शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

जीवन नभ मे

 

 

अँधियारे जीवन नभ मे

बिजुरी चमक गई तुम !

 

प्यासे तपते भूतल पर
मेघों सी धमक गई तुम !

 

सावन झूला झूला जब

बाँहों मे रमक गई तुम !

 

कजरी बाहर गूंजी जब

श्रुति-स्वर सी गमक गई तुम !

 

महकी गंध त्रियामा जब

पायल झमक गई तुम !

 

तुलसी चौरे पर आकार

अलबेली छमक गई तुम !

 

सूने घर –आँगन मे आ

दीपक सी दमक गई तुम !

 

(28.01.2008)

 

 

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