सोमवार, 24 मार्च 2025

मैं सोता तेरा हूँ, तू है अंब मेरी जननी जाया

 

इस मही पर माँ तुझसे बढ़कर न कुछ पाया

मैं सोता तेरा हूँ,  तू है अंब मेरी जननी जाया।

तेरी कृपा की अंशु सतत मुझे सन्मार्ग दिखाए

अडिग रहूँ सच के पथ पर, जितने ही संकट आए।

 

तूने दिया बहुत कुछ मैया, तुझको कैसे लौटाऊँ?

नाम तेरा लेकर जग मे कुछ ऊंचे करतब दिखलाऊँ।

मेरा जग मे कोई नहीं, फिर भी जग से नहीं है गिला

मेरे लिए तो सबसे बढ़कर, जो भी तेरी कृपा से मिला।

 

तेरे आँचल की छाया में हर दुख को भूल गया,

तेरी ममता के सागर में जीवन का मोती पाया।

संकट की आँधी मे भी दीपक सा मैं जलता रहूँ,

तेरी भक्ति का संबल ले बाधाओं को कुचलता रहूँ।

 

तेरी चरणों की धूल से बढ़कर मुझको चंदन न भाए,

तेरे चरणों की सेवा में अपना जीवन तन्मय हो जाए।

मेरे सर से कभी न उठाना माता तू अपनी साया

जो भी पाया, जैसा पाया, माता बस तुझसे पाया।

 

-     प्रणव झा 11.10.2009

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