Thursday 27 July 2017

चक्रफाँस (मैथिली खिस्सा )

दीपक बीसीए क के पूना के एकटा कंपनी में डाटा प्रोसेसर के पद पर काज करय छलाह । बीसीए कयलाक क बाद इ नौकडी हुनका कोनो अनेरहे भेंट गेल होय एहन बात नै छल, मुदा हुनकर लगन, प्रतिभा आ भाग्य बले हुनका ई नौकडी भेंट गेल छल अन्यथा हुनके कै टा संगी सभ एम्हरे-आम्हरे कय रहल छलाह। ओना जौं लंगोटिया दोस सब के बात करी त ओ सब हिनका स बढिये पोजिसन पर पहुंच गेल छलाह। रूपेश इलेक्ट्रोनिक इंजिनियरिंग क के इन्फ़ोसिस में छलाह त नंदन मैकेनिकल इंजिनियरिंग क के रिलायंस में । आषीश सेहो सरकारी बैंक में क्लर्क भ गेल छल । तखन इ छल जे दीपको ठीक-ठाक पोजिशन पकैड नेने छलाह । एही बीच में देशऽक युवा वर्ग सब में राष्ट्र्भक्ति के नया हरबिर्रो उठि गेल छल। इलेक्ट्रोनिक मिडिया से ल के सोशल मिडिया तक में विविध प्रकार के उत्तेजक फ़ोटो, विडियो आ लिंक साझा करय जाय लागल छल । कालेजऽक कैंटीन से ल क आफ़िसऽक कैंटीन तक बस एतबे बहस। सेना की कय रहल अछि पाकिस्तान की कय रहल अछि, अमुक ग्रुप के छात्र सब देशद्रोही थिकाह, अमुक क्षेत्र के लोक सब देशद्रोहि थिकाह, बस यैह सभ चर्चा। दीपक सन भावुक लोक के कखनो काल ई अतिश्योक्ति देख मोन आरिज भऽ जाय छल त कखनो के ओ भावुक भऽ अपने आपे के कोसऽ लागै छहाल। इंटर पास करय के बाद दीपक एनडीए के परीक्षा में बैसल छलाह। पहिल प्रयास में त नै भेलैन ,मुदा दोसर प्रयास में ओ लिखित परीक्षा पास कऽ गेल छलाह। मुदा जखन एसएसबी के लेल भोपाल गेल छलाह त ओत घोर निराशा हाथ लगलैन। गा̐व आ दरिभंगा में पढल लडका, नै अंग्रेजी बाजय में फ़र्राटेदार आ नै हिन्दी बाजय में ओ द̨ढता आ आत्मविश्वास! लिखित परीक्षा आ रिज्निंग राउंड तक त ठीके रहलैन मुदा जखन स्टोरी राईटिंग आ ग्रुप डिस्कसन राउंड आयल त हिनकर हाथ-पैर फ़ुलय लगलैन। अस्तु, ओ अगिला राउंड में नै पहुंच सकल छलाह।

