दोस्त
कभी रूठें कभी मन जाए जो वो दोस्त होते हैं
मुसीबत में तो काम आए जो वो दोस्त होते हैं।
अति है ये कलयुग की, कहावत यूँ भी बन जाए
गज़ब है दोस्ती अब की कमीने दोस्त होते हैं।।
हमारी याद के पेन ड्राइव में बैठे दोस्त होते हैं
तरक्की के अहं में कई बार ऐंठे दोस्त होते हैं।
सुदामा जैसे होती है झिझक मिलनेमें जिससे वो
कन्हैया की तरह के भी तो कोई दोस्त होते हैं।।
सुदामा को मिले मोहन तो ऐसे दोस्त होते हैं
मिले जो कर्ण दुर्योधन तो ऐसे दोस्त होते है।
मिशाल है दोस्ती की कभी केवट और रघुवर
द्रुपद और द्रोण भी तो अक्सर दोस्त होते हैं।।
फकीरी मेंभी दिख जाए, लग जाओ गले झट से
जरुरत पर पुकारे जो तो पहुँच जाओ झटपट से।
अमीरी और गरीबी तो बस हालात के है खेल
कहीं इनसे बहुत बढ़कर हमारे दोस्त होते हैं।।
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