Friday 9 November 2018

चनमा(मैथिली खिस्सा) Chanma - Maithili Short Story

सुधीर बाबू एकटा सहृदय, कर्मठ आ सफल आपीएस ऑफिसर छलाह. डीआईजी के पद से रिटायर भेला के बाद ओ राजनीति में आबि गेल छलाह. अपन सेवा के एकटा पैघ हिस्सा बिहार में बितेला के बाद ओ बिहार विधान सभा में विधायक आ फेर बिहार सरकार में मंत्री सेहो बनलाह. एकबेर कोनो सरकारी काज सं चंडीगढ़ गेनाइ भेलैन, संगहि पार्टी के कोनो कार्यक्रम सेहो छल.

दिन भरि के कार्यक्रम से थाकल-ठेहिआयल सुधीर बाबू सांझ काल में जखन  गेस्ट हाउस के अपन कमरा में सुस्ताईत छलाह तखने अर्दली हिनका लग आबि के एकटा विजिटिंग कार्ड दैत कहलक जे श्रीमान कोई आपसे मिलने की बहुत जिद कर रहा है, नाम चनमा बता रहा है और कह रहा है की आपके बिहार के बेगूसराय जिला से है और आपसे पुराना जान पहचान है. ओ कार्ड पढ़ल लगलाह...चंद्र प्रकाश यैह नाम लिखल छल कार्ड पर आ नीचा कोनो ढाबा के पता. बड्ड मोन पाडला के बादो हिनका ऐ नाम के कोनो लोक मोन नै पड़लै, थकनी से मोनो अलसायाल छल. एक मोन त भेलै जे कहि दी जे हम नै भेंट क सकै छी अखन. मुदा फेर नै जानि की फुरेलैन जे ओ बजलाह जे अच्छा बजेने आबह ओकरा.


किछ काल में अर्दली ४५-४६ वर्षक एकटा लोक के संग नेने आयल. सुधीर बाबू ओकर चेहरो देख के कतबो मोन पाड़ला पर चिन्ह नै पेलखिन तखन ओ अपन परिचय देत सुधीर बाबू के अपन समक्ष साक्षात देख ख़ुशी के मारल काने लागल छल. 'चनमा' उर्फ़ चद्र प्रकाश से सुधीर बाबू के कोनो विशेष जान-पहचान या सम्बन्ध छल एहन कोनो बात नै छलै. मुदा दुनू के बीच सम्बन्ध जोड़ बला करीब २५-२६ बरष पुरान एकटा घटना छल. सुधीर बाबू के आँखिक आगा ओ घटनाक्रम आब एकटा सिनेमा जेकाँ चल लागल:
बात करीब पच्चीस-छब्बीस बरष पहिने के छल जखन सुधीर बाबू बेगूसराय जिला में पदस्थापित छलाह. एकदिन जखन सुधीर बाबू गंगा दियारा एरिया में पुलिस के किछ जवान के संग छापामारी क के वापस लखीसराय जिला मुख्यालय घुरैत छलाह त रस्ता में हुंकार जीप ख़राब भ गेलैन. ओ एकटा भयंकर बरसाती राति छल. कत्तौ कोनो सुविधा नै. स्वाइत गाडी ठीक होय के संभावना भोर होय से पहिने किन्नहुँ नै छल. ताहि दुआरे ई ऑर्डर केलखिन जे रात्रि विश्राम एम्हरे कतौ कैल जाय. अस्तु बगल के गाम में किछ घर सं खाट मंगवा क ई सब एकटा किसान के पैघ सन दालान पर आराम करै लागलाह.  पैघ पुलिस अ अफसर के एकटा अलगे रूतबा होय छैक आ ग्रामीण समाज में एहन सन अधिकारी के इज्जातो ततबे होइत छैक. स्वाइत एकटा ग्रामीण आबि हिनका पुछलकैन जे सर एकटा छौरा अहाँके देह-हाथ जाँते चाहैत अछि. थाकल त छलाहे, झट द हं कहि देलखिन. हिनका हँ कहते एकटा उनइस-बीस बर्षक छौरा आबि के हिनकर देह-हाथ जाँते लागल छल. नाम पुछला पर अप्पन नाम ओ बतेने छल जे सर नाम त ओना चंद्र प्रकाश अछि मुदा लोक चनमा-चनमा कहैत अछि.

कनि काल जाँतेला मातर जखन सुधीर बाबू के देह किछु हल्लुक बुझेलैन तखन ओ चनमा से पुछलखिन जे तों एहि गिरहत के एतय काज करै छहक की? ओ कहलक "नै सरकार हमरा अहाँ सं किछु कह के छल ताहि से अवसर देखल मातर पैरवी लगा अहाँ समक्ष एलहुँ अछि. हम मैट्रिक पास छी, आ बड्ड निक विरहा गाबि लैत छी, एम्हर-आम्हार, मेला-ठेला में अपन कला के प्रदर्शन क के किछु रोजी-रोटी कमा लैत छी. अहाँ सुनबै हमर गाओल गीत?"
सुधीर बाबू के हँ, कहला पर ओ लगभग आधा-पौना घंटा भरि बिरहा गाबि-गाबि के सुनेलकैन. चनमा के आवाज में सरिपहुँ बड्ड दर्द आ बुलंदी छल. स्वाइत गीत सुनैत-सुनैत सुधीर बाबू के कोरह फाटि गेलैन, नै त पुलिस क आँखि में कहिं एहिना नोर आबै! एहन गुणी कलाकार सं देह-हाथ जँताबैत आब सुधीर बाबू के मोने-मोन ग्लानि होमय लागल छल, आ ओ गीत सुनैत-सुनैत उठि बैसला आ ओकरा कहलखिन जे "तोहर गीत में बड्ड बुलंदी आ दर्द छह. आई कतेको दिन बाद तों हमरा कना देलह अछि. कह, तोरा की इनाम दी चनमा?"
किछ काल सोचला उत्तर ओ बाजल  "सरकार गाँव में एकटा बाबू साहेब छै. हमर बाबू एकबेर ओकरा से किछु टाका उधार नेने छलाह. मुदा बाबू साहेब के सुईद क जाल में ओ एहन ओझरेला जे बाबू साहेब के ड्योढ़ी पर १० बरष तक बेगार खटला, खटैत-खटैत बेचारे स्वर्ग चलि गेला मुदा हुनका मुइलो मातर, बाबू साहेब के कर्ज नै ख़तम भेल. बाबू साहेब चाहैत छलाह जे बाबू के बाद आब हम ओकरा ड्योढ़ी पर बेगार खटी. हम गाम-गमाइत घुमि-घुमि विरहा गाबि किछ आमदनी करैत छी, जौं हिनका एतय बेगार खटती त पेट कोना क भरितियै. ताहि सं हम हिनकर बेगार करय से मना क देलियै. बस यैह बात हिनका लागि गेलैन आ इ हमरा पर लागि गेल छैथ. पिछला किछु मास सं हमरा खिलाफ थाना म चोर-डकैती आ लूट-पाट के  कइएक टा फुइस केस दर्ज करा देल गेल अछि, तहिया स हम मारल-मारल फिरि रहल छी. एकटा हरमुनिया मास्टरजी छैथ ओ अहाँ के विषय में बतेलैथ तखन हम बड्ड हिम्मत क क आ पैरवी लगा अहाँ सोझा उपस्थित भेलहुँ अछि, आब अहाँ स एतबे गोहराबै छी जे हमरा संगे इन्साफ क देल जाउ सरकार" इ कहैत ओ सुधीर बाबू के पैर धर लगलै. सुधीर बाबू ओकरा पकड़ैत कहलखिन जे हम अहाँक व्यथा सुनल, आ आश्वस्त करै छी जे भोरे-भोर हम एहि मामला के देखबै.

