Wednesday 3 June 2020

भगवान हमरा गरीब किए बनेलौं ! (मैथिली खिस्सा)



एकटा गाम मे दू टा ब्राह्मण रहई छलाह; दुखमुख झा आ सुखमुख झा। दुनू दियाद छलाह मुदा एकटा गरीब त दोसार सुखी सम्पन्न। गरीब ब्राह्मण अपन सुखी-सम्पन्न दियाद के देख के सदिखन जरइत रहई छलाह आ भगवान के कोसइत रहई छलाह जे “हे भगवान हमरा गरीब किएक बनेलौं आ एकरा एत्तेक धन-संपईत देलियइ !” 
एकदिन भगवान हुनकर बात सुनि लेलखिन आ सम्पन्न ब्राह्मण के संपईत पर बज्र खसा देलखिन। आब दुनू दियाद गरीब भ गेल छलाह। बराबर के औकात बला। भगवान दुनू के दस टा पठरू(बकरी के बच्चा) द क दुखमुख झा से कहलखिन जे देखह आब हम तोहर गोहार मानि लेलीयह आ आब तोहर दियादो गरीब भ गेल छथुन। हम दुनू के 10-10 टा पठरू द रहल छिय जीवन यापन लेल। एकदम बराबर-बराबर। तखन आब हमरा से फेर शिकायत नई करिह जे हम देब मे दूनैति केलहु अछि। 

सम्पन्न ब्राह्मण जे आब गरीब भ गेल छल बहुत दुखी भेल। मुदा नियति मानि के भगवान के देल 10 टा पठरू ल क सोचय लागल जे आब आगा की कैल जाय। ओ 10 टा मे से 2 टा पठरू दू हजार रुपे के भाव से बेच देलक ओय से जे पाई भेटल ओकरा से परिवार के न्यूनतम जरूरत पूरा करय के प्रयत्न करय लागल आ आठ टा पठरू के पोसय लागल। ओकर धिया-पूता जे प्राइवेट स्कूल मे पढ़ई छल तकर नाम कटि गेलई मुदा ओ धियापुता के पढ़ेनाई नै छोड़ौलक अपितु सरकारी स्कूल मे ओकरा सब के नाम लिखा पढ़ेनाई चालू राखलक।
एमहर गरीब ब्राह्मण मनोरथ पूर्ण भेलो पर (दियाद्क संपईत खाक भ जाय के) खुश नै छल। ओ भगवान के फेर कोसय लगलाह: “ईह! भगवानों बड्ड घाघ छईथ ओकर संपईत पर बज्र भले खसा देलाह मुदा हमरा धनिक बनेनाइ नै भेलइन। देबहे के छलइन त ई नै जे सोना-असर्फी दितथिन, देलाह की त 10 टा पठरू। बुझु त, एकर हम की करब! हुंह।“

लाल बौआ त पठरू पोसता, किए ने अपनो सब पोसी ब्राह्मण के कनियाँ बजली।
“धुर जाउ ओ त पतीत अछि, किछु क सकई ये, ब्राह्मण भ क कहीं छगर-पाठी पोसी! राम राम राम”
अस्तु, ई विप्र सभटा पाठा दू हजार टाका के दर से बीस हजार टाका मे बेच देलाह, आ ओई पाई से किछ दिन छहर-महर केलाह। 

किछु मास बितला पर बाजार मे खस्सी के मांग बढ़ल, रेट चढ़ल। सुखमुख झा के पाठा सब बढि के दनदना रहल छल। ओ आठो खस्सी के दस हजार के भाव से अस्सी हजार टाका मे बेचलाह। आब हिनका लग किछु पाई आबि गेल छल। मुदा ओ ई पाई मे से चालीस हजार टाका के चालीस टा पठरू कीनि लेलाह। दस हजार टाका खर्च क के पठरू सब के राखs लेल एकटा ढंगक बथान बनेलाह। दस हजार टाका बकरी-पालन के लेल भविष्य मे होबय बला खर्च लेल राखलाह। आ बचल बीस हजार टाका घरक आवश्यक खर्च लेल राखलाह।
ई देख पहिल विप्र के कनियाँ के सेहनता भेलइन जे एह अपनो सब एहिना करितौ! 

