स्नातकोत्तर चिकित्सा प्रशिक्षण(PGME) में हेल्थ इकोनॉमिक्स
(प्रणव झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली)
एकबेर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज मे माँ के देखाबय लेल गेल रही त ओत्त श्वसन रोग विभाग मे प्रो० डॉ० तन्मय तालुकदार के देखने रहियई जे ओ रोगी सभ से ओकर स्वास्थ्य संबंधी स्थिति आ हिस्ट्री के पूछताछ के संग संग ओकर सामाजिक आ आर्थिक परीथिति के भी विषय मे जानकारी लऽ रहल छलाह। आ तदनुसार ओकर इलाज आ दवाई-टेस्ट आदि लिखी रहल छलाह। हमर जिज्ञासा पर ओ बतेने छलाह जे अलग अलग सामाजिक आर्थिक परिवेश बला रोगी सभ के इलाज आ टेस्ट के निर्णय लेबय मे ओकर जीवन शैली आ आर्थिक स्थिति के ध्यान मे राखला से इलाज प्रभावी आ किफ़ायती बनयत छैक। उदाहरण लेल एकटा कम आय बला घर के रोगी के जे हम महरग दवाई लिख दी त ओ ओहि मे से आधा किनत आधा नै किनत, नतीजा दवाई रोग मे ओतेक प्रभावकारी नै हेतइक। ताहिना यदि कोनो रोगी कोनो पैनल मे छैक त नाना प्रकारक टेस्ट द्वारा ओकर डायग्नोसिस हमरा लेल आसान भऽ जाइत छैक आ ताहि लेल ओकरा सभटा टेस्ट लिखि दैत छी, मुदा कोनो कम आय वर्ग के रोगी के एत्तेक टेस्ट लिखि ओकरा पर आर्थिक बोझ देनाइ ओकर इलाज के बीच मे बाधा बानि जाय अछि आ कत्तेक बेर ओ फेर इलाज अंठीया दैत छैक जै से बाद मे मामला आरो खराब होय के संभावना रहय छैक। ऐ के बदले जौं हम डायग्नोसिस पद्धति मे कनिके बदलाव करय छी त सीमित टेस्ट मे भी ओ इलाज संभव भऽ सकय छैक भले ओहि लेल चिकित्सक के कनि बेसी एफर्ट करय परय। रोगी के दिनचर्या आ वर्क प्लेस कंडीशन आदि के आधार पर सेहो चिकित्सकीय परामर्श मे बदलाव करय परय छैक। ओहि बातचीत से हमर ध्यान एहि दिस गेल छल जे हेल्थ इकोनॉमिक्स के ज्ञान आ अनुभव सेहो चिकित्सक आ चिकित्सा व्यवस्था के प्रभावी बनाबय मे महत्वपूर्ण भूमिका मे भऽ सकय अछि।
आजुक वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली तेजी सँ बदलि रहल अछि। खर्च बढ़ि रहल अछि, संसाधन सीमित भऽ रहल अछि आ लोकक उच्चगुणवत्ता सेवाक प्रति अपेक्षा दिनानुदिन बेसी होइत जा रहल अछि। एहन परिस्थिति में चिकित्सक सभ के केवल चिकित्सकीय ज्ञान सँ सज्जित रहब पर्याप्त नहि अछि, हुनका आर्थिक दृष्टिकोण सँ सेहो सजग होबय के आवश्यकता भऽ गेल अछि। एकर समाधान रूपेँ "हेल्थ इकोनॉमिक्स" - अर्थात् स्वास्थ्य सेवामे संसाधनक वितरण आ मूल्यांकन के अध्ययन - पोस्टग्रेजुएट मेडिकल शिक्षा में एक अनिवार्य घटक बनेबाक आवश्यकता अछि।
अक्सर डॉक्टर केँ एक संप्रेषणात्मक निर्णय लेबाक पड़ैत अछि - एक टा इलाज प्रक्रिया आ दोसर टा इलाज प्रक्रिया में चुनाव करब। ई निर्णय मात्र प्रभावकारिता पर आधारित नहि होइत अछि, बल्कि ओकर लागत, अवसर लागत (opportunity cost), आ दीर्घकालीन प्रभाव सेहो महत्त्वपूर्ण होइत अछि। हेल्थ इकोनॉमिक्स के ज्ञान ई सुनिश्चित करैत अछि जे चिकित्सक अपन निर्णय में संसाधनक सर्वश्रेष्ठ उपयोग करैत छथि।
विशेषतः भारत सन मध्यम एवं निम्न-आयवाला देश में स्वास्थ्य संसाधन सीमित अछि। एहन स्थितिमे चिकित्सक केँ एहन निर्णय लेब जरूरी अछि जे खर्च कम हो आ परिणाम अधिक लाभकारी हो। हेल्थ इकोनॉमिक्स एकर प्रशिक्षण दैत अछि। आजुक समय में भारतक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली खास कऽ ग्रामीण इलाकामे गंभीर चुनौतीक सामना कऽ रहल अछि - एक दिस सीमित संसाधन, दोसर दिस बढ़ैत जनसंख्या आ रोगीक भार। बिहार, झारखंड सन राज्य जतए चिकित्सा आधारभूत संरचना कमजोर अछि, ओहि ठाम चिकित्सकीय निर्णय में हेल्थ इकोनॉमिक्स के ज्ञान चिकित्सकक निर्णय-शक्ति के संगहि सामाजिक न्याय आ सेवा दक्षता सेहो बढ़ा सकैत अछि। एहन संदर्भ में हेल्थ इकोनॉमिक्स के पोस्टग्रेजुएट मेडिकल शिक्षा (PGME) में शामिल करब जरूरी भऽ गेल अछि।
