हमारे जख्म पर मलकर वो मिर्ची हम से पूछे हैं
बहुत चिंता तुम्हारी है, बता अब हाल कैसे हैं।
सुनाऊँ उनको भी मैं अब, बयाने हाल अपना ये
ईलाही की नजर में तुमसे मेरी औकात उँची है।।
बहुत तंगदिल तुम्हारा है, यही पहचान देते हो
हरेक संगदिल को दुश्मन, तुम अपना मान लेते हो!
कभी ईश्वर जों मिल जाएं, भला पूछेंगे वो तुमसे
हमारे नेक बन्दों को बता क्यों त्राण देते हो !!
सिसक हर एक मेरा तुमसे, यही फ़रियाद करता है
भंवर के बीच में तेरी खुदाई याद करता हूँ |
बनाया है हमें जब नेक,हमें काबिल बना मौला
अता कर शख्सियत वो, जिनको ज़माना याद करता है ||
बहुत चिंता तुम्हारी है, बता अब हाल कैसे हैं।
सुनाऊँ उनको भी मैं अब, बयाने हाल अपना ये
ईलाही की नजर में तुमसे मेरी औकात उँची है।।
बहुत तंगदिल तुम्हारा है, यही पहचान देते हो
हरेक संगदिल को दुश्मन, तुम अपना मान लेते हो!
कभी ईश्वर जों मिल जाएं, भला पूछेंगे वो तुमसे
हमारे नेक बन्दों को बता क्यों त्राण देते हो !!
सिसक हर एक मेरा तुमसे, यही फ़रियाद करता है
भंवर के बीच में तेरी खुदाई याद करता हूँ |
बनाया है हमें जब नेक,हमें काबिल बना मौला
अता कर शख्सियत वो, जिनको ज़माना याद करता है ||
चलन हो बेवफाई का, वफ़ा को याद करना क्या
जहाँ अंधेरगर्दी हो वहाँ फ़रियाद करना क्या
सुने किस्से बहुत हमने वफाई, दोस्ती के भी
ये बस किस्से कहानी हैं, हकीकत में भला है क्या।|
हरएक करवट में अब गुजरा जमाना याद आता है
लड़कपन तो कभी बचपन हमारा याद आता है
वो रातें जो कभी काटी थी हमने दोस्तों के संग
वो बिछड़े यार और उनका याराना याद आता है।।
कभी बोए थे कुछ पौधे, हमारे खेत में हमने
उन्ही को काटने उनके ही अब रखवार आए हैं।
जताया हक़ अपना भी, जो हमने उनके दानों पर
तो करने बेदखल हमको, मन के बीमार आए हैं !!
थकन है, पीड़ हैं, आँसू हैं और उदासी है
दिलों में जीतने के फिर भी कुछ उम्मीद बाँकि हैं
वतन के नौजवाँ सुन लो , सदाएं तुम मेरे दिल की
हरएक ख्वाहिश मुकम्मल हो यही जज्बात हैं मेरे।
वो दिल में गोडसे, टी-शर्ट पे भगतसिंह नाम लिखते हैं
कभी आंबेडकर, गांधी को खुद की पहचान लिखते हैं
कभी पूछो यदि उनसे, भला ऐसा किया है क्या
बताते कुछ नहीं उल्टे कई इल्जाम लिखते हैं।
कभी आंबेडकर, गांधी को खुद की पहचान लिखते हैं
कभी पूछो यदि उनसे, भला ऐसा किया है क्या
बताते कुछ नहीं उल्टे कई इल्जाम लिखते हैं।