टी.यू. 142 विमान आ आईएनएस कुरसुरा पनडुब्बी के झलक (यात्रा संस्मरण)
समुद्रक
सिहरन भरल लहर सभ आ अनन्त नीला आकाशक संगत विशाखपट्टनम शहर अपन विविधतासँ भरल
आकर्षणक लेल प्रसिद्ध अछि। खास कऽ के औद्योगिक,
व्यापारिक आ सामरिक महत्व के संगम अछि ई शहर। एहि शहर के रामकृष्ण समुद्र तट एकटा आकर्षक
स्थल अछि जतय प्रातः काल आ संध्याकाल मे
सागरक लहरि के देखैत, गिनैत वा ओकरा संगे खेलाइत समय बितेनाई
मोन के किछ काल लेल एकटा सुकून आ सुखद अनुभूति दैत छैक। एना अनुभव होइत छैक जे
सागर के लहर सब भगवान जगन्नाथ के मधुर पावन स्पर्श आ गंध के अपना संग समेटने लऽ
आबि रहल होई। कतेको लोक आ पर्यटक नित प्रातः आ संध्याकाल एहि मनोरम हवाखोरी के
आनंद लैत अछि। एहि बीच हमरो ई आनंद लेबाक अवसर भेटल छल। एहि क्रम मे सागर किनारे
टहलैत बौखैत एकटा आकर्षण के केंद्र देखय मे आयल -
टि.यू. 142 विमान
संग्रहालय आ आईएनएस कुरसुरा पनडुब्बी संग्रहालय। इतिहास, विज्ञान आ वीरताक संगमक जीबैत-जागैत प्रमाण
अछि ई संग्रहालय जे एहि सागर तट पर स्थित छैक। ई संग्रहालय मात्र एकटा ऐतिहासिक
संरचना नहि, बल्कि आकाशीय आ पातालीय रणक्षेत्रमे भारतीय
नौसेनाक अपराजेयता केँ दर्शाबयवला प्रतीक छी। स्वाइत जिज्ञासा भेल त पहुंचलहु हमहु
ऐ संग्रहालय के देखबाक लेल। संग्रहालय मे, बहुत रास गार्जियन
सभ, बच्चा, बुढ़ नौजवान सभ टोली बना बना
कऽ संग्रहालय के अंदर पहुँच रहल छलाह आ ओकरा माध्यम से अपन सेना के वीरता, तकनीकी आ इतिहास के अनुभूति कऽ रहल छलाह।
विशाखपट्टनमक
गौरव: टि.यू. 142 संग्रहालयक
गाथा
विशाखपट्टनमक
रामकृष्ण समुद्र तटक नजदीक
, एकटा अद्वितीय
संग्रहालयक रूपमे टि.यू. 142 विमानक संरचना स्थापित अछि। ई
संग्रहालय मात्र एकटा ऐतिहासिक स्थल नहि, बल्कि भारतीय
नौसेना आ ओकरा गौरवशाली गाथाक जीवन्त दस्तावेज छी। तीन दशक धरि भारतीय महासागरक चौकीदार
आ पाकिस्तानी पनडुब्बी चालकक डरक प्रतीक रहल टि.यू. 142 आइ
विश्रामक अवस्था मे अछि, मुदा ओकरा योगदानक गाथा अखनो
चिरस्मरणीय अछि जे ऐ म्यूजियम के माध्यम स दर्शकक मोन मे जीवंत भ जाय छैक।
1988
मे भारतीय नौसेना द्वारा टि.यू. 142 केँ
अपनायल गेल। एहि विमानक मूल उद्देश्य अमेरिकी पोलारिस पनडुब्बी-क लॉन्च बैलिस्टिक
मिसाइलक परिप्रेक्ष्य मे प्रतिरोध क्षमता बढ़बए छल। ई सोवियत यूनियनक उत्कृष्ट
सामरिक डिज़ाइन छल। एहि गहन गतिक विमानक डिज़ाइन ओहि समयक शीतयुद्धक सामरिक चुनौती
केँ ध्यानमे राखि कयल गेल छल। टि.यू. 142M, जे सोवियत डिजाइन
ब्यूरो द्वारा निर्मित छल, अपन समयक एकटा अग्रणी प्लेटफॉर्म
छल। शीतयुद्धक दौरान, ई विमान रूसी, यूक्रेनी
आ भारतीय नौसेना लेल कार्यरत रहल। भारत लेल, ई विमान विशेष
रूप सँ साझा कएल गेल छल, जे ओय समय मे सोवियतक भारतक संग विश्वासपूर्ण
संबंधक संकेत अछि।
रूसक प्रसिद्ध
ट्यूपोलेव डिज़ाइन ब्यूरोक अद्वितीय कृति टि.यू. 142 के निर्माण 1968 ई. मे भेल छल। ई विमान समुद्री
गश्ती आ लंबा दूरीक पनडुब्बी-रोधी अभियानमे उपयोग कैल गेल छल। भारतीय नौसेनाक सेवा
मे ई अद्वितीय विमान 1988 सँ 2017 धरि
रहल। 'एलोर्सक बहादुर' नाम सँ प्रसिद्ध,
ई विमान अपन समयमे नौसेनाक रीढ़ मानल जाइत छल। एहि इंजन केँ विशेष रूप सँ समुद्री मिशन आ लंबा दूरीक
गश्ती लेल डिजाइन कएल गेल अछि। रात्रिकालीन उड़ान आ ईंधन भरबाक सुविधा लेल विमानक
नाक पर फ्लश लाइट आ ईंधन भरबाक प्रोब लगाओल गेल अछि।
डिजाइन आ संरचना
टि.यू.
