सीए नरेंद्र झा के नाम मिथिला आ मैथिली के लेल समर्पित एकटा एहेन लोक के रूप में लेल जा सकय अछि जिनकर लेखनी अङ्ग्रेज़ी आ मैथिली भाषा के माध्यम से मिथिला के संप्रति ज्वलंत समस्या सभ के उठेलक अछि। एकटा चार्टर्ड अकाउंटेंट होय के संग संग ओ मिथिला के इतिहास, संस्कृति आ आर्थिक विकास के प्रबल पक्षधर रहलाह अछि।
हुनकर चर्चित पुस्तक "मिथिला राइजिंग" मिथिलांचल के सर्वांगीण विकास आ ऐ क्षेत्र के एकटा अलग राज्य के रूप में स्थापित करबाक मांग के बुलंद करईत अछि। पुस्तक में श्री नरेंद्र झा ऐ बात पर विस्तार से प्रकाश देने छैथ कि कै तरहें लगातार उपेक्षा के कारण मिथिला विकास के रेस मे पिछड़ल अछि आ एकटा अलग राज्य बनने कै प्रकार से ऐ क्षेत्र के विकास हेतय आ मिथिला कै प्रकार से राष्ट्र निर्माण में सेहो अपन महत्वपूर्ण योगदान द सकय अछि।
नरेंद्र झा जी क जन्म 1934 में दरभंगा जिला के तरौनी गाम मे भेल छल। तरौनी संजोग से हमर मातृक सेहो अछि। ई गांव संस्कृत अध्ययन के एकटा प्राचीन केंद्र रहल अछि। हुनकर पिताजी विद्यावाचस्पति पंडित उपेंद्र झा सेहो एकटा उद्भट संस्कृत विद्वान छलाह जिनका राष्ट्रपति पुरस्कार से सेहो सम्मानित कैल गेल छल। ऐ गाम से कैएक टा उद्भट विद्वान बहरायल छैथ। एहन वातावरण में पलल-बढ़ल नरेंद्र जी के मिथिलाक समृद्ध परंपरा विरासत में भेंटल छल । यैह कारण छैक जे हुनकर लेखन में मिथिला क्षेत्र के उत्थानक गहिर संदेश निहित रहल अछि।
अपन शिक्षा गांव से शुरू केला के बाद ओ उच्च शिक्षा के लेल दरभंगा एलाह आ फेर कलकत्ता में चार्टर्ड अकाउंटेंट बनए लेल गेलाह। कलकत्ता में 10 साल तक अभ्यास करबाक पश्चात ओ 1975 में पटना आबि गेलाह। ओ 1996 मे इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के पटना शाखा के अध्यक्ष सेहो बनल छलाह।
मिथिला-मैथिली के काज मे श्री नरेंद्र झा जी 1954 से लागि गेल छलाह जखन ओ इंटर कॉमर्स के परीक्षा पास केने छलाह। एही काज के लेल हुनका डॉ० लक्ष्मण झा आ डॉ० लक्ष्मीनारायण सिंह सन दिग्गज के सान्निध्य आ हुनका से प्रेरणा भेटल छल। बक़ौल श्री नरेंद्र झा, डॉ० लक्ष्मण झा के नेतृत्व मे ‘पाया आंदोलन’ हुनकर पहिल सामाजिक आंदोलन छल। 1956 मे जखन ओ कलकत्ता सीए के पढ़ाई लेल गेल छलाह त ओत्त हुनका प्रो० प्रबोध नारायण सिंह के सानिध्य प्राप्त भेल छल जिनका संपर्क मे श्री झा के अंदर मिथिला-मैथिली के प्रति समर्पण आर दृढ़ भेल छल। कलकत्ता मे बंग भाषी सब के अपन भाषा के प्रति प्रेम आ सम्मान देख हिनका भीतर मातृभाषा मैथिली के प्रति प्रेम आर बेसिए उत्कट भेल छल ।
मैंथिली एकटा प्राचीन आ स्वयं मे एकटा समृद्ध भाषा छैक। वाजपेयी जी के सरकार मे एकरा संविधान के आठम सूची मे सेहो समाहित क लेल गेल। तथापि मैथिली मे लिखल छपल कदाचित आन आन भारतीय भाषा से कम जाय अछि। कदाचित शब्द के प्रयोग ऐ दुआरे कैल जे भ सकय अछि जे ई बात गलत सेहो होय। किएकि हमरा अपना देखबा मे रहल अछि जे बहुत रास किताब अलग अलग विषय मे या साहित्य कविता, कथा , उपन्यास आदि छपल त अछि मुदा कतौ गुमनामी मे हेरा के रहि गेल अछि। एकर मूल कारण जे हमरा बुझना जाय अछि से अछि i) देश के औसत के तुलना