बुधवार, 14 अगस्त 2024

2047 मे हमर सपना के भारत [बाल कविता]

 


2047 मे हमर सपना के भारत

 

सपना के भारत केहन होय

अनमन हमरे जेहन होय

स्वच्छ, सुंदर आर खुशहाल

भेंटये जत्त सबके नेह दुलार।

 

कलकल नदी आ  सुंदर वन

सुंदर धरती आर गगन

नीक नीक  स्कूल, निम्मन घर

भेटय खुशी  जत्त दुनिया भैर ।

 

रंग रंग भोजन, कपड़ा लत्ता

इस्कूल जाय सब धिया पुत्ता

ज्ञान विवेक में सबपर भारी

खेल कूद में रहब अगारी।

 

ज्ञान विज्ञान केर  बात जत्त होय

शोध आ खोज दिन राति जत्त होय

नै ककरो होय किनको भय

सत्या, न्याय के होय  सदिखन जय।

 

दुनिया मे भेटय मान सम्मान

हम्मर  भारत देश महान ।

 

-      प्रणव झा [राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड 13.08.2024]

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