142 विमानक
डिज़ाइन मात्र एकटा युद्धक यंत्र नहि, बल्कि एकटा
इंजीनियरिंग चमत्कार छी।
- आकार
आ माप:
- विंगस्पैन:
51.1 मीटर।
- लंबाई:
49.5 मीटर।
- ऊँचाई:
12.12 मीटर।
- प्रोपेलर व्यास:
5.6 मीटर।
- इंजन: चारि कुज़नेत्सोव NK-12MV
टर्बोप्रॉप, जे 14,795 HP शक्ति उत्पन्न करैत अछि।
- गति: 925 किमी/घंटा।
- सेवा
सीमा: 13,000 किमी बिना ईंधन भरने।
शक्ति आ क्षमता
ई विमान अपन अत्याधुनिक सेंसर सभ
, सोनार बुई आ मैग्नेटिक एनोमली डिटेक्टरक मददसँ पनडुब्बीक
खोज आ नाश करबाक कार्य करैत छल।
- ऑपरेशन
अवधि: 10.5 घंटा तक निरंतर निगरानी।
- आयुध:
- टॉरपीडो, बम आ डीप चार्ज।
- DK-12
गन सिस्टम, जे 23 मिमी
AM-23 तोप सँ लैस अछि।
टि.यू. 142
भारतीय नौसेना लेल मात्र एकटा युद्धक साधन नहि, बल्कि रणनीतिक महत्त्वक एकटा अचूक हथियार बनल।
इतिहासक गौरवगाथा
1.
समुद्री गश्ती आ
पनडुब्बी शिकार: विमान कर्शुन-के खोज प्रणाली,
एमएमएस-106 लादोगा
मैग्नेटोमीटर, आ सक्रिय आ निष्क्रिय सोनार
बुई सँ लैस छल। ई पनडुब्बीक हलचल केँ सटीकता सँ पकड़बाक क्षमता रखैत अछि।
2.
मिशनक अवधि:
एक बेरक उड़ानमे 16 घंटा तक निरंतर गश्ती कएल
जा सकैत अछि।
3.
सक्रिय योगदान:
कारगिल युद्ध आ विभिन्न समुद्री अभियानमे अपन महत्वपूर्ण भूमिका
निर्वाह केलक।
4.
ई विमान भारतीय
महासागरक प्रहरी बनल, जे भारतीय
तटीय सुरक्षा आ पनडुब्बी विरोधी ऑपरेशनक अभिन्न हिस्सा छल।
5.
2017 मे,
ट्रोपेक्स अभ्यासक दौरान, एकटा टि.यू. 142
विमान 53 घंटाक उड़ान रिकॉर्ड कएलक।
6.
