सोमवार, 24 मार्च 2025

मैं सोता तेरा हूँ, तू है अंब मेरी जननी जाया

 

इस मही पर माँ तुझसे बढ़कर न कुछ पाया

मैं सोता तेरा हूँ,  तू है अंब मेरी जननी जाया।

तेरी कृपा की अंशु सतत मुझे सन्मार्ग दिखाए

अडिग रहूँ सच के पथ पर, जितने ही संकट आए।

 

तूने दिया बहुत कुछ मैया, तुझको कैसे लौटाऊँ?

नाम तेरा लेकर जग मे कुछ ऊंचे करतब दिखलाऊँ।

मेरा जग मे कोई नहीं, फिर भी जग से नहीं है गिला

मेरे लिए तो सबसे बढ़कर, जो भी तेरी कृपा से मिला।

 

तेरे आँचल की छाया में हर दुख को भूल गया,

तेरी ममता के सागर में जीवन का मोती पाया।

संकट की आँधी मे भी दीपक सा मैं जलता रहूँ,

तेरी भक्ति का संबल ले बाधाओं को कुचलता रहूँ।

 

तेरी चरणों की धूल से बढ़कर मुझको चंदन न भाए,

तेरे चरणों की सेवा में अपना जीवन तन्मय हो जाए।

मेरे सर से कभी न उठाना माता तू अपनी साया

जो भी पाया, जैसा पाया, माता बस तुझसे पाया।

 

-     प्रणव झा 11.10.2009

गुरुवार, 20 मार्च 2025

एथन-17 (लघु गल्प)

 

एथन-17 (लघु गल्प)

साल 2050। पृथ्वी आब पहिने जेकाँ नहि रहल। आकाश बैंगनी धुंध सँ भरल छल।  हवा मे एकटा तीखगर गंध, आ जमीनक बंजर भूमि मानू कराहि रहल छल। वैज्ञानिक प्रगति अपन चरम पर छल, मुदा इ सभ पर्यावरण केर विनाशक कीमत पर भ रहल छल। तापमान 60 डिग्री सेल्सियस धरि पहुँचि गेल छल, शुद्ध पानी एकटा विलासिताक वस्तु बनि गेल छल आ पृथ्वी अपन अन्तिम सांस गनैत छल।

एहि ग्रह के मिथिला क्षेत्र मे बसैत छल 16 वर्षीय सव्यसाची मिश्र  - विज्ञान केर विद्यार्थी, जकरा सदिखन लगैत छल जे ओकर पीढ़ी केर कोनो भविष्य नहि अछि। एक राति, जखन ओ अपन कोठलीक झियरी सँ बाहर तकलक, एकटा चमकैत बुल्लू प्रकाश देखलक। पहिने त ओ सोचलक जे ई कोनो ड्रोन हेतैक, मुदा जखन ओ प्रकाश ओकरा दिस तेज़ीसँ बढ़ल, ओकर हृदय जोरसँ धड़कय लागल।

अचानक, एकटा तीव्र आवाज भेल, आ ओकर कोठली बुल्लू उजास सँ भरि गेल। जखन सव्यसाची अपन आँखि खोललक, ओ एकटा अजीब ठाम पर पहुँचि गेल छल - चमकैत काँच जेकाँ देवाल, हवा मे हेलईत यंत्र सभ, आ ओकरा आगा ठाढ़ एकटा रहस्यमयी व्यक्ति।

"हम भविष्य सँ आयल छी," ओ व्यक्ति बाजल। "हमरा एथन-17 कहल जाइत अछि। हम कृत्रिम बुद्धि सँ बनल उन्नत मानव छी।"

सव्यसाची स्तब्ध छल। "ई सभ की अछि? अहाँ हमरा एहिठाम किएक अनने छी?"

एथन-17 एकटा स्क्रीन देखेलक - साल 2125। बंजर धरती, विषाक्त हवा, उजड़ल नगर। "ई तँ हमरे पृथ्वी जेकाँ लागत अछि!" सव्यसाची अवाक भेने फूजल मुँह पर हाथ रखने बाजल।

"हाँ, मुदा ई भविष्य अछि, अहाँ सबहक अपन वर्तमानक गलत निर्णयक कारण निर्मित भविष्य। जँ 2050 मे ऊर्जा केँ सही ढंग सँ उपयोग नहि कैल गेल, 75 साल बाद पृथ्वी माटि केर धूलि मे विलीन भ जायत।"

सव्यसाची काँपि उठल। "तखन हम की क सकैत छी? हम तँ बस एकटा साधारण छात्र छी।"

