Saturday 31 August 2019

पोथी के समीक्षा: पपुआ ढपुआ सनपटुआ (मैथिली)


पद्मनाभ जी के हिंदी, अंग्रेजी आ मैथिली ब्लॉग/रचना सब हम विद्यार्थी जीवन सं २००५-०६ से पढ़ैत आबि रहल छी, जखन ओ "आदि यायावर", "बकवासबाज" आदि नाम सं ब्लॉग लिखैत छलाह. फेर "कतेक रास बात" पर सेहो कतेक रास बात कहला. तदुपरांत अपन वेबसाइट पर सेहो अपन शोध के विषय सहित आन आन विषय पर सेहो कतेक बात लिखला. फेर हिनकर एकटा किताब आयल छल "भोथर पेन्सिल स लिखल" दू सै टाका द क ओ किताब पढ़ै में तखन हम सक्षम नै रही आ नै यहां लाइब्रेरी व्यवस्था मैथिली में बनल अछी जे छात्र लोक आ पढ़ै के इच्छुक लोक लाइब्रेरी से किताब पढ़ै

किछु समय पूर्व पद्मनाभ जी के दोसर किताब जे की कथा शैली में लिखल एकटा कथेतर अछी आयल. "पापुआ ढपुआ सनपटुआ". लेखक कहैत छैथ जे ओ ई किताब अपन व्यस्त जीवन सं समय निकली क कइएक बर्ष में लिखलैथ अछी. ई हुनकर अपन भाषा से प्रेम छलैन जे ओ ई किताब मैथिली में लिखलाह नै त ओ किताब अंग्रेजी या हिंदी में सेहो लिखबा में सक्षम छैथ. किएकि लेखक हमर प्रिय व्यक्तित्व छैथ , तैं हम व्यग्रता सं किताब के आश देखैत रही.

किताब उपलब्ध भेला पर जखन हम किताब पढनाइ शुरू केलहुँ, त शुरुआत में कहानी बहुत सपाट लागल, आ हमरा लेखक से जेहन उम्मीद छल कथा औय उम्मीद पर ठाढ़ भेल नै बुझना गेल छल. मुदा आधा कथा के बाद एकदम से कथा में जान आबि जायत अछी आ लगै अछी जे ई पद्मनाभ जी के रचना छैक. अंत भला त सब भला के तर्ज पर कथा के समापन हंसी-ख़ुशी में भ जायत अछी.

यद्यपि कथा के नायक आ नायिका अमोल आ वर्षा छैथ, मुदा हमरा लेखे ई कथा के वास्तविक नायक रंजीत छैथ. वर्षा शहर में रहै वाली पढ़ल लिखल मिथिलानी छैथ, अपना के नवीन सेहो बुझैत छथिन, नव युग के अनुसार सोचे समझै, निर्णय लेब में सक्षम मुदा तखनो समाज के लेल ओ कोनो एस्सेट जेका नै छैथ. आईआईटी से पढ़ल आ पैघ एमएनसी में काज करै बला अमोल में सेहो समाज के आगा ल जाय बला या अपन परिवार के अपन दम पर चला लेबय बला हुनर नै छैन. मुदा एकटा साधारण किसान घर से निकलल आ अपना बूता पर बैंक में ऑफिसर बनल रंजीत समाज के लेल संपत्ति सन छैथ. ओ अपन हिनस्ताय करबा क, बदनाम भ क, दुखित भ के भी नै खाली वर्षा के मन माफिक विवाह होमय दैत छथिन अपितु अपन भाई के करियर बनाब में सेहो अप्रत्यक्ष सहयोग करैत छैथ. ओ ककरो स वैर आ ईर्ष्या भाव नै रखैथ छैथ. क्षमा हुनकर सभसँ पैघ हथियार छैन जेकर प्रयोग सं समय बिटला पर ओ सब के ह्रदय जीति लैत छैथ. समाजक कुरीति सब के खुलि क विरोध करै के सहस रंजीत में छैन्ह, ताहि लेल ओ समाज से कटि के भले रही जाइत छैथ. क्षमा के संग हुनकर व्यक्तित्व बहुत सोझरायल आ सूझ बुझ बला सेहो छैन्ह. जे वर्षा कहियो हिनका दुत्कारने छलीह, समय एला पर ओहि वर्षा के लगभग टूटि चुकल पारिवारिक रिश्ता के ओ अपन सूझ-बुझ से बचा लैत छैथ.