एहि विमान केँ
भारतमे ‘अल्बाट्रॉस’ आ ‘महासागरक
प्रहरी’ कहल जाएत अछि।
भारतक
नौसेनामे टि.यू. 142 कए शामिल करब
समुद्री सुरक्षा लेल क्रांतिकारी साबित भेल। ई विमान पनडुब्बीक खोज आ नष्ट करबाक
लेल आवश्यक सोनार
बुई सिस्टम आ उन्नत मैग्नेटिक
एनॉमली डिटेक्टर सँ सज्जित छल। कारगिल युद्ध आ भारतीय महासागरक
रणनीतिक मिशनमे एहि विमानक महत्त्वपूर्ण भूमिका रहल।
आईएनएस
विक्रमादित्यक सहकार्य सँ चलैत एहि विमानक अभियान भारतीय समुद्री सीमा केँ अजेय
बना देने छल। 2017 मे जखन ई विमानक सेवा समाप्त
भेल, तखन भारतीय नौसेनाक इतिहासमे एकटा स्वर्णिम अध्याय बंद
भेल।
संग्रहालयक निर्माण आ वर्तमान स्वरूप
टि.यू. 142
केँ सेवा समाप्तिक बाद विशाखपट्टनमक समुद्री तट लग संग्रहालयमे
परिवर्तित कएल गेल। 2017 मे ई संग्रहालय आम लोकक लेल
उद्घाटित भेल। एतय ई विमान केँ एहन तरहेँ स्थापित कएल गेल अछि, जहि सँ आगंतुक सभ विमानक अंदर आ बाहर दुनूक अनुभव कऽ सकैत छथि।
संग्रहालयक मुख्य आकर्षण सभ:
1.
इंटरएक्टिव डिस्प्ले:
संग्रहालयमे विमानक अंदर जँका संरचना राखल गेल अछि, जतय आगंतुक सभ केँ सोनार सिस्टम, रडार आ विमानक
इंजिन संचालनक अनुभव होइत अछि।
2.
विमानक अंदरक यात्रा:
विमानक अंदरक हिस्सा देखबाक व्यवस्था अछि, जतय
तकनीकी उपकरण सभ आ पाइलटक केबिनक साक्षात अनुभव होइत अछि।
3.
थीम पार्क:
संग्रहालय लग एकटा थीम पार्क सेहो अछि, जतय
बाल-बच्चा सभ केँ विमानक मॉडलक संग ज्ञान प्राप्त करबाक अवसर भेटैत अछि।
संग्रहालय मे घुमैत हमर नजर एकटा इंटरएक्टिव डिस्प्ले पर पड़ल जाहि मे
भारतीय सेना द्वारा देल जाय बला विभिन्न चक्र आ मेडल के डिजाइन के खिस्सा जांबाक
अवसर प्राप्त भेल
सावित्रीबाई
खानोलकर: पराक्रमक प्रतीकक सृजिता
सावित्रीबाई
खानोलकर (जन्म: ईव इवोन मडाय डे मारोस
, 20 जुलाई
1913 – 26 नवम्बर 1990) स्विस-भारतीय
डिजाइनर छलीह, जे भारतीय सेनाक सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परम वीर चक्रक
डिजाइनर रूपमे प्रसिद्ध छथि। ई पुरस्कार युद्धक समयमे असाधारण पराक्रम देखेनिहार
वीर सैनिक सभ केँ प्रदान कएल जाइत अछि। सावित्रीबाई खानोलकर अनेक महत्वपूर्ण वीरता
पदकसभक डिजाइन सेहो कएलनि, जइसमे अशोक चक्र (AC), महावीर चक्र (MVC), कीर्ति चक्र (KC), वीर चक्र (VrC) आ शौर्य
चक्र (SC)
शामिल अछि। ओ 1947
केर जनरल सर्विस मेडलक डिजाइन
सेहो कएलनि, जे 1965 धरि उपयोग कएल
गेल। सावित्रीबाई एकटा कुशल चित्रकार आ कलाकार सेहो छलीह।
सावित्रीबाई
खानोलकरक जन्म ईव
इवोन मडाय डे मारोस नामसँ न्यूशाटेल,
स्विट्जरलैंडमे
20
जुलाई 1913 केँ भेल छल। 1932 मे ओ भारतीय सेना केर कैप्टन (बादमे मेजर जनरल) विक्रम रामजी खानोलकरसँ
विवाह कएलनि। विवाहक बाद ओ सावित्रीबाई
खानोलकर बनलीह, हिंदू धर्म अपनएलनि आ भारतीय
नागरिकता प्राप्त कएलनि। भारतक स्वतंत्रताक बाद, भारतीय
सेनाक एडजुटेंट
