अँधियारे जीवन नभ मे
बिजुरी चमक गई तुम !
प्यासे तपते भूतल पर
मेघों सी धमक गई तुम !
सावन झूला झूला जब
बाँहों मे रमक गई तुम !
कजरी बाहर गूंजी जब
श्रुति-स्वर सी गमक गई तुम !
महकी गंध त्रियामा जब
पायल झमक गई तुम !
तुलसी चौरे पर आकार
अलबेली छमक गई तुम !
सूने घर –आँगन मे आ
दीपक सी दमक गई तुम !
(28.01.2008)
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