अहिना एक बेर बिहार मे प्राथमिक-माध्यमिक शिक्षक के भर्ती निकलल । हिनको कै टा संगी आ गौंआ सब फ़ोर्म भरलक। ओ सब हिनको उकसैलक जे तोहुं भैर लैह हौ मीता, भ गेलह त बुजह जे आरामऽक नौकडी भ जेत अपन प्रदेश में । बाबू सेहो सैह राग अलापै छलखिन्ह। बाबू बाजल छलखिन्ह जे जतेक पाई ओत दै छौ लगभग ततेक पाई त एत्तौ भेटिए जेतौ। दीपक उत्तर में बजने छलाह जे बाबू से त ठीक अछि मुदा एत्त हमरा आगा तेजी स उन्नति भेटत ओतय से बात नै ने रहतै यौ। ऐ पर बाबू बजलाह जे देखह ओतय जत्तेक खर्च छ गाम-घर मे ओकर अपेक्षा खर्च कत्तेक कम हेत सेहो ने सोचह। तैं एकबेर ट्राई करऽ मे कोनो हर्ज नै। एहि प्रकारऽक  घमर्थन के बीच दीपक के मोन मे एकबैगे एकटा सोच जगलैन। ओ सोचय लगलाह जे जौं हमरा मास्टरी में भ जाय त हमरा लेल इ एकटा अवसर हेतै अपना गाम-घर दिस के बच्चा के पढाबय-लिखाबय के । यदि हम अपन प्राप्त ग्यान आ अनुभव के उपयोग क के मेहनत से किछु धिया-पुता के पढाबय के प्रयास करब त निश्चिते प्राथमिक-माध्यमिक स्तर पर किछु बच्चा में ओ ग्यान आ आत्मविश्वास भैर सकै छी जैसे ओ आगा दुनिया में स्पर्धा क सकै। फ़ेर बाबूओ ठीके कहै छथिन जे भ सकै अछि जे वापस गामऽक रस्ता धेने हमर करियर ओ मोकाम हासिल नै क सकै जे पूना में रहि क अगिला १०-१५ साल  में हम प्राप्त क सकै छि मुदा गाम-घर में ओइ अनुसार खर्चो कम हेतै आ अपन क्षेत्र में रहय के आनन्द सेहो त भेटतै । यैह सब सोचि क दीपक अप्लाई क देलाह। भगवती के इक्षा एहेन भेलैन जे दीपक ओई परीक्षा में सेलेक्ट भऽ गेलाह आ हुनका ट्रेनिंग के लेल सरकारी पत्र प्राप्त भेलैन ।

 आब ऐ विषय पर लंगोटिया सब में ह्वाट्सएप ग्रुप में घमर्थन शुरू भेल । नंदन बजलाह जे बड्ड निक मिता जाउ जिब लिय अपन जिनगी….क लिय मजा । ऐ पर रूपेश बाजल छल जे एहेन कोन बडका नौकडी लागल छैन, से हमरा लेखे त ऐ मे ज्वाईन केने कैरियर ग्रोथ पर ब्रेक लागि जेतैन । दीपक संग दैत बजलाह जे हमरो येह चिन्ता अछि। उत्तर में नंदन फ़ेर बजलाह जे "यौ भाई ई कियेक नै बुझै छि जे कतबो अछि त अछि त ई सरकारिए नौकडी की ने । ऐ मे सेलरी से बेसी उपरी कमाई देखल जाई अछि। आब देखियौ ने आशीष भाई के छैन त क्लर्के के नौकडी ने यौ मुदा हुनका हमरा- अहां से बेसी तिलक भेटलैन अछि से किछु देखिए के भेटलैन अछि कि ने! औ दीपक मीता अहौक जैम क तिलक भेंटत, ज्वाई करू मास्टरी ।"
"हमरा तिलक-दहेज के कोनो लोभ नै अछि मुदा आशीष एहन कोन कमाई करै छथि बैंक में !" – दीपक बजलाह।

ऐ पर आशीष दार्शनिक के मुद्रा मे बजलाह जे बैंक लोक सभ के बकरी कीनय से ल के बकरी फ़ार्म खोलय तक के आ इंजिनियरिंग में नां लिखबय से ल के इंजिनियरिंग कालेज खोलय तक के लेल लोन दैत अछि। आ ऐ सभ प्रकारऽक लोन में बैंक अधिकारी-कर्मचारी सभ के ’कट’ फ़िक्स रहै अछि। अहिना अहौं के टिप दऽ दैत छी जे स्कूल में मिड डे मीळ से ल के भवन के रख-रखाव आ साईकिल वितरण से ल के स्कोलर्शिप वितरण तक में ’कट’ के जोगार रहै अछि आ बेसी हाथ-पर मारी त वोटर कार्ड से ल के राशन कार्ड आ स्वच्छ भारत से ल के इंदिरा आवास तक में ’कट’ भेटय के गुंजाइस रहै अछि। आ मास्टरी संग त अहां साईड बिजनेसो क सकै छी। एलआईसी एजेंट बनि जाउ, या लोन एजेंट या कोनो आन धंधा क लिय। बीच-बीच में स्कूल जाय हाजरी बना लिय आ हावा-पाईन लय आबु।