जनरल मेजर जनरल हीरा लाल अटलक अनुरोधपर सावित्रीबाई केँ भारतक
सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परम
वीर चक्रक डिजाइन करबाक जिम्मेदारी देल गेल। मेजर जनरल अतल केँ
विश्वास छल जे भारतीय संस्कृति, संस्कृत आ वेदसभमे
सावित्रीबाईक गहन ज्ञान एहि पुरस्कारक डिजाइनमे वास्तविक भारतीय भावना समाहित करत।
परम
वीर चक्रक डिजाइन भारतीय संस्कृति आ
पराक्रमक प्रतीक छी। एहि चक्रक रूपमे चक्रवर्ती सम्राट अशोकक सिंहासनपर उकेरल
चक्रक प्रतीकक उपयोग कएल गेल अछि। ई डिजाइन युद्धमे वीरताक अद्वितीय भावनाक
प्रतिनिधित्व करैत अछि।
सावित्रीबाईक बड़का
बेटी कुमुदिनी शर्माक देवर मेजर
सोमनाथ शर्मा (4 कुमाऊँ
रेजिमेंट) भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947क दौरान 3 नवम्बर 1947 केँ कश्मीरमे वीरगतिक प्राप्त कएलनि।
हुनका मरणोपरांत पहिल परम
वीर चक्र प्रदान कएल गेल। ई संयोग सावित्रीबाईक जीवनक वीरताक
इतिहासमे एकटा अद्वितीय स्थान बनाबैत अछि।
एहि संग्रहालयक यात्रा कए संपूर्ण रूपेँ ऐतिहासिक, तकनीकी आ सांस्कृतिक अनुभवक संग जोड़ल
जा सकैत अछि।
- समय:
संग्रहालय सप्ताहक सातो दिन 2 बजे दुपहर से 9 बजे राति धरि खुलल रहैत अछि।
- प्रवेश
शुल्क: 100 रु० मे टीयू 142 आ आईएनएस कुरसुरा दुनु संग्रहालय के संयुक्त टिकट
भेटय अछि। बच्चा लेल ई दर आधा भ जाय छैक।
विशाखपट्टनमक
रत्न: आई.एन.एस. कुरसुरा संग्रहालयक गाथा
विशाखपट्टनमक
समुद्र तटपर स्थित आई.एन.एस. कुरसुरा संग्रहालय सेहो एकटा आकर्षक स्थल छी
,
जतऽ आधुनिक सैन्य इतिहास, नौसेनाक गौरव आ
समुद्री अभियानीक अद्भुत संगम देखल जा सकैत अछि। ई संग्रहालय भारतीय नौसेना आ
पनडुब्बी अभियानीक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज छी, जेकरा
देखबाक संग अहाँक मनमे अद्भुत गर्व आ प्रेरणा उत्पन्न होइत अछि।
आई.एन.एस.
कुरसुरा (एसएसके 42) सोवियत संघक
फॉक्सट्रॉट-क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी छल। 18 दिसंबर 1969
केँ भारतीय नौसेनाक हिस्सा बनल ई पनडुब्बी 31 वर्षक
सेवा प्रदान कएलक। भारतीय महासागरक प्रहरीक रूपमे ई पनडुब्बी कईटा प्रमुख अभियानमे
हिस्सा लेलक, जइसँ भारतीय नौसेनाक सामरिक शक्ति आ रणनीतिक
क्षमताक प्रदर्शन भेल।
1971 केर युद्ध आ सेवाक उपलब्धि
कुरसुराक
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 मे अहम भूमिका
रहल। एहि युद्धमे ई पनडुब्बी गुप्त गश्ती मिशनसभमे शामिल रहल, जे भारतीय नौसेनाक रणनीतिक सफलतामे योगदान देलक। बादमे ई विभिन्न नौसैनिक
अभ्यासमे हिस्सा लेलनि, जइमे दोसर देशसभक संग सहकार्य सेहो
कएल गेल। कुरसुरा अनेक अवसर पर अन्य देशसभक "गुडविल" भ्रमण सेहो कएलक।
महत्वपूर्ण सेवा अवधि
- 1971 केँ भारत-पाक
युद्ध: कुरसुरा
पनडुब्बी युद्धक समय भारतीय तटीय क्षेत्रक सुरक्षा सुनिश्चित करबाक
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभेलक।
