Saturday 29 March 2014

पेयाउज आ जूत्ता

एक बेर एकटा गरीब सं एकटा गलती भ गेलै | राजा ओकरा एही गलती के लेल वैकल्पिक सजा देला जे या त अहाँ के सै टा जूत्ता खाए पडत अथवा सै टा पेयाउज खाए पडत | किन्तु शर्त राखल गेल जे जे किछु खाएब से लगातार खाय पडत |  गरीब झा सोचला जे पेयाउज त खाइये बला वस्तु थीक त जूत्ता के खायत तैसे त पेयाउजे ने खायल जाय | ओ पेयाउज खाए के बात स्वीकार केला | किन्तु १५-२० टा पेयाउज खायत खायत हुनका मौगैत होब लगलैन | पूरा नोरे जोरे लोटा पोटा भ गेला | आब हुनका भेलैन जे आब जे खेनाइ चालु रखलहुँ त निश्चिते प्राण छुटि जायत | अत: ओ रुकि गेला आ बजला जे महाराज रुकु, हे आब हम ई पेयाउज नै खाय पायब एही सं त बेस अहाँ हमारा सै टा जूत्ते मारि लिय | राजा कहला बेस अहाँ जे चाही आ आदेश देला जे हिनका कपार पर सै जूत्ता मारल जाय | आब बेचारे गरीब झा के कपार पर दना दन जूत्ता परय लगलैन | जहिना हुनका २५-३० जूत्ता पडलेंन हुनकर स्थिति अधमरु सन भ गेलैन आ हुनकर दर्द बर्दास्त सं फाजिल भ गेलैन | एत्तेक देर धैर हुनकर मुँहक दर्द किछु कम भ गेल छलैन आ हुनका बुझना गेलैन जे एहि जूत्ता क बरसात सं त पेयौजक दर्द झेलनाइ किछु कम कष्टदायक छल | अत: ओ फेर राजा सं कहला जे हे सरकार अहाँ अमरा पेयाउजे खुआ दिय | ई जूत्ता हमारा सं बर्दास्त नै हैत | राजा फेर सं हुनका पेयाउज खुएबाक आदेश देला | आ ई क्रम अनवरत रूप सं बड्ड समय तक चलैत रहल | 

एहि पिहानी में गरीब जा छैथ हिन्दुस्तानक जनता, सत्ताधारी दल आ विपक्षी दल क्रमश: पेयाउज आ जूत्ता वाला सजा छैथ आ राजा छैथ ओ सामंतवाद आ रूढ़िवाद के स्वीकार कराय बला मानसिकता जे लोक सब के शोणित में कतेको वर्ष सं आ कतेको पीढ़ी सं बही रहल अच्छी | बांकी अहाँ सब अपने बुधियार छि ......!

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