सोमवार, 27 जनवरी 2025

सत्यनिष्ठाक संस्कृति (मैथिली लघु कथा)

 

 

सत्यनिष्ठाक संस्कृति (मैथिली लघु कथा)

गाँव के महावीर चौक पर नवयुवक सबहक जुटान लागल छल। बड़का पीपर गाछ तर बाँसक मचान पर किछु गोटे बैसल छल, किछु नीचा मे ठाढ़ भेल। बगल मे मुखियापुत्र सेहो अपन नबका इलैक्ट्रिकल स्कूटी के हेंडिल धेने ओकर सीट पर अपन पोन उचकौने अपन उपस्थिती दर्ज करेने छल।

गप्प सप्प के मध्य नदी आ घाट केर चर्च उठल। नदी मरल जाय ये! घाट जियान भेल जाय य!

एकटा युवा – पहिने नदी मे कतेक धार रहय छलय, आब नदी बर्बाद भऽ गेल अछि। सगरो खाली कुंभिए टा नजर आबय अछि। कहियो गामक जीवन रेखा आब मरणासन्न भेल जा रहल अछि।

दोसर युवा – तोरा की लागय छौ? अखनो खेती ले जीवन रेखा छै। देखिहें नदी मरला के 5-10 वर्ष बाद खेती पर कतेक दुष्प्रभाव पड़तई से। सरकार के, जल मंत्रालय के एहि दिशा मे सोचबा - करबा के दरकार छै।

तेसर युवा – जा लोकल गवर्नेंस आ गौंआ सभ के नदी के मृतप्राय हेबाक चिंता नै हेतय के सरकार की करत? देखय छहि जे घाट तक नै साफ करबय छय पाबनि लेल। जखन की सरकार से एकरा लेल फंड भेटते हेतय। 

चारिम युवा – हाँ। (मुखियापुत्र के लक्षित करैत) लोकल नेता त सामनेहे ठाढ़ छैक। पहिने कतेक रास कऽल गड़ाई छल तै मे पाई मारल जाय छल आब सुनय छिये जे समरसिबुल बैसाबय मे पाई मारल जाय छै।

मुखियापुत्र (प्रतिउत्तर मे) – रे! सब एत्त माले कमाय लेल बैसल छै। तूँ जे दरोगा बनलही य से तुहों त घूस खाय छही से! सब त एहिना समृद्धि क रहल छैक।

चारिम युवा (पुनः अठनिया मुस्कान के संग)  - हाँ,? ओय पाई के कोनो रिकॉर्ड त नै रहय छय। तोहर सबहक योजना बला पाई के त रिकॉर्ड रहय छै।

बगले मे ठाढ़ मनोहर के ई सब गप्प सुनि कऽ 5 दिन पहिने सतर्कता जागरूकता सप्ताह (Vigilance Awareness Week) के अवसर पर “सत्यनिष्ठाक संस्कृति से राष्ट्र केर समृद्धि” विषय पर कार्यालय मे आयोजित गोष्ठी आ ओत्त देल गेल स्पीच सभ मोन पड़ि गेलय। हुनका मोने मोन विषादात्मक हँसी लागि गेलइन। सोचय लगलाह देश मे यैह छैक सत्यनिष्ठाक संस्कृति!

 

-      प्रणव झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली (देवउठाउन एकादशी 2024)

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