सव्यसाची के याद पड़ल जे हुनकर बाबा बताबय छलखिन जे हुनकर नेनपन मे ऊर्जाक उपयोग बहुत सीमित छल आ सोचि समझ के कैल जाय छल। एसी के प्रयोग बहुत सीमित छल आ 2-3 मास धरि कैल जाय छल। हुनकर नेनपन से लऽ कऽ बुढ़ारी तक नगरक त बाते छोडु गाम वन सब ठाम गाछक अंधाधुंध कटाई भेल, गाछ-वृक्ष के संख्या मे बुलेटक गति से कमी आयल। तालाब-पोखइर के त बाते छोडु, नदी-झील क्षेत्र सभ पर्यंत मे खूब अतिक्रमण भेल आ ओकरा संकुचित कय, मारि कय नगर-कस्बा, कालोनी आदि निर्मित भेल। जै के असर छैक जे आई आकास एहन बैंगनी देखाई छैक, पारा 60 पर पहुँच जाय छैक। बाबा गोटैक बेर सव्यसाची से कहय छलाह जे ई धरती अपन सबहक माय छथीन। आई धरती माय कराहि रहल छथीन। आब तोहीं सभ हिनका बचेबाक लेल किछु करबह त बचती नै त कहल नै जा सकय अछि जे कहिया प्रलय आबि जाय। सव्यसाची कहय छलाह - "हम की क सकैत छी? हम तँ बस एकटा साधारण छात्र छी।" तै पर बाबा कहय छलखिन हौ, तों सव्यसाची छहक। सव्यसाची मतलब बुझय छहक – दुनु हाथ सँ तीर चलाबय मे निपुण, भगवान कृष्णक शखा अर्जुन। हौ, अर्जुन ओय युग मे जल, वायु अग्नि पराभूत कऽ नेने छलाह, आब तोरो सभ के पीढ़ी के पृथ्वी के बचा लेबाक बीड़ा उठा लेबाक चाहि, किएक त हमर सबहक आ तोहर माय-बापक पीढ़ी एकर प्राण लेबा मे कोनो कसर नै छोडलक।

सव्यसाची अपन यादक कोठली से तखन बाहर निकललाह जाखन एथन-17 एकटा चमकैत चिप सव्यसाची केँ देलक। "ई क्वांटम ग्रीन कोड अछि। अहाँ केँ ई अपन नगर केर मुख्य ऊर्जा प्रणाली मे अपलोड करय पड़त। ई कोड प्रदूषण कम करत, ऊर्जा बचत आ पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन बना कय राखत। मुदा अहाँ केँ सतर्क रहबाक चाही, कारण जे  ब्लैक गियर नामक गुप्त संगठन अहाँ केँ रोकबाक भरिसक प्रयास करत।"

सव्यसाचीक दिमाग मे हजारों सवाल उठय लागल, मुदा ओ जानि गेल छल जे आब कोनो दोसर विकल्प नहि छल। ओकरा अपन पृथ्वी के बचेबाक छल। ओ अपन मिशन पर निकलि पड़ल।

राति गहिरायल छल। नगरक गली मे सव्यसाची अपन साइबर गॉगल्स लगा क धीरे-धीरे बढ़ि रहल छल। ओकरा ज्ञात छल जे ब्लैक गियरक एजेंट सभ चारू दिशि पसरल छैक। अचानक, ड्रोन सभ ओकरा ट्रैक केनाइ शुरू केलक। सव्यसाची बचबाक लेल एकटा पातर गली मे कूदि पड़ल।

"सव्यसाची, अहाँ बचि नहि सकैत छी!" एकटा धात्विक आवाज गूँजल छल। ब्लैक गियरक सिपाही ओकरा घेरि चुकल रहय।

सव्यसाची अपन बैग सँ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (EMP) उपकरण निकाललक, जे ओ अपन विज्ञानक ज्ञान सँ तैयार केने छल। एकटा बटन दाबिते, सभ ड्रोन आ रोबोटिक गार्ड्स ठप्प भ गेल। सव्यसाची जल्दी सँ ऊर्जा केंद्र दिशि दौड़ि पड़ल।

ऊर्जा केंद्र पहुँचलाक बाद सव्यसाची क्वांटम ग्रीन कोड केँ सिस्टम मे अपलोड केलक। सेकेंड भर मे स्क्रीन पर हरियर रोशनी चमकल, आ अचानक वातावरण मे बदलाव देखाइ पड़य लागल। हवा शुद्ध भ रहल छल, तापमान धीरे-धीरे घटि रहल छल, आ जंगल वापस पसरय लागल।

एथन-17 फेर प्रकट भेल आ मुस्कुराइत बाजल, "अहाँ भविष्य केँ बदलि देलहुँ, सव्यसाची। आब मनुष्य केँ अपन गलती सँ सीखय पड़त। विज्ञान केवल प्रगति लेल नहि, बल्कि पृथ्वी केर संतुलन बनबैक साधन सेहो छी।"

सव्यसाची राहत केर साँस लेलक। ओ बुझि गेल छल जे भविष्य बदलब संभव अछि - अगर पृथ्वी के लोक सभ सही समय पर सही कदम उठाबय। एतबे मे सव्यसाची के नींद फूजल। देखलक जे माई ओकरा उठा रहल छलिह। राति ओ अपन घरक निजी प्रयोगशाले मे अध्ययन करैत सुति रहल छलाह।

-      प्रणव झा [12-03-2025]