Monday 16 May 2022

मैं छोटी बच्ची हूँ पापा



मैं छोटी बच्ची हूँ पापा

क्यों खोते हो अपना आपा

पढ़ना लिखना सीख ही लूँगी

आगे बढ़ना सीख ही लुंगी


थोड़ी मस्ती, थोड़ा खेल

लुका छिपी, गाड़ी रेल

घूमना फिरना मेला हाट

कुछ दिन तो रहने तो ठाट

 

गुड्डा-गुड़िया, खेल-तमाशा

सारे घर की हूँ मैं आशा

ए बी सी डी, क, ख, ग, घ

मेरे साथ तुम भी पढ़ो तो


कुछ नहीं मैं कहती हूँ
गुमसुम गुमसुम रहती हूं
गुड्डो गुड़ियों से बतियाती
अपने मन की कहती हूँ।

 

माना थोड़ा जिद करती हूं

बड़ों की आदर भी तो करती हूं

कब मांगा मैं चांदी सोना

छोटा मोटा ही खिलौना


दादी-बाबा, नानी-नाना

सबका रहता एक ही गाना

सबसे बातें क्यूं नही करती

दिन भर फ़ोन पर क्यूं नही रहती


मैं तो हूँ एक नन्ही जान

एकदम से कैसे बनू महान

कुछ दिन तो मनमानी कर लूं

थोड़ा आनाकानी कर लू


एक दिन तरुणी बन जाऊंगी

कुछ ऐसा कर दिखलाऊँगी

जानेंगे सब तुमको मुझसे

छाएगा जब तुम पर बुढापा

मैं छोटी बच्ची हूँ पापा।

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