इ सब सुनि क दीपक व्यथित भाव स बजलाह जे हम ऐ प्रोफ़ेशन में इ सब गोरख-धंधा करय लेल नै जाय चाहै छी । हमर उद्देश्य अछि अपन क्षेत्र क बच्चा सब के नीक शिक्षा भेटै तय में हमर योगदान हो। तैं हम बस अपन आर्थिक भविष्य आ करियर ग्रोथ ल क आशंकित छी।

"तखन अहां बूडि छी" एहि बेर नंदन टोकलक । यौ भाय लोक एकटा काज छोडि क दोसर धरै अछि अपन प्रगति के लेल दू टा पाई बेसी कामाबी ताहि लेल आ कि अनेरहे ………
बीच में बात कटैत दीपक द्रिढता से बजलाह जे नंदन भाय, अहां जे व्हट्सएप से लय के फ़ेसबुक तक पर भरि दिन राष्ट्रभक्ति के राग अलापैत रहै छी से खाली अनका ज्ञान ठेलय लेल आ कि किछु अपनो अमल में लाबय लेल आ कि बस अपन कुंठा मिटब के लेल!
नंदन के समर्थन करैत रूपेश बजलाह जे दीपक भाय अहां अनेरे भावुक भ रहल छी। वास्तव में ई देशभक्ति, राष्ट्रवाद, ईमानदारी आदि शब्द नेता सभ के गरियाब लेल, कि समर्थन लेल आ कि अपन कुंठा मेटाब लेल, हवाबाजी लेल, दोसरा के परतार लेल प्रयुक्त होई अछि, मुदा वास्तविकता के धरातल पर अहां कोना क के अर्थ (धन) कमाबी यैह सबसं पैघ सोच होय अछि। अहांके समाज में इज्जत ऐ ल के नै भेंटत जे अहां कतेक शुद्ध आ समाजवादी आचरण रखै छी बल्कि ऐ से भेंटत जे अहां धन संचय करय में कतेक काबिल छी (चाहे ओकरा लेल जे तरीका अपनाबी)। आ देखु अहौं जे दुविधा में छी ओकर कारण करियर ग्रोथे त अछि ।

ऐ घमर्थन के बीच दीपक के मोन के दुविधा मेटा गेल छल ओ उत्तर दैत बजलाह "भ सकै अछि जे लोक हमरा बताहे क के बुझि लैथ मुदा आब हम इ नौकडी ज्वाईन करब आ ओहि उद्देश्य लेल करब जे हमर मोन में अछि। रहल बात अर्थोपार्जन के त किछु आर तरीका सेहो अपनायब जेना विद्यालय के बाद के समय में ट्युशन, छोट-मोट सोफ़्टवेयर/वेबसाईट/प्रोजेक्ट/डाटा-एन्ट्री वर्क आदि के कार्य करय के प्रयत्न सेहो रहत। जौं भगवति कऽ आशिर्वाद बनल रहलै त जिनगी ठीके-ठाक कटि जेतै ।"

