शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

जीवन नभ मे

 

 

अँधियारे जीवन नभ मे

बिजुरी चमक गई तुम !

 

प्यासे तपते भूतल पर
मेघों सी धमक गई तुम !

 

सावन झूला झूला जब

बाँहों मे रमक गई तुम !

 

कजरी बाहर गूंजी जब

श्रुति-स्वर सी गमक गई तुम !

 

महकी गंध त्रियामा जब

पायल झमक गई तुम !

 

तुलसी चौरे पर आकार

अलबेली छमक गई तुम !

 

सूने घर –आँगन मे आ

दीपक सी दमक गई तुम !

 

(28.01.2008)

 

 

गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

उधेड़बुन

 

तेरे मेरे बीच ये शर्म की दीवार खड़ी है

क्या करूँ पर दिल मे बेचैनी बड़ी है

तोड़ना चाहूँ अगर दीवार अकेले मैं

क्या करूँ मुझमे इतनी ताकत नहीं है !

 

पर जो तेरा सहारा मिल जाए मुझको

हौसले छू लेंगे फिर तो बुलंदीयों को

फिर तो हर दीवार गिरा दूंगा मैं

चाहे होना पड़े कुर्बान मुझको ।

 

कुमकुम सुशोभित, साँस थमने से पहले

सजा कर मांग दुल्हन बना लूँगा तुमको

इरादा तो है पर तेरे साथ जीने का मेरा

तेरे ख्वाब मे मेरी हसरतों का हो बसेरा।

 

नहीं तुझको दे सकता चाँद और सितारे

बिछा सकता हूँ पर खुद को राहों मे तुम्हारे

तू इक बार मुझको आजमा कर तो देखो

तेरी हर कसौटी पर खड़ा हो सकता हूँ मैं ।

 

(26.01.2010)