मे मिथिला मे साक्षारता व पढ़ाई (खास क इंटर पास) के कमी ii) गरीबी, जै कारण पोथी किनबाक आदत लोक के बनिए नै पाबय छय iii) मिथिला क्षेत्र मे सरकारी या प्राइभेट पुस्तकालय के आभाव। एना मे अक्सर होइत छैक जे कोनो विशिष्ट विषय पर मैथिली मे लेखन के अभाव छैक। जेना मानि लिय जे स्वातंत्र्योत्तर मिथिला के आर्थिक-सामाजिक विषय पर हमरे चाहे आरो कियौ लोक के मोन मे भ सकय अछि जे पुस्तक के अभाव छैक। मुदा जखन आशीष जी आ विदेह के पेटार उनटाओल त देखल जे नरेंद्र झा नाम केर एकटा चार्टर्ड एकाउंटेंट 60-70 के दशके से ऐ सभ विषय पर मैथिली मे लिखनाइ आ सामाजिक परिचर्चा शुरू क देने छलाह। 90 आ 2000 के दशक के मिथिला के आर्थिक राजनैतिक पहलू पर खोइया-खोइया छोड़ा छोड़ा के लिखने छईथ। मिथिला के भोगौलीक, आर्थिक आ समसामयिक सामाजिक बुनावट के विस्तार पूर्वक लिखल । बक़ौल आशीष अनचिन्हार “नरेंद्र झा आधुनिक मैथिली के प्रथम आर्थिक लेखक थिकाह।“
कोनो राज्य के लेल सबसे महत्वपूर्ण बात ई होइत छैक जे ओ आर्थिक रूप से कतेक सुदृढ़ अछि आ ओतय रहनियार लोक सब कतेक सुख-सुविधा आ अधिकार के भोग करय छैथ। पिछला दसेक वर्ष से मिथिला राज्य के मांग ज़ोर पकड़ि रहल अछिल। भ सकय अछि जे भविष्य मे देर-सवेर मिथिला सेहो एकटा अलग राज्य बनि जाय। मुदा अलग राज्य ओतेक बड़का बात नै हेतइक जते कि मिथिला के आत्मनिर्भर आ सुखी-सम्पन्न राज्य बनायाब। ई काज बिना सुविचारित आर्थिक नीति आ उपलब्ध संसाधनक समुचित उपयोग के संभव नै भ सकय अछि। आ ताहि लेल आवश्यक अछि जे सरकार आ मिथिला मे कार्यरत उद्यमी, नेता, सामाजसेवी आ सरकारी कार्मिक सभ के ऐ क्षेत्र के नदी, खेत, उद्योग, सामाजिक व्यवस्था आदि के निक ज्ञान होय। मिथिला मे नदी तंत्र के एकटा जाल बुनल छैक। आ प्राचीन काल से ई ऐ क्षेत्र के समृद्धि आ विपत्ति दुनु के कारण रहल अछि। इतिहास मे जै काल मे लोक-समाज ऐ तंत्र के समझ बना के एकर सदुपयोग केलक लोक के समृद्धि भेटल आ नै त नदी के बाढि के रूप मे विपत्ति। मिथिला के नदी तंत्र के विषय मे हमरा विस्तृत जनतब सबसे पहिले श्री दिनेश मिश्र द्वारा हिंदी भाषा मे लिखल किताब सब के मार्फत भेल छल, जेकर बाद मे श्री गजेन्द्र ठाकुर द्वारा मैथिली रूपान्तरण सभ सेहो विदेह मे पढल। हम जखन नरेंद्र जी के पुस्तक पढलहु त ज्ञात भेल जे “मिथिला मे जल-संसाधन एवं प्रबंधन” आ “मिथिला के आर्थिक विकास” नाम के पुस्तक मे नै खाली मिथिला के नदी तंत्र के विस्तृत विवरण मैथिली भाषा मे देने छथीन अपितु समकालीन जिलावार आर्थिक व्यवस्था, भौगोलिक आ सामाजिक स्थिति के सेहो विस्तार से चर्चा केने छथीन। निश्चिते एतेक लिखबा के लेल अपन सीए के पेशा से कतेक रास समय निकालि के रिसर्च केने हेता से हुनकर मिथिला क्षेत्र आ मैथिली भाषा आ ऐ विषय के प्रति प्रेम आ लगाव के निर्धारित करय अछि।