दीपक के पोस्टिंग अपने जिला के एकटा आन प्रखंड के एकटा माध्यमिक विद्यालय में भ गेल छल ।  दीपक ओतबे उत्साह आ आशा के संग विद्यालय ज्वाईन केलाह जतेक उत्साह आ आशा सं कोनो सासु अपन नबकी कनिया के दुरागमन काल में परिछण करै छथि। मुदा किछुए दिन में दीपक के विद्यालय में पसरल अव्यवस्था के भान भ गेल। विद्यालय में अनुपस्थिति के मामिला में मास्टर आ विद्यार्थी में जेना कोनो अघोषित शर्त लागल होय! माने पचास प्रतिशत सं बेसी नै मास्टर के उपस्थिति रहै आ नै विद्यार्थी के । विद्यालय भवन के हाल सेहो तेहने सन भेल छल जेना कोनो स्त्री के, जिनकर वर बहुत दिन से बाहर कमाय लेल गेल होइथ आ सासुर में केयौ मानऽ बला नै होइन । शौचालय के नाम पर २ टा शौचालय टूटल-फ़ाटल गन्हाइत जैमे नाक नै देल जा सकै अछि आ दू टा मास्टर सब लेल कनि ठीक-ठाक अवस्था में जै में ताला मारल रहै छल । कियेकि आधा मास्टर सदिखन अनुपस्थिते रहै छलाह तैं किछु क्लास या त खालिए रहै छल अथवा दू टा तीन टा क्लास के एक्के संगे बैसा देल जाय छल । ई अव्यवस्था देख दीपक के मोन खिसिया गेलैन। ओ एकरा विषय में बिईओ साहेब के विस्तार पूर्वक लिखलाह आ हुनका से ऐ विषय में उचित कार्यवाही कर के निवेदन केलथिन्ह। किछु दिन बाद बिईओ साहब एलाह आ विद्यालय के निरिक्षण केलखिन। पूरा काल हेडमास्टर, किरानी आ लगुआ-भगुआ मास्टर सब हुनका घेरने रहलैन आ विद्यालय के अव्यवस्था के झांप के पूर्ण प्रयास केलाह ।

आब दीपक उम्मीद करै छलाह जे प्रखंड से किछु कार्यवाही हैतैक। मुदा एहन त किछु नै भेल परंच एक दिन मुखिया आ सरपंच पहुंचलाह स्कूल पर। पंहुचैत देरी दीपक के पुछारि भेलैन। दीपक आबि क हुनका सब के प्रणाम-पाती केलखिन्ह। मुदा प्रणाम के उत्तर देने बिना हुनका पर प्रश्न दागल गेल जे यौ दीपक बाबू! अहां एतय नौकडी करय लेल एलहु अछि कि राजनीति करै लेल? जं राजनीति करै के अछि त खुलि क बाजू आ नै त एम्हर-आम्हर के बात सब नै कैल करू । चुपचाप विद्यालय में आउ, समय बिताबु आ आराम से दरमाहा लेल करू बस।
"आ जौं दरमाहा कम बुझना जाय त टोली बना के सरकार के आगा धरना-प्रदर्शन करू" किरानी बाबू बीच में बात लोकैत व्यंगात्मक लहजा में बजलाह ।
दीपक उत्तर में कुछु नहीं बजलाह। हुनकर मोन बड्ड कुंठित आ व्यथित भ गेल छल ।

दीपक के मलिन मु̐ह देख के एक दिन मंडल सर पुछलखिन जे हौ दीपक, एना कियेक मोन मलिन केने छहक? सिनेहऽक छा̐ह भेटने दीपक के मोन द्रवित भ गेल। ओ बजलाह जे सर, हम अपन करियर आ महानगरऽक जीनगी छोडि क इ नौकडी पकड়ने छलहु̐ ई सोचि क जे अप्पन गाम-घर के धिया पुता सब के निक शिक्षा देबय में अपन योगदान करब। मुदा एत ओकरा लेल जे माहौल भेंट के चाहि से त अछिए नै, उल्टे धमकी भेटै अछि।

ऐ पर मंडल सर बजलाह "हौ कि करबह, इ समाजे एहने अछि। ई हेडमास्टर, किरानी, मुखिया, चपरासी, इ सभ एहि समाज के छैथ कि ने हो, कोनो लंदन से त आयल नै छैथ! तोरा कि लगै छ: जे इ जतेक गोरख-धंधा होय अछि से कि मुखिया-सरपंच के बुझल नै रहै छै। हौ, ऐ सब में ओकर सब के हिस्सा राखल रहै छै।"

