिखा समान आँखि सँ) "अब तोरा बुझा पड़त, असल में हम प्रेम ध्रेम  किछू नहीं बुझय छी, हमरा पैसा सँ मतलब अछि।"

रजनी: (आँखि भरल, काँपैत) "तु हमरा धोखा देलें! हमरा घर छोड़ि अएला सँ पहिने तु एहि सब किएक नहि कहलें?"

ओ छौड़ा (निर्दयी हँसी संग) " ह ह ह ह .... चुप रह! हमरा पैसाक प्रेम अछि। तोरा जकाँ भोला-भाला लोकक इस्तेमाल कऽ कऽ हमरा पैसा मिलैत अछि।"

रजनी: (नोरे झोरे होइत) "हमरा किएक? हम तऽ तोरा सच्चा प्रेम करैत छलहुँ।"

ओ छौड़ा: (गंभीर स्वर में) "प्रेम? ईह!  हमरा लेल प्रेम एकटा खेल अछि, जे हम अपन फायदाक लेल खेलैत छी।"

रजनी: (हथ जोड़ैत) "प्लीज, हमरा छोड़ि देऽ। हम घर वापस जेबाक चाहैत छी। हम तोरा कखनो किछ नहि कहब।"

ओ छौड़ा: (निर्दयतासँ) "चुप! एकरा अपन किस्मत मान आ एहि कोठरी में रहऽ। अब तऽ सब खेल खतम भऽ गेल छौ।"

ओ छौड़ा, रजनी केँ दलालक हाथ सौंपि दैत अछि आ बाहर निकलि जाइत अछि। रजनी केँ कोठरी में बंद कऽ देल जाइत अछि। ओ ज़ोर ज़ोर से चिचिया रहल छलिह, मुदा कियौ सुननिहार नहि।

रजनी: (कोठरी केँ देवाल पर माथ ठोकैत) "बचाउ! कियौ हमरा बचाउ! हमरा एतऽ सँ निकलऽ दियऽ।"

कोठरी में गूँजैत आवाज आ रजनीक कन्नारोहट के  स्वर, मानु कोठरी केँ दरद सँ भरि देने होय। कोठरीक बाहर दलाल कऽ ठहाका आ ओ छौड़ा कऽ निर्दयी हँसी अबै छल। रजनी निराश भऽ कऽ कोठरी में बैस के महादेव के गोहार कर लागल छलिह।

रजनी: "हे महादेव! हमरा एतऽ सँ निकालहऽ। हमर अपराध क्षमा करह।

ओकर आवाज कोठरी कें अँधार में विलीन भऽ गेल छल, मुदा रजनीक आशा खत्म नहि भेल छल।

रजनी के कै दिन ओहि काल कोठरी मे बितल से नहि जानि। साइत ओकरा तस्करी के माध्यम से कोनो दोसर देश ल जेबाक योजना बानि रहल छल। ऐ बीच मे ओकरा हर तरहक प्रतारणा देल जा रहल छल। साइत अपन भाग्य से समझौता क के परिस्थिति के स्वीकार करबाक लेल तैयार कैल जा रहल छल। मुदा एहि बीच मे महदेव चमत्कार केलखिन। एकटा एनजीओ आ दिल्ली पुलिस के ज्व्बाइंट ऑपरेशन से ओय बिल्डिंग पर छापा पड़ल। मानव तस्कर सभ के धर-पकड़ भेल। रजनी सहित कै एक टा किशोरी सभ के ओत्त से रेसक्यू कैल गेल छल। सत्त मोन से कैल गुहार के महादेव अवश्ये सुनय छथीन। रजनी मोने मोन महादेव के कोटि कोटि आभार प्रकट क रहल छलिह। 

रजनी अँधार कोठरी सँ बाहर निकलबाक बाद, एनजीओक कार्यालय में बैसल छलिह। हुनक चेहरा पर राहत आ चिंता दुनू देखाइत द रहल छल। एनजीओक अधिकारी आ पुलिसक अधिकारी ओकरा सँ बात कऽ रहल छल।