एकटा वस्तु जे हम आई के समय के बहुत रास मैथिल युवा मे देख रहल छी, जे किछु युवा जतय राजनैतिक रूप से सक्रिय भ मिथिला के विकास के संभावना खोजि रहल छैथ ओतय किछु उद्यमी आ औंटरप्रेन्योर मानसिकता बला मैथिल युवा आ अनुभवी लोक सब सेहो मिथिला के विभिन क्षेत्र मे सक्रियता से कृषि, कुटीरउद्योग आ तकनीकी आधारित कारोबार ठाढ़ करबा के प्रयास मे छैथ। हमर विशेषज्ञता नै राजनीति मे अछि आ नै व्यापार मे। मुदा अपन सैद्धान्तिक ज्ञान आ अनुभव के आधार पर हमर मानब अछि जे ई दुनु माध्यम मे अपन आ क्षेत्र के प्रगति के लेल काज कर के इच्छुक लोक के लेल ई आवश्यक अछि जे क्षेत्र के इतिहास(आर्थिक आ सामाजिक परिप्रेक्ष्य मे), भूगोल, संसाधन आ तंत्र के विषय मे ठीक-ठाक समझ बना ली। तखने राजनीति आ कि उद्यम व्यापार के माध्यम से विकास के पथ पर अग्रसर भ सकय छी। आ हम अपन पाठकीय अनुभव के आधार पर कहि सकय छी जे ऐ के लेल नरेंद्र झा द्वारा लिखल उपरोक्त दू टा पोथी के अतिरिक्त “मिथिला के जनपदीय विकास” आ “विकास ओ अर्थतन्त्र” के अध्ययन करबा के चाहिएन। ओना ऐ तरहक सामाग्री अङ्ग्रेज़ी मे सेहो भेट जेतईन (स्वयं नरेंद्र झा के सेहो साहित्य अङ्ग्रेज़ी मे उपलब्ध अछि), कदाचित हिंदी मे सेहो, मुदा जखन मातृभाषा मैथिली मे लोक ऐ प्रकार के सामाग्री के अध्ययन के लेल अग्रसर हेता त भाषा के रूप मे मैथिली के सेहो विकास हेतय आ मैथिली मे अध्ययन से मिथिला के प्रति भावनात्मक लगाव मे सेहो वृद्धि संभव छैक। श्री झा के लेखनी मे नै खाली भारतक सीमा क्षेत्र के मिथिला के भूगोल, सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक परिस्थिति के चर्चा कैल गेल छैक अपितु नेपाल के अंतर्गत आबय बला मिथिला के विषय मे सेहो सारगर्भित आलेख उपलब्ध छैक।
अंतिका प्रकाशन से 2008 मे छपल हुनकर पुस्तक “विकास ओ अर्थतन्त्र” जेकरा ओ मैथिली आंदोलन आ सांस्कृतिक आलोड़न स सक्रिय रूप स सम्बद्ध आंदोलनकर्मी आ रंगकर्मी के समर्पित केने छैथ के चारि भाग मे विभक्त कय लिखने छैथ – “मिथिला: राज्य ओ राजनीति” , “मिथिला क विकास मार्ग” “अर्थतन्त्र” आ “स्मृत शेष” ऐ मोट-मोट विषय के अंतर्गत 90 आ 2000 के दशक के बीच के मिथिला के राजनीति अर्थतन्त्र आ विकास पर लिखल सारगर्भित लेख पठनीय अछि आ आजुक संदर्भ मे सेहो बहुत बात मे प्रासांगित। ऐ पुस्तक मे 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के मिथिला के एक एक सीट के केंडीडेट आ परिस्थिति के विस्तार से वर्णन केने छैथ जे हुनक ऐ संदर्भ मे पकड़ के द्योतक अछि ।
‘विदेह’ जून 2024 के अंक ‘श्री नरेंद्र झा’ विशेषांक के रूप मे प्रकाशित करबाक नियारलक अछि ई स्वागत योग्य बात अछि। एही प्रकार के क्रियाकलाप से मैथिली लिखित साहित्य के पोखड़ि मे हेरायल नुकायल लेखन सभ पर प्रकाश खसय छैक जै से नै खाली हमरा सन पाठक सब के नब नब विषय पर मैथिली साहित्य पढ़बाक प्रेरणा भेटय छैक अपितु भविष्य के पाठक लेल सेहो मैथिली साहित्य के पेटार के मुँह फुजई छैक। आ सबसे बेसी बढि क ई बात जे आर्थव्यवस्था, उद्योग, विज्ञान, तकनीकी आदि विषय पर लोक के मैथिली मे पढबा-लिखबाक प्रेरणा सेहो भेटय छै जै से कि मैथिली भाषा आ ओकर साहित्य सेहो समय के संग संग समृद्ध हेतैक। विदेह के संपादक मण्डल आ पाठकगण के ‘श्री नरेंद्र झा’ विशेषांक के लेक बहुत रास बधाई आ शुभकामना ।
प्रणव झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली (14.05.2024)
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