शहर का शहर है क़ातिल को बचाने वाला।
कोई यहाँ नाम नहीं क़ातिल का बताने वाला।।
हर कोई कातिल है यहाँ अपने ही खून का,
नाम होता है क्या दंगाई जुनून का!
अंधेरे में छिपे हैं सभी अपने ही गुनाहों से,
कौन है यहाँ सच को सामने लाने वाला?
हर किसी का चेहरा साना है अपने ही खून के छींटों में,
कौन है यहाँ अपना असली चेहरा दिखाने वाला?
जिंदगी की राहों में खंजर लिए घूमते हैं,
हर कोई है यहाँ अपने ही साये से डरने वाला।
कोई यहाँ नहीं है जो सच का आईना दिखाए,
हर कोई है यहाँ बस फरेब का दुकान वाला।
इंसानियत की चादर ओढ़े मुसकुराते हैं सभी,
लेकिन अंदर से हिंसक पशु हैं, भयानक जंगली ।
कौन है जो यहाँ पीड़ितों के क्रंदन सुने,
कौन है यहाँ दर्द की कहानी बताने वाला?
शहर का शहर है क़ातिल को बचाने वाला।
कोई यहाँ नाम नहीं क़ातिल का बताने वाला।।
हर कोई कातिल है यहाँ अपने ही खून का,
नाम होता है क्या दंगाई जुनून का!
हर गली में बिखरे पड़े हैं सुनहरे स्वप्नों के टुकड़े,
कोई नहीं है यहाँ उन्हें जोड़ने वाला।
जुनून का नाम लेकर जलाते हैं शहर को,
कौन है यहाँ दिलों में मोहब्बत जगाने वाला?
सुंदर नकाबों में छिपे हैं यहाँ सब के चेहरे,
कौन है यहाँ असली रूप दिखाने वाला?
खून के धब्बों से सनी हैं शहर की दीवारें,
कौन है अपने पसीने से इन्हें धोने वाला?
शहर का शहर है क़ातिल को बचाने वाला।
कोई यहाँ नाम नहीं क़ातिल का बताने वाला।।
हर कोई कातिल है यहाँ अपने ही खून का,
नाम होता है क्या दंगाई जुनून का!
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