एनजीओक अधिकारी: (सहानुभूतिपूर्ण स्वर में) "रजनी, अहाँ आब सुरक्षित छी। हम अहाँ केँ सुरक्षाक साथे अहाँक गाम लऽ जाएब, अहाँक परिवार सँ मिलायब।"

रजनी: (नोर सँ भरल आँखि सँ) "आभार! हम घर जाय लेल लालायित छी। हम अपन परिवार सँ भेंट करऽ चाहैत छी।"

पुलिसक अधिकारी: (सहजता सँ) "रजनी, अहाँक हिम्मतक प्रसंशा करैत छी। अहाँ जे दुख सहलहुँ, तकरा लेल न्याय भेंटत। अपराधी सभ के जहल हेतैक। आब अहाँ के कियौ परेशान नै करत से निश्चिंत रहू।"

रजनी: (डराइत) "मुदा, हमर परिवार आ समाज हमरा स्वीकार करत?"

एनजीओक अधिकारी: (दृढ़ता सँ) " किएक नै? अहाँक परिवार आ समाज अहाँ केँ अपन जीवन मे नव शुरुआत करऽकेँ मौका देत। ई समय अहाँक अछि, रजनी। अहाँ केँ भगवान दोबारा मौका देलक अछि। "

रजनी: (दृढ़ता सँ) "हम हार नहि मानब। हम अपन सपना पूरा करब आ समाज केँ देखायब जे एकटा गलती जीवन केँ समाप्त नहि करैत अछि।"

रजनीक चेहरा पर नवा उम्मीदक झलकि रहल छल । एनजीओ आ पुलिसक सहयोग सँ, ओ अपन भविष्यक नव पन्ना लिखबाक लेल तैयार छलिह। बिहार पुलिस के सहयोग से एनजीओ आ दिल्ली पुलिस रजनी के हुनक गाम वापस ल क पहुंचल छल।

रजनी, एनजीओक अधिकारीक संग गामक चौक पर पहुंचल छलिह। गामक लोगक बीच खुसुर-फुसुर भ रहल छल , आ सब कियो ओकरा देख रहल छल।  रजनीक आँखि में नोर आ पश्चाताप देखल जा सकय छल । रजनी के रेसक्यू के खबर टेलीविज़न आ अखबार के माध्यम से गाम मे पहिनेहे पहुँच गेल छल। गाम मे रंग-रंगक पिहानी आ बात बनाओल जा रहल छल। “विधर्मी संग भागि गेल छौंडी, आवारा अछि....... पता नै कतेक संगे की की कुकर्म केने हैत.... छौंडी कुलकलंकिनी निकलल...... ओकर धर्म आ शरीर सब दूरि भ गेल छैक...... समाज मे एहन एहन के आश्रय देने समाज भ्रष्ट भ जायत....हे नै छोट उमरि छल गलती भ गेले एकटा अवसर सुधर के देबाक चाहिए ... आदि....आदि। अस्तु रजनी के आबय से पहिनेहे गाम मे पंचायत बैसल छल, जै मे ई निर्णय सुना देल गेल छल से रजनी के परिवार ओकरा से सभटा नाता तोड़ि देत। गाम मे ओकरा कोनो आश्रय नै देल जेतय अन्यथा रामसिनेही (रजनी के पिता) के परिवार सहित गाम छोड़ पड़त। रजनी के माय बहुत गिड़गिड़यल छलिह मुदा पंचक निर्णय पर ओकर कोनो प्रभाव नै पड़ल छल। 

राम सिनेही: (दुखी आ विवश स्वर में) "हमरा माफ क दे, रजनी। समाजक दबाव में हमरा ई निर्णय लेबऽ पड़ल।"