मुदा सर ऐ विद्यालय में बच्चा त ग्रामीणे के ने पढै अछि, तखन लोक सब एहन चोर मुखिया-सरपंच के कियेक चुनै छथि! "हौ ई एकटा जटिल सिस्टम चक्र अछि जै में सबहक भागिदारी के तीली देखबह।" मंडल सर प्रतिउत्तर में बजलाह। "देख, ऐ विद्यालय में समाज के किछु एहनो सक्षम वर्ग के बुतरू सब के नामांकन भेल अछि जिनकर बुतरू सब वास्तव में कोनो पब्लिक स्कूल में पढि रहल अछि। मुदा सरकारी योजना के लाभ लेब हेतु ओ सब नामांकन एतहु करौने छथि। विद्यालय प्रशासन से हुनका ई लाभ भेटै छैन जे बिना विद्यालय एनहि हुनकर सब के हाजरी बनि जाय अछि आ सरकारी योजना सब के लाभ भेट जाय अछि। ताहि एवज में ओ सभ एहन चोर मुखिया-सरपंच के चुनै छथि। "

"मुदा एना करै के बजाय यदि ओ सक्षम लोक सब एत्तहि निक पढाई के लेल जे दवाब बनेथिन त कदाचित एत्तहु निक पढाई भेंट सकै छैन जै से ओ सभ पब्लिक स्कूल के महरग फ़ीस के चक्कर से सेहो बा̐चि सकै छैथ!" दीपक बजलाह।

मंडल सर एकटा गहिर सा̐स छोडैत बजलाह "ह̐। मुदा ऐ मे हुनका सब के एकटा भांगट ई बुझना जाय छैन जे फ़ंडऽक कमी स̐ सरकारी विद्यालय में ओ इंफ़्रास्ट्रक्चर आ सुविधा नै अछि जेकर दरकार अछि आ दोसर जे कदाचित इ मनोविचारधारा सेहो काज करै अछि जे तखन त हुनकर बच्चा संगे आनो (आर्थिक अक्षम) लोक सब के बच्चा सब सेहो आगु बढि जायत जे कदाचित इ वर्ग के पसंद नै छैन ।"

मुदा एहनो लोक सब के त समाज में कमी नै जिनका सब के सरकारी विद्यालय में निक शिक्षा भेंटय से लाभ होउ। से सब किये नै एहन मुखिया-सरपंच सब के विरोध करै छैथ? – दीपक पुछलाह।
"नाना प्रकार के दबाव, जागरूकता के कमी, रोटी-पानि में ओझरायल रहै के कारणे आ भ्रामक प्रचारतंत्र एकर कारण अछि" – मंडल सर बजलाह ।

ऐ प्रकारे किछुए मास में दीपक के ओय कुचक्रव्युह के जानकारी भ गेलैन जै में शिक्षा व्यवस्था(सिस्टम) ओझरायल छल । मुदा ऐ चक्रव्युह के तोडी कोना से कोनो मार्ग नै भेंटय छल।  कोनो आर सक्षम लोक के सहायता के उम्मिदो लगेता त मार्ग रोकय लेल कैएक टा जयद्रथ ठाढ भेल छल। छुट्टी में जखन ओ गाम गेलाह त अपन मोनऽक व्यथा बाबा के सुनेलखिन्ह। बाबा कहलखिन्ह जे बौआ जखन उखैर मे मु̐ह दैये देलह त मु̐सर स̐ किये घबराय छह। तों त बस अपन कर्तव्य करह, बा̐कि विधाता पर छोडि় दहक। मोन लगाक धिया-पुता के पढाबह लिखाबह। एहन त नै अछि जे तों किछु अजगुत देख रहल छह। हमरा पीढि स̐ ल के तोरा पीढि तक लोक सीमिते साधन में ने पढलक अछि हौ।