- शांतिपूर्ण गश्ती:
समुद्रक विभिन्न क्षेत्रमे निगरानी आ भारतीय समुद्री सीमा पर
सुरक्षा प्रदान करबाक कार्य करैत रहल।
22 फरवरी
2001 केँ सेवा समाप्तिक बाद, एहि
पनडुब्बी केँ विशाखपट्टनमक समुद्र तटक संग्रहालयमे बदलल गेल, जाहिसँ आम जनता एहि सैन्य गौरवक अनुभव कऽ सकए।
कुरसुराक संरचना आ क्षमता
- लंबाई:
91.3 मीटर।
- चौड़ाई:
8 मीटर।
- ड्राफ्ट:
6 मीटर।
- विस्थापन:
- सतह पर: 1,950
टन।
- जलमग्न अवस्था मे: 2,475
टन।
- गति:
- सतह पर: 16
नॉट।
- जलमग्न अवस्था मे: 15
नॉट।
- पावर सिस्टम:
डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन, जइसँ सतह पर
यात्रा करबाक संग-संग जलमग्न अवस्थामे शक्ति प्रदान होइत अछि।
आयुध आ क्षमता
- टॉरपीडो ट्यूब:
10टा टॉरपीडो ट्यूब (छहटा अगिला आ चारि पिछला)।
- गहराई क्षमता:
250 मीटर धरि जलमग्न यात्रा।
- क्रू सदस्य:
77 सदस्यक क्षमता, जइमे अधिकारी आ नाविक
दुनू शामिल छथि।
संग्रहालयक वर्तमान रूप: ऐतिहासिक धरोहरक पुनरुद्धार
डीकमीशनिंगक
बाद,
9 अगस्त 2002 केँ आंध्र प्रदेशक मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू
एहि पनडुब्बी केँ राष्ट्रक प्रति समर्पित कएलनि। 24 अगस्त 2002
केँ एहि केँ सार्वजनिक संग्रहालयक रूपमे विशाखापट्टनमक आर.के. बीच पर
राखल गेल। ई अपन अंतिम यात्रा विशाखापट्टनम धरि पूरा कएलक आ ततबे समयसँ ई
पर्यटकसभक लेल एक अद्वितीय आकर्षण बनि गेल। आई.एन.एस. कुरसुरा संग्रहालय केवल एकटा
युद्धपोत नहि, बल्कि भारतीय नौसेनाक साहस, शौर्य आ समर्पणक जीवंत दस्तावेज छी। एहि संग्रहालयमे लोक अपनहि आँखिसँ
पनडुब्बीक अंदरक जीवन आ संचालनक जटिलता केँ देख सकैत छथि। कुरसुरा दुनियाक ओहि
पनडुब्बीसभमे सँ एक छी जे संग्रहालय बनलाक बादो अपन मूल रूपमे संरक्षित अछि।
विशाखापट्टनमक "जरूर देखय योग्य" गन्तव्यक रूपमे ई प्रसिद्ध अछि। खास
बात ई अछि जे डीकमीशन कएलाक बावजूद, कुरसुरा केँ भारतीय
नौसेनाक "ड्रेसिंग शिप" सम्मान देल जाइत अछि, जे
सामान्यतः सक्रिय जहाजसभकेँ देल जाइत अछि।
प्रमुख आकर्षण
1.
पनडुब्बीक आंतरिक
भागक अनुभव:
आगंतुक सभ के पनडुब्बीक संकुचित गलियारा, नियंत्रण
कक्ष, सोनार प्रणाली आ टॉरपीडो कक्षक निरीक्षण सद्यह करबाक
अवसर भेटय छैन।
2.
डिजिटल प्रदर्शन आ सूचना
केंद्र:
संग्रहालयमे आधुनिक डिजिटल स्क्रीन आ मल्टीमीडिया प्रदर्शनक माध्यम
सँ पनडुब्बीक इतिहास आ योगदान पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कएल जाइत अछि।
3.
नौसैनिक जीवनक झलक:
संग्रहालयमे नौसैनिक क्रूक दैनिक जीवन, चुनौती
आ संग्रामक अनुभवक झलक सेहो देखायल जाइत अछि।
ई संग्रहालय
मात्र एकटा ऐतिहासिक स्थल नहि, बल्कि भारतीय
रक्षा प्रणालीक प्रति लोकक जागरूकता आ गर्वक भावना जगबैत अछि। यदि अहाँ
विशाखपट्टनम जाएब, तऽ एहि संग्रहालयक यात्रा जरूर करू।
[प्रणव
कुमार झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली