Sunday 22 April 2018

एकटा जन्मेजय कथा (व्यंग) - Ek Janmejay Katha(Maithili)

ओना महाभारतs सबटा कथा सब युग के लेल प्रासंगिक रहल अछि, एहि क्रम में राजा जन्मेजयक एकटा कथा सेहो आजुक समय के हिसाब सं खूब प्रासंगिक अछि.

राजा जन्मेजय अर्जुन के पोता राजा परीक्षित के बेटा उत्तराधिकारी छलाह. एक बेर राजा परीक्षित कलयुगक प्रभाव सं ग्रस्त s मरल सांप केर माला बनाय ऋषि शमीक के गर में s हुनकर अपमान देलखिन. अपमान सं ऋषि के बेटा श्रृंगी पित्तिया गेलाह. पित्ते आमिल पिने छलाह अपन बाबू के अपमानक बदला लेबय के ठानि नेने छलाह. एहि के लेल नागराज तक्षक के बजाय, राजा परीक्षित के ठिकाना लगाबय के सुपारी देलखिन. बस तखन की अर्जुन सं पराजित अपमानित तक्षक एहने मौक़ा के बाट जोहैत छलाह, स्वाइत सुपारी उठब में कोनो कौताही नै रखलाह सही मौक़ा पाबि परीक्षित के 'मर्डर' देलाह. परीक्षित केर मर्डर के बाद हुनकर बेटा जन्मेजय गद्दी पर बैसलाह. बापक ह्त्या के सभटा पिहानी जानलाक बाद हिनका मोन  में बदलाक भावना प्रज्ज्वलित गेलैन तक्षक सहित सभटा नाग के समूल नष्ट करै के ठानि लेलैथ के लेल सर्प यज्ञ करेलैथ मुदा 'मर्डर' के मास्टरमाइंड यानी ऋषि श्रृंगी के छोड़ि देलखिन.

"आब एकटा 'बाबा' से के पंगा लै! बदले लै के छैक तक्षके सं लैत छी ओकर समूल नाश दैत छी." ( सकै अछि एहने किछु विचार हुनका मोन में आयल हेतैन, यद्यपि तरहक बात महाभारत में आधिकारिक रूप सं कतौ ने देखलहुँ पढ़लहुँ अछि).

हं भेल एना की सर्प यज्ञ में एक-एक के सभटा निर्दोष सांप सब खासि खसि भस्म होमय लागल. ओकरा सब के पतो नै छल जे ओकर सब के दोष की छैक जेकर सजा ओकरा सब के भेंट रहल छल. खैर. हजारो-लाख सांप के मुइला के बाद जखन तक्षक केर पारि एलै तखन पता नै कुन देवता-पित्तर से सेटिंग के आस्तिक नामक एकटा ब्राम्हण के भेज के सर्प यज्ञ रुकवा देलक तक्षक केर जान बचि गेल. कहल जाय छैक जे एकर बाद जन्मेजय तक्षक दुनू बर्षो-बरख जिबैत रहलाह अपन-अपन राज-पाट के भोग केलाह. कहाँदैन कहल जायछि जे तक्षक केर बाद में इन्द्रक दरबार में सेहो बड्ड निक पैठ बनि गेल छल. तरहे देखल जाय मास्टरमाइंड ऋषि श्रृंगी, एक्सीक्यूटर तक्षक बदला लै पर उतारू जन्मेजय के किछु नै भेल मुदा सब प्रक्रिया में मारल गेल बेचारा हजारो-लाख निर्दोष सांप सभ जेकर एकमात्र अपराध जे तक्षक के समुदाय से छलाह.

उपसंहार: आजुक समय में एहि कथा के प्रासंगिता चिन्हियौ विचार करियौ, अहाँ बुद्धिजीवी छी

1 comment:

  1. हमरा जनैत ई व्यंग्य तँऽ नञि अछि ।

    मुदा पुरना कथाक नऽव शैलीमे प्रस्तुति अछि ।

    नीक प्रस्तुतिकरण ।

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