भोरे लोकल थाना पर जा क सुधीर बाबू चनमा के खिलाफ दायर सबटा मामिला के रिपोर्ट मँगबा के देखलखिन. पुलिसिया ज्ञान आ आ अनुभव के बले रिपोर्ट पढले सं लगाओल आरोप सब झूठ छैक से बुझह में कोनो भांगट नै रहलैन. किएकि घटना स्थल सब फराक-फराक आ बेस दुरी पर छल मुदा केस के गवाह सब ओहि बाबू साहेब के परिवार के लोक आ नौकर-चाकर सब छल. चनमा स चोरी आ लूट के कोनो सामानो नै बरामद भेल छल. रिपोर्ट के वृहत्त निरिक्षण के बाद सुधीर बाबू थाना इंचार्ज के केस ख़तम करै के आदेश देलखिन. चनमा के इ सुनि क आँखि में ख़ुशी के नोर आबि गेल छल.

सुधीर बाबू के चेहरा पर संतोषप्रद मुस्की छलैन्ह. ओ चनमा से कहलखिन जे आब तों आजाद छह, जे मोन से कर लेल.



ऐ पर चनमा बाजल, "सर, एतेक भेला के बाद जँ हम एहि एरिया में रहि गेलि त बेसी दिन तक ज़िंदा नहीं बचब. तैं आब हम नियाएर लेलहुँ अछि जे आब हम पंजाब चलि जायब. जीब त ओत्तहि किछु मजूरी क के कमा-खा लेब. सुधीर बाबू के जेबी में जे किछु टाका छल से ओकरा हाथ के दैत कहलखिन जे राखि ले, बाट में काज ऐतौ, किछु सहृदय गौंआ सब सेहो चन्दा क के ओकरा किछ कैंचा द देने छल.

समय के संगे सुधीर बाबू के स्मृति में ऐ घटना पर पर्दा परि गेल छलै य. आई बर्षो-बर्ष बाद चनमा स भेंट भेला पर ओ स्मृति फेर ताजा भ गेल छल. जखन चंद्रप्रकाश सुधीर बाबू के गोर लागय लेल झुके लागल त ओ ओकरा कसि क पकड़ैत गला लगाबैत कहलखिन नै-नै एहन जुलुम फेर नै, अहाँ सन कलाकार से एकबेर फेर पैर छुआब के पाप नै करब हम. एक अर्थ में त अहाँ हमर गुरुओ छी, किएकि करियर के शुरुआती समय में अहिं स हमरा ज्ञान भेंटल जे पुलिस आ अदालत में इन्साफ तखन तक संभव नै अछि जा धरि अधिकारी सब लग एकटा संवेदनशील ह्रदय नै होय आ रिपोर्ट आ गवाह से इतर सेहो किछ बात भ सकै अछि इ महसूस कर के इच्छा-शक्ति नै होय.

गरा लगैत ओ सुधीर बाबू के भरि पांझ के ध नेने छल. ख़ुशी के मारल ओकरा आँखि से नोर ढब-ढब चुबै लागल छल. कनिक काल बाद मोन स्थिर भेला पर ओ बतेलक जे दस साल धरि एकटा रेस्टोरेंट में मजूरी केला के बाद ओ एतय अपन एकटा छोट छिन होटल(ढाबा) खोलि नेने अछि आ कैटरिंग के काज करैत अछि. अपने एरिया के एकटा लड़की से बियाहो केलक आ ओकरा दू टा बच्चो छै एकटा कॉलेज में पढ़ैत अछि आ एकटा स्कुल में. ओ कहै लागल जे ओकर परिवार हिनका हरदम याद करैत छैन आ एकबेर भेंट करै छैयत छल.

अस्तु "आई राति के भोजन तखत तोरे घर पर हैतैक" सुधीर बाबू के इ बात कहैत दुनू के चेहरा पर एकबार फेर सुखद मुस्कान आबि गेल छल, जेना दिन भैर के यात्रा के बाद सांझुक पहर आमक झोंझेर में आदित्य एकबेर फेर लालिमा बीछेने होइथ!

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