Tuesday 8 February 2022

जब दारू सर पर चढ़ता है

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

तब कौन मौन हो रहता है

जब दारू सर पर चढ़ता है।


चुप रहना नहीं सुहाता है

बक बक करना ही भाता है

जो झूठ की खेती करता है

तब वह भी  सच उगलता है

जब दारू सर पर चढ़ता है।


जो थे यार झगड़ते हैं

आपस मे ही लड़ पड़ते हैं

गीदड़ भी शेर बनता है

जब दारू सर पर चढ़ता है। 


जो करे हर पल साजो-श्रृंगार

वो भी बनता नाली का यार 

लड़खड़ा कर कहींभी गिरता है 

जब दारू सर पर चढ़ता है।

 

बातें करता  फिर  बड़ी बड़ी 

इंगलिश झाड़े वो खड़ी-खड़ी 

ढक्कन का बोतल लगता है 

जब दारू सर पर चढ़ता है।

 

अपनी पीड़ाओं का प्रहार 

घरवालों से करता दुर्व्यवहार 

बिन बात के भी वो  बिफरता है 

जब दारू सर पे चढ़ता है।

 

अपनी दौलत लुटाता है 

झूठ ही दानी कहलाता है 

पीछे धन को तरसता है 

जब दारू सर पर चढ़ता है। 


तब कौन मौन हो रहता है

जब दारू सर पर चढ़ता है।

व्यसन





बीड़ी पियो, हुक्का पियो, 

या पियो सिगरेट

यमराज जी, फिर जल्दी ही

देंगे तुमको भेंट


व्हिस्की पियो, वोदका पियो

या पियो देसी दारू 

ये सब एक दिन कर देंगे

बेटा तुमको बीमारू 


खैनी खाओ, गुटखा खाओ 

या चबाओ पान मसाला 

एक दिन भारी पड़ जाएगा 

तुमको मुंह का निवाला 


चरस, हेरोइन, अफ़ीम लोगे 

या लोगे तुम ड्रग्स

जीवन व्यर्थ हो जाएगा 

भोगोगे तुम नर्क 


हिन्दू-मुस्लिम, सिख-ईसाई 

करोगे जो धर्म का नशा 

बंदर बनकर रह जाओगे 

देखेंगे लोग  तमाशा 


जीवन को तुम जियो जज्बे से

भूल कर सारी तृषा 

अपने धुन मे लगन से बढ़कर

जग मे कौन सा है नशा ?