एकर प्रशिक्षण सँ चिकित्सक केवल क्लिनिकल क्षेत्र में नहि, बल्कि अस्पताल प्रशासन, सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना, आ नीति-निर्धारण के स्तर पर सेहो अपन प्रभाव छोड़ि सकैत छथि। एक अध्ययन में कहल गेल अछि जे हेल्थ इकोनॉमिक्स में प्रशिक्षित चिकित्सक नीति-निर्माण के संवाद में अधिक प्रभावी भूमिका निभबैत छथि (researchgate.net; pmc.ncbi.nlm.nih.gov)।
जखन चिकित्सक स्वास्थ्य बीमा, निधि वितरण, नीति नियोजन जेकाँ प्रणालीगत पहलू बुझैत छथि, तखन ओ बेहतर निर्णय ल सकैत छथि। उदाहरण स्वरूप, NHS आ NICE केर निर्णय-प्रक्रिया के अध्ययन सँ चिकित्सक रोगी केँ ई स्पष्ट करि सकैत छथि जे कियैक किछु उपचार उपलब्ध अछि, आ कियैक नहि।
जखन चिकित्सक आर्थिक विश्लेषण (जेना - लागत-लाभ विश्लेषण) के आधार पर निर्णय लैत छथि, तखन कम खर्च में बेसी स्वास्थ्य लाभ संभव होइत अछि। सऊदी अरब में भेल एक अध्ययन कहैत अछि जे हेल्थ इकोनॉमिक्स प्रशिक्षण सँ चिकित्सक वित्तीय प्रभाव के ध्यान में रखिकऽ बेहतर क्लिनिकल निर्णय लऽ सकैत छथि (researchgate.net)।
नीति विमर्श में भाग लेबय लेल चिकित्सक केँ केवल क्लिनिकल ज्ञान नहि, बल्कि आर्थिक तर्क आ मॉडल के समझ सेहो जरूरी अछि। मानसिक स्वास्थ्य नीति निर्माण में, हेल्थ इकोनॉमिक्स के आधार पर विशेषज्ञ अपन सलाह बेहतर ढंग सँ नीति निर्धारक तक पहुँचा सकैत छथि (pmc.ncbi.nlm.nih.gov)।
बिहार आ झारखंड के हजारों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में डॉक्टर सब केँ दवाई, मशीन, आ मानव संसाधनक अभाव रहैत अछि। एक्के डॉक्टर केँ दर्जनों मरीज देखय पड़ैत अछि। एहन स्थितिमे कोन इलाज में अधिक लाभ हेतैक आ कोन खर्च के औचित्य नहि छैक - ई निर्णय बिना आर्थिक समझ संभव नहि। हेल्थ इकोनॉमिक्स प्रशिक्षित चिकित्सक के ई निर्णय आत्मविश्वासपूर्वक लेबामे सक्षम बनबैत अछि।
बिहार-झारखंड में अधिकांश ग्रामीण परिवार रोजी-रोटी लेल संघर्ष करैत छथि। निजी अस्पताल में इलाज करब हुनका लेल आर्थिक संकट उत्पन्न करैत अछि। लोक अक्सर इलाज के चक्कर मे कर्ज के बोझ तर डूबि जाइत अछि। डॉक्टर जँ लागत-प्रभावी इलाज, जे सरकारी योजनाक तहत कवर होइत अछि, ओहि दिशा में निर्णय लेताह, त रोगी आ स्वास्थ्य प्रणाली दुनू लाभ मे रहत।
उदाहरण स्वरूप, आरोग्य सेतु योजना, आयुष्मान भारत, जन औषधि केन्द्र सभक जानकारी जँ प्रशिक्षु डॉक्टरक पास रहत, त ओ रोगी सभ के एकर उपयोग के सुझाव द्वारा इलाज के आर्थिक बोझ घटा सकताह।
ग्रामीण क्षेत्र में अक्सर स्वास्थ्य योजना बनाबैत समय डाटा आधारित लागत विश्लेषण नहि होइत अछि। प्रशिक्षित चिकित्सक एहि कमी के पूरा कऽ सकैत छथि। हेल्थ इकोनॉमिक्स के ज्ञान रखनिहार डॉक्टर अपन संस्था या जिलास्तरीय स्वास्थ्य समिति में निर्णय लेबाक प्रक्रिया में शामिल भऽ सकैत छथि, जाहिसँ नीति के जमीनी हकीकत के संग सहि तरीका से जोड़ल जा सकै अछि।
हेल्थ इकोनॉमिक्स के PGME में समावेशक पद्धति
