Thursday 22 October 2020

मिथिला में सब किछ छै!

 कि नै छै! मिथिला में सब किछ छै

बाकल बुरबक वोटर सब, भेटत थाकक थाक

कियौ गदहा बनि जाय नेता, पहिरि के एत्त पाग।


टायटल देख चुनै अछि लोक विधायक आ कलाकार

भरि ढिर भोजन भेटब चाहियैन आर किछ नै दरकार।


कि नै छहि! मिथिला में सब किछ छै


बाढ़ि, बेमारी, दुर्भिक्षा आबै छै सब साल

राहत पैकेज ल क सब कियौ भेल रहत निहाल


बंद पड़ल कारखाना सब छै,पुरातन निर्माणक अवशेष

कत्तेक दिन से सुनि रहल छी, राज्य बनत ई बड़ि विशेष


कि नै छै! मिथिला में सब किछ छै


आजादी से पहिलुक DMCH सेहो सम्हरि नै पाबय छै

एम्स-एम्स के हल्ला सब बेर इलेक्शन में मचाबै छै


अस्पताल नै, डॉक्टर नै छै, डायग्नोस्टिक के सुविधा नै

झोलाछाप से गरीब लोक सब केहुना काज चलाबै छै


कि नै छै! मिथिला में सब किछ छै


मंडन मिश्रक धरतीक नेना ढंगक शिक्षा नै पाबै छै

बयस भेला पर दिल्ली जा क तंबू-खंभा गारै छै


स्कूल में बहुते मास्टर के अपने किछ नै आबै छै

ट्रेनिंग दिएबाक बदला सरकार, जनगणना कराबय छै


उच्च शिक्षाक कोनो संस्थान एत्त, नेता नै बनबाबय छै

पढ़ाई आ दवाई खातिर सब एमहर आम्हार भागय छै।


गामे गामे पोखैर छलैय, सेहो सब मुनबाबय छै

घरे घरे पिबय के जल, बोतल में भरि आबै छै।


कि नै छै! मिथिला में सब किछ छै।


नगरे नगरे पलायित लोक के प्राण गाम पर अटकल य

गामे गामे घुरि के देखू, घर पर ताला लटकल य।


मिथिला में जे ट्रेन चलै से घंटो घंटा लेट

लेट्रिन रूम में यात्रा करैत लोक जैत अक्सर भेट।


अपराधक कमी छल पहिने तकरो आब बोलबाला छै

सरकारी योजना त छै मुदा, ओय में बड्ड घोटाला छै।


आरो छै। मिथिला में सब किछ छै

कहितहुँ त किछ आर मुदा, हमरा नींद लागल छै


पीएस: कोई भी पेशेवर गायक या गीतकार किसी के भी प्रसंशा के गीत गाए या लिखे वो मेरे हिसाब से सही हैं, जबतक वो भाषाई मर्यादा में हैं। इसी तरह से हर राजनैतिक व्यक्ति का अपने पार्टी और सरकार के समर्थन में तर्क देना स्वाभाविक और जायज है, चाहे वो वास्तविकता से दूर ही क्यों न हो।

इसका इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि अरुण जेटली जी ने इलेक्टोरल बांड को इलेक्टोरल रिफॉर्म और ट्रांसपेरेंट व्यवस्था के रूपमे प्रोजेक्ट किया था।