रजनी: (नोर सँ भरल, दर्दनाक स्वर में) "बाबूजी, अहाँ सभ हमरा एतेक आसानी सँ किएक त्यागि रहल छी? हम अहाँक बेटी छी, हमरा सँ गलती भेल, मुदा हम सीखि लेलहुँ।"

राम सिनेही: (कांपैत आवाज में) "हमरा समाजक निर्णय मानऽ पड़त। हम अहाँक पिता छी, मुदा समाजक दबाव भारी अछि, सर-समाज के छोड़ि जीवन नै चलि सकय अछि।"

रजनी: (विलाप करैत) "बाबूजी, अहाँ सभ हमरा एकटा अवसर दऽ दिय। हम अहाँ सभक भरोसा टूटऽ नहि देब।"

राम सिनेही: (नोर भरल आँखि सँ) "रजनी, हमरा पाछु छोड़ि कऽ चल जा। भगवान तोरा साथ रहथि।"

रजनी: (दृढ़ता आ संवेदनशीलता सँ) "ठीक छै, बाबूजी। हम बुझय छी समाजक दवाब। जखन समाजक दवाब मे राम जी के सीता माता के त्याग कर पड़ल छल त अहाँ त साधारण मनुखे छी। हम प्रतिज्ञा करैत छी जे अहाँ सभ एक दिन हमरा पर अवश्य गर्व करब ।"

रजनी के माय के कनयत कनयत दाँती लागि गेल छल। मुदा कठोर समाज के हृदय नै पसीझल। अंततः रजनी एनजीओ अधिकारी आ पुलिस के संगे वापस घूरि गेल छल।

एनजीओक अधिकारी: (दृढ़ता सँ) "रजनी, अहाँक संघर्ष आ साहस प्रशंसनीय अछि। अगर समाज अहाँ केँ नहि अपनाबऽ चाहैत अछि, कोनो बात नहि। हमरा सभ के संस्थान अहाँ सन बच्चा सभ के लेल आन व्यवस्था केने छैक।"

रजनीक आँखि में नोर, मुदा चेहरा पर दृढ़ता आ आशा केँ झलक छल। ओ अपन पिताक पैर छू कऽ विदा लैत अछि। एनजीओक अधिकारीक संग चलैत-चलैत ओ नव जीवनक तरफ बढ़ैत अछि। गामक लोगक बीच सन्नाटा, मुदा रजनीक साहस आ दृढ़ता ओकर भविष्य केँ नव दिशा देबाक के प्रयोग मे छल।

एनजीओक अधिकारी ओकरा दिल्ली के एकटा अनाथालय में दाखिला दिया देने छल। रजनी ओय अनाथालय मे रहि अपन अतीतक गलती पर पछताइत छलिह, मुदा ओ जीवन के नव दिशा देबय के प्रयास क रहल छलिह। रजनी ओय अनाथालय के सीमा मे रहि दिन बिताब लागल छलिह। एकटा सरकारी विद्यालय मे हुनकर नाम इंटर मे लिखा देल गेल छल। ईस्कूल, पढ़ाई आ अनाथालय के काज, बस एतबे तक रजनी के जीवन सीमित भऽ के रहि गेल छल।

एहिना दू वर्ष बीत गेल छल। 12वी के परिणाम आयल त दू वर्ष मे पहिल बेर रजनी के चेहरा पर मुस्कान नेने आयल छल। मानविकी स्ट्रीम मे रजनी अपन जोन मे टॉप केने छलिह। परिणाम देख के रजनी के चेहरा पर मुस्कान संगे आंखि मे नोर सेहो आबि गेल छल जे टघरि कऽ ओकर गाल पर पहुँच गेल छल। ओकर अनाथालय के हॉस्टल मे खुशी मनाओल गेल। सभटा बच्चा आ भोलांटियर सब हुनका बधाई देने छल।