दीपक के बाबा के बात ज̐चि गेल । बस फ़ेर की ओ एम्हर-आम्हर के कुव्यवस्था के देखनाय छोडि क बच्चा सब के पढबै पर ध्यान देबय लगलाह। एक्स्ट्रा क्लास सेहो लेबय लगलाह। जल्दिए ओ छात्र सब आ किछु गार्जियन के बीच लोकप्रिय भ गेलाह। एम्हर ओ १५ अगस्त के अवसर पर छात्र सब के बीच छोट-मोट प्रतियोगिता के आयोजन के योजना बना रहल छलाह आ ओम्हर करमनेढ स्टाफ़ सब में खुसुर-फ़ुसुर चालु भ गेल छल। फ़ेर एकदिन दीपक जखन अपन योजना ल के हेडमास्टर लग पहु̐चलाह त हेडमास्टर बात कटैत बजलिह जे पहिने  इ कहु जे कि अहां विद्यालय के बाद ट्यूशन करै छी? जी ह̐।-दीपक उत्तर में बजलाह। त की अहांक नियमावली नै बुझल अछि?-हेडमास्ट्र बजलिह। 
जी बुझल अछि मुदा हम ई विद्यालय समय के बाद करै छी आ ऐ से विद्यालय में हमर शिक्षण पर कोनो प्रभाव नै पडैअछि, विद्यालय में सबस̐ बेसी क्लास हम लै छी ई विद्यालय के बच्चा-बचा जनै अछि। आ आन आन शिक्षक सभ त नै जानि कतेक तरहक व्यवसाय करै छैथ आ ओहो विद्यालय के समय में, आधा टाईम गैबे रहै छैथ। - दीपक आवेश में एक्कै सुर में बाजि गेलैथ।
"अहा̐ बेसी काबिल बनै छि की? लोक की करै अछि से देखनाहर अहां के? अप्पन काज करू, हमरा की करय के चाही से जुनि बताउ। बेसी उड়ब त लिखित में ग्यापन पकडा় देल जायत अहां के ।" – हेडमास्टर साहिबा झिड়की दैत बजलिह। 

दीपक उखरल मोन सं ओतय से घुरलाह।  हुनका हेडमास्टरो के गोरखधंधा बुझल छल। ओकर वर ठेकेदार अछि, आ विद्यालय के अधिकांश कार्य/आपूर्ति के ठेका ओकरे भेंटै अछि। मुखिया-नेता सब से सेहो संबंध। आ जे लोक समाजऽक लेल किछु काज करय चाहै अछि तेकरा ज्ञान देबय चललिह अछि!

अगिला दिन किरानी हिनका हाथ में एकटा आर्डर थम्हा देलैन जेकर अनुसार हिनका प्रखंड के कोनो योजना के कार्यान्वयन के लेल सर्वेक्षण के कार्य में लगा देल गेल छल। मतलब जे हिनका विद्यालय में छात्र के पढाबै के कार्य से हटाब के नया षडयंत्र रचि देल गेल छल। दीपक हाथ में आर्डर नेने ई नव-संघर्ष के विषय में सोचय लगलाह।


आब त इ समये बता सकै अछि जे दीपक व्यवस्था(सिस्टम) के ऐ चक्रफ़ा̐स स̐ बचि क निकैल पाबै छैथ की नै? 

Tuesday 18 July 2017

जन प्रतिनिधि


कहबै छि हम जनप्रतिनिधि
मुदा भेंटब नै हम कोनो विधि
मचल रहौ जनता में हाहाकार
रहै छि तैयो हम निर्विकार
किये सोची कोना जीबैत निर्धन
निमग्न छि बढाब में हम अप्पन धन
नै मतलब कतय भेल अन्याय
बस अप्पन पैर में नै फाटै बेमाय
सगर गाँव रहौ अन्हरिया में
बनल रहि हम बस ‘पावर हाउस’
छात्र सब भने होएत रहै फेल
किएक लेबै हम ककरो टेर?
ठप्प रहै रेल क यातायात
कहुत ई भेल कोन बड़का बात!
लड़ै छि बड़का जुबानी जंग
बजबै छि ट्वीटर पर झाइल मृदंग
भेटै अछि जौं किछु आलोचक लोक
झट द करै छि हुनका ब्लॉक
आयल कत्तेक सुन्नर बरसात
कवि लिखू अहूँ किछु रसगर बात
शहर तब्दील भेल नाला में
व्यस्त छि हम घोटाला में
शिक्षा-स्वास्थ्य बनि गेल अछि व्यापार
युवा भ रहल अछि बेरोजगार
मुदा हम मगन ई आशा में
विधाता करताह बेड़ा पार
शुरू करब सभटा अप्पन खेल
जखन आयत वोट लेबा के बेर
नै छोड़ने छि कोनो विकल्प
चुनत सब हमरे बेरम बेर।।