2047 मे हमर सपना के भारत
सपना के भारत केहन होय
अनमन हमरे जेहन होय
स्वच्छ, सुंदर आर खुशहाल
भेंटये जत्त सबके नेह दुलार।
कलकल नदी आ सुंदर वन
सुंदर धरती आर गगन
नीक नीक स्कूल, निम्मन घर
भेटय खुशी जत्त दुनिया भैर ।
रंग रंग भोजन, कपड़ा लत्ता
इस्कूल जाय सब धिया पुत्ता
ज्ञान विवेक में सबपर भारी
खेल कूद में रहब अगारी।
ज्ञान विज्ञान केर बात जत्त होय
शोध आ खोज दिन राति जत्त होय
नै ककरो होय किनको भय
सत्या, न्याय के होय सदिखन जय।
दुनिया मे भेटय मान सम्मान
हम्मर भारत देश महान ।
- प्रणव झा [राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड 13.08.2024]
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