रजनी के स्कूल मे सेहो सम्मान कार्यक्रम आयोजित भेल छल जै मे शिक्षा मंत्री रजनी के हुनक उपलब्धि पर सम्मानित करबा के लेल आयल छलाह। रजनी के लेल ई गर्व के क्षण छल मुदा ओकरा साझा करबाक लेल ओकर परिवार रजनी संग नै छल। रजनी आई अपन माय बाबू आ भाई बहिन के मिस क रहल छलिह।

शिक्षा मंत्री : "रजनी, अहाँक संघर्ष आ समर्पण प्रेरणादायक अछि। अहाँक सफलता हमरा सबहक लेल गर्वक विषय अछि। ई लड़की सभ मे एकटा नव सशक्ति आ प्रेरणा के संचार करत ई हमर विश्वास अछि। जीवन मे अहाँ खूब सफल बनी आ देश के विकास के लेल काज करी ई हमर सभक शुभकामना अछि।"

एत्त से आब रजनी के संघर्ष एकटा नव मोड ल लेने छल। रजनी दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश लऽ लैत अछि आ यूपीएससीक तैयारी शुरू करैत अछि। ओ आब अपन पैर पर ठाढ़ भऽ गेल छलिह। दिल्ली विश्वविद्यालय के हॉस्टल मे रहि फ्रीलान्स वर्क करैत ओ अपन पढ़ाई जारी राखय अछि, ओ संघर्ष करैत अछि, मुदा हार नहि मानैत अछि। ऐ बीचे ओकर बीए, एमए पूरा भ जाय छैक मुदा यूपीएससी के लेल संघर्ष अनवरत जारी छैक।

अंततः महादेव के कृपा से ओहो दिन आबय छैक जखन रजनी के चयन यूपीएससी के सिविल सेवा परीक्षा मे भऽ जाय छैक। रजनी अपन हॉस्टल में बैसल अछि आ यूपीएससी परिणाम देखैत अछि। ओ सफल भऽ जाइत अछि।

आय यूट्यूब पर गामक वीडियो देखैत रजनी के मोन बहुत सर्द छैक।

टीवी रिपोर्टर: "रजनी, गामक बेटी, आइ IAऽ बनि गेल छथि। पूरा गाम खुशीयाली मना रहल अछि।"

रजनीक माता-पिता: "हमर रजनी, हमर गर्व अछि। ओकरा संग हमसब जे केलहुँ, ओकरा लेल हम शर्मिंदा छी आ माफी माँगैत छी। मुदा हमर बेटी हमरा लग जे प्रतिजज्ञा केने छलिह से आई पूरा केलिह अछि"

रजनी अपन खिड़की सँ बाहर देखैत अछि। ओकर चेहरा पर संतोष आ गर्वक मुस्कान अछि।

रजनी(मोने मोन): "हम एकटा पैघ गलती कएने छलहुँ, मुदा भगवान हमरा बचा लेलनि। समाज हमर गलती केँ एकटा अपराध जकाँ देखलक, मुदा हम अपन गलती सँ सीखलहुँ आ भगवानक द्वारा देल अवसर केँ सदुपयोग कैल। हे महादेव! एहन गलती कोनो लड़की से नै होमय दिहऽ। आ जौं ककरो से एहन गलती भऽ जाय त ओकर रक्ष रखिह। ओकर गलती के द मिस्टेक तक सीमित करबाक सामर्थ्य आ उदारता तोरा मे छह; नै त समाज त लड़कपन के मिस्टेक के ब्लंडर साबित करबाक लेल सदिखन ठाढ़ रहय छैक"

रजनी जानय छैक जे ओकर संघर्षक कहानी एकटा प्रेरणाक स्रोत अछि, जे चाहे समाज कतबो कठोर किएक नहि हो, मेहनत आ समर्पण सँ कोनो मंजिल पावल जा सकैत अछि। रजनीक जीवनक संघर्ष आ सफलता सबहक लेल प्रेरणा बनय आ ओ लोक सेवक बनि देश के  लोक के निक से सेवा क सकय यैह आशा रजनी के आंखि मे चमकि रहल छल।

-      प्रणव झा (08.07.2024)