विप्र बजला जे भगवान एहन अवसरो दितथीन तखने ने। खाय लेल त आब पाई ने भ रहल अछि। कहुना पूजा-पाठ आ भोज-भात के बले जिनगी घिचा रहल अछि। छोड़ू ई सब बात। मुदा हुनकर कनिया भगवान के नेहउरा केलीह त भगवान प्रसन्न भ क एक बेर फेर ओकरा 10 टा पठरू देलखिन। 

दुखमुख झा ऐ बेर मोन मारि ओकरा सबके पोसय लगलाह। मुदा हुनका घर मे सब आलसी लोक। आ माल-जाल पोसय मे त पचीस तरहक झंझट रहिते छैक। जा समय से घास-पात दाना-पानी नै हेतई ता माल-जाल कोना के पोसेतई! पठरू सब के देख-रेख मे दिक्कत होबय लागल आ एकरे ल क छोट-छोट बात पर घर मे महाभारत सेहो होबय लागल। एक दिन विप्र खौझा के बजलाह जे “हम पहिनेहे कहने रही जे ई सब अधलाह काज कहीं ब्राह्मण करई! जहिया से ई छगर-पाठी पोसय के काज शुरू भेल घर मे अशांति आ कलह आबि गेल अछि। आब बहुत भ गेल। बेस आब हम एकरा सब के उपटाए देब।“ बस विप्र दसू पाठा के चालीस हजार टाका मे बेच एलखिन। आ जे टाका भेटल तै से फेर परिवार चलाब लगलखिन। 


एमहर सीजन आबई तक सुखमुख झा के खस्सी सब पईघ आ खूब गुदगर भ गेल छल, यद्यपि हुनकर दू टा पठरू बीमार भ के खराब भ गेल छल। समय एला पर ओ चारि लाख टाका मे एकर सौदा केलाह। ऐ बेर सुखमुख झा सवा लाख टाका खर्च क के सौ टा पाठा आ चारि टा बकरी किनला। पचास हजार टाका खर्च क के दू टा आरो बथान बनेला आ काज मे सहयोग के लेल दू टा छौरा काज पर राखि लेलाह। एक लाख टाका छौरा सब के दरमाहा आ छागर-पाठी के पोसय मे भविष्य मे आबय बला खर्च के लेल राखि लेलखिन। पचीस हजार टाका से कनियाँ लेल किछ गहना किनला आ धिया-पूता लेल नव कपड़ा। बाँकि के डेढ़ लाख परिवार के खर्च आ बेर-कुबेर के लेल उपयोग केलाह। ओ एखनो आपण धिया-पूता के पढ़ाई चालू रखने छलाह।

एहिना समय बीतय लागल। ऐ बेर छौरा सब के लापरवाही आ प्रतिकूल मौसम के कारण  सुखमुख झा के दस टा पाठा खराब भ गेल छलई। मुदा तखनो सुखमुख झा ऐ साल नौ लाख टाका के कारोबार केलाह आ तीन सीजन से बकरी पालन करैत-करैत अपन अनुभव से ऐ काज के लेल बहुत किछ कौशल सीखि नेने छलाह। आब छौरो सब के ठीक-ठाक ट्रेन क रहल छलाह। ऐ बेरक टर्न ओवर मे से ओ चारि लाख टाका बिजनेस कैपिटल के मद मे द देने छलखिन आ पाँच लाख टाका परिवार के मद मे। अपन घर के ठीक ठाक करेलाह। रंग-ढ़ोर करेलाह। धियापुता के सोनपुर मेला आ काबर झील सेहो घूमेलखिन। ऐ तरहे सुख एकबेर फेर सुखमुख झा के दुआरि पर घूरि आयल छल। 

किछुए साल मे सुखमुख झा फेर से सुखी-सम्पन्न भ गेल छलाह। आब हुनका लग बड़का टा बकरी फार्म छल जै मे कईएक टा लोक नौकरी क रहल छल। फेर से नीक घर, गाड़ी सब भ गेलइन।

एमहर दुखमुख झा के एखानो गरीबी घेरने छलइन। धिया-पूता के सेहो ईस्कूल छोड़ा के अपना संगे जजमानी करय आ भोज खाय मे लगेने छलाह। अपने आ की बच्चे सब के कमसेकम ढंग से संस्कृत आ कर्म-कांड सब आबितईन तखन ने यजमानियों ढंग से चलतइन, आ नै कहियो एकरा खातिर प्रयास केलाह, नै धिये-पूता के निक शिक्षा देलखिन। कहुना दिन काटि रहल छलाह, आ पुनश्च पुनश्च भगवान के कोसै छलाह जे “भगवान हमरा गरीब किए बनेलौं !”