Saturday 11 April 2015

कौन तुम मेरे लिए ?


कौन तुम मेरे लिए ?

तुम प्रेरणा हो मेरी, जिसकी वजह से

मैं शान से जी पाता हूं ।

तुम शक्ति हो मेरी जिसकी वजह से

मैं हर रूकावट से लड़ पाता हूं ।

तुम अभिलाषा हो मेरी

जिसे मैं कयामत तक पाना चाहता हूं ।

तुम अभिमान हो मेरी जिसकी वजह से

मैं हर कदम आगे चल पाता हूं ।

तुम लोरी हो मेरे लिए, जिसे सुनकर

मैं चैन की निंद सो पाता हूं ।

तुम संगीत हो मेरे लिए, जो

मेरे ह्रदय के स्पंदन में बजता है ।

तुम कल्पना हो मेरे लिए, जिसपर सवार हो

मैं ब्रह्मांड की यात्रा को उद्यत हूं ।

तुम पुष्प हो जिसके सौंदर्य और गंध से

मैं प्रतिपल ताजा हो जाता हूं ।

तुम बारिश हो मेरे लिए, जिसकी हर बूंद का

जन्मों से मैं प्यासा हूं ।

तुम तपिस हो मेरे लिए, जिसकी विरह में

मैं दिवा-रात्रि ज्वलित होता हूं ।

तुम चांदनी हो मेरे लिए, जिसकी शीतलता में

मैं प्रतिपल नहाना चाहता हूं ।

तुम लता हो मेरे लिए, जिसके आबंध में

मैं ताउम्र बंधना चाहता हूं ।

तुम शिवा हो मेरे लिए, जिसकी भक्ती में

मैं डूब जाना चाहता हूं ।

तुम प्रार्थना हो मेरे लिए, जिसे

मैं मां के चरणों में गाना चाहता हूं ।

तुम वचन हो मेरे लिए, जिसे

मैं आजीवन निभाना चाहता हूं ।

तुम ज्ञान  हो मेरा जिसकी अंशु से

मैं निशदिन ज्योतिर्मय होना चाहता हूं ।

तुम जान हो मेरी, जिसे

मैं जानना चाहता हूं ।

तुम आत्मा हो मेरी, जिसे

मैं आत्मसात करना चाहता हूं ।

- २७ मई २०१०

No comments:

Post a Comment