1. मौजूदा पाठ्यक्रम में विषय समावेश:
किछु संस्थान अपन PGME पाठ्यक्रम में हेल्थ सिस्टम, बीमा आ स्वास्थ्य नीति पर आधारित सप्ताह-लंबा पाठ्यक्रम शुरू कएने छथि। ई कोर्स में हेल्थ इकोनॉमिक्स के परिचय देल जाइत अछि, जे रेसिडेंट चिकित्सक द्वारा बहुत प्रशंसित भेल अछि।
2. प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम आ ऑनलाइन मॉड्यूल:
हेल्थ टेक्नोलॉजी असेसमेंट पर आधारित Massive Open Online Course (MOOC) बनाओल जाइत अछि, जे चिकित्सक केँ लागत-प्रभावकारिता के व्यावहारिक ज्ञान दैत अछि। निरंतर शिक्षा (Continuing Education) के तहत प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम सेहो प्रभावी सिद्ध भऽ रहल अछि।
3. व्यावहारिक QI परियोजना (Quality Improvement Projects):
रोगी देखभाल में सुधार हेतु बहु-आयामी टीम (medicine, nursing, pharmacy, social work) के संयुक्त प्रोजेक्ट, जे खर्च आ दक्षता के लक्ष्य राखैत अछि, डॉक्टर सभ के व्यावहारिक अनुभव दैत अछि। एहन प्रोजेक्ट क्लिनिकल आ आर्थिक ज्ञान के संग समन्वय स्थापित करैत अछि (pubmed.ncbi.nlm.nih.gov)।
4. सिमुलेशन आ केस गेम्स:
Clinical Health Economics System Simulation (CHESS) एकटा कंप्यूटर आधारित प्रतिस्पर्धी खेल थिक, जाहिमे चिकित्सक टीम विभिन्न पेमेंट मॉडल अंतर्गत रोगी देखभाल कऽ अभ्यास करैत छथि। ई चिकित्सक केँ बजट सीमा आ लागत-प्रभावकारिता केँ सजीव रूप में बुझबैत अछि।
5. अंतर-पेशागत शिक्षा (Interprofessional Education – IPE):
चिकित्सा आ स्वास्थ्य देखभाल मात्र चिकित्सकक काम नहि, बल्कि नर्सिंग, फार्मेसी, सामाजिक कार्य जेकाँ अन्य पेशा सँ समन्वय करबाक आवश्यकता सेहो होइत अछि। साझा कक्षा आ सिमुलेशन अभ्यास सँ प्रशिक्षणार्थी सब के विभिन्न पेशागत दृष्टिकोण सँ लागत आ मूल्य समझ में अबैत अछि।
ताहि लेल आवश्यक छैक जे दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, बेतिया, पटना, रांची, भागलपुर, जेकाँ मेडिकल कॉलेज सभ में कोर्स में ओहन केस स्टडी जोड़ल जाए, जतए ग्रामीण मरीजक इलाज विकल्प पर खर्च बनाम लाभ के तुलना कैल जाए। ई रेसिडेंट डॉक्टर केँ सिखाबय अछि जे एके रोग में अलग-अलग परिस्थिति में कोन तरीका प्रभावी हो सकैत अछि।
बिहार आ झारखंड सन राज्य, जतए स्वास्थ्य सेवाक ढांचा अखनो असंतुलित अछि, ओहि ठाम हेल्थ इकोनॉमिक्स प्रशिक्षित डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा के नव दिशा दऽ सकैत अछि। पोस्टग्रेजुएट मेडिकल शिक्षा में ई विषय के जोड़ब मात्र एक पाठ्यक्रमीय सुधार नहि, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन के प्रस्फुटन छैक।
जखन डॉक्टर रोगीक स्वास्थ्य संग-संग ओकर आर्थिक स्थिति आ संपूर्ण प्रणाली के ध्यान में रखिकऽ निर्णय लेताह, तखन स्वास्थ्य सेवा अधिक मानवीय, टिकाऊ आ प्रभावकारी बनत। एही से जरूरी अछि जे हेल्थ इकोनॉमिक्स के PGME में एक अनिवार्य आधार बनाओल जाए - विशेषतः ओहि क्षेत्र में जतए जीवन आ सेवा दुनू कठिनाइ सँ गुजरि रहल अछि।
संदर्भ:
· प्रो० मीनू बाजपेयी, मानद कार्यकारी निदेशक, एनबीईएमएस
· researchgate.net
· pubmed.ncbi.nlm.nih.gov
· journals.lww.com
· pmc.ncbi.nlm.nih.gov
· नीति आयोग बिहार स्वास्थ्य नीति दस्तावेज
· झारखंड स्वास्थ्य मिशन वार्षिक रिपोर्ट 2023–24
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