बुजुर्गों ने फरमाया है कि
जाड़े में नहा के दिखलाओ
फिर ये जमाना तुम्हारा है
साहब के हर ऊल जुलूल बात पे
मंद मंद मुस्काओ
तरक्की फिर सालाना तुम्हारा है
तो लो भैया हम आ गए फिर नहा धोकर
और बना ली है छंद, दबा देंगे लाइक बटन पे उंगलियां
ये जहां, पढ़कर इस मंद बुद्धि के छंद।
कि संग बाराती के दूल्हा नाचा था
और हम नाचे बिन बाराती के ए ए..
वो चापलूस भला किस काम का है
जो टाइम पे चापलूसी से चूके चूके चूके रे...
कि संग बाराती के दूल्हा नाचा था
मौसम-ए-ठंड में दुबके हुए इंसान हैं हम
जो कोई तीर न मार पाया वो कमान हैं हम
ठंड में रोज रोज न नहाएं इसमें बुराई नहीं
खाने मिल जाए बस गरमागरम फ्राई सही
क्या उम्र है, क्या जात है, क्या धर्म है, क्या नाम है
अजी छोड़िए हम ठंड के मरों को इनसे भला क्या काम है
वो चापलूस भला किस काम का है
जो टाइम पे चापलूसी से चूके चूके चूके रे...
कि संग बाराती के दूल्हा नाचा था
और हम नाचे बिन बाराती के ए ए..
कि संग बाराती के दूल्हा नाचा था
No comments:
Post a Comment