अमोलक बहिन के कथा में बेसी स्थान नै मुदा हिनकर व्यक्तित्व, छोट शहर से देश के प्रतिष्ठित विश्विद्यालय तक के सफर, फेर राजनीती आ ऐ सब के बीच मैथिल समाज के प्रतिकार, आदर्श विवाह के लेल डिटरमिनेशन, हिनकर व्यक्तित्व के मैथिल समाज के परिपेक्ष्य में नायिका के रूप में स्थापित करैत अछी. ओना विवाह नै करै के निर्णय द के पिता के दुखी केनाय हमारा लेखे उचित नै छल,मुदा बाद में विभा सेहो ऐ बात के रियालॉयज केलखिन आ विवाह के लेल तैयार भेली आ भगवती के कृपा आ पिता के ह्रदय से देल आशीर्वाद सं हुनका रंजीत सन वर सेहो भेटलैन.

ओना कथा में इहो बात पर फोकस थीक जे इंजीनियरिंग के पढ़ाई कर वाली भौतिक सुख-सुविधा के आकांक्षी वर्षा होइथ आ की जेे एन यू के शोधार्थी आ क्रांतिकारी विभा, दुनू अपन मनमुताबिक जीवनसाथी के तलाश मैथिले समाज में करैत छैथ. एक बेर हमर एकटा दोस्त (जे बाद में प्रेम विवाह केला) कहने छलाह जे मैथिल लैडका-लैडकी प्रेमो करैत अछी त ई देखिये क जे सामने वाला मैथिल अछी की नै. वास्तव में ई बहुत हद तक ठीको छैक(जे साइत लेखक के सेहो लगैत हेतैन) किएकि बहुत बेसी सामाजिक आ सांस्कृतिक अंतर(जेना खेनाइ-पिनाई-पाबैनि-तिहार-लर-लगन-सर-कुटुम-समाज आदि) भेने परिवार में एडजस्ट केनाइ बेस कठिन भ जाइत अछी. तैं जाती-पाति आदि सं बेसी रहन-सहन(लाइफ-स्टाइल) मैच करब बेसी आवश्यक अछी एकटा परिवार के ढांचा के मजबूत करै में.

विमल के व्यक्तित्व कथा के एकटा पावर-पैकेट चरित्र अछी जे कथा में एकटा नया कोण जोरि दैत अछी. बकौल लेखक, विमल के चरित्र एकटा वास्तविक जीवन के पात्र सं लेल गेल अछि. ओना त कथा के अन्य पात्र सब के सेहो वास्तविक जीवन के बहुत लग अछी आ नब्बे आ दू हजार के दशक में पैघ होइत जेनेरेशन के कहानी अछी, ताहि लेल हम ऐ कथा के कथेतर कहल अछी. विमल के कथा, पाठक के शोणित के प्रवाह बढ़ा देने हेतैन से हमर विश्वास अछी. ई पात्र पाठक के लेल बहुत प्रेरणा दायी सेहो अछी. आ हम आशा करैत छी की ई पात्र कइएक टा युवा के प्रेरणा देतैन.

कथा के भूमिका में लेखक कहैत छैथि जे "कथा के पात्र जेना लगै अछी जे हमारे वास्तविक जीवन के अंग सब अछी, सभसँ कतौ ने कतौ जिनगी में भेंट भेल अछी". हम अपन व्यक्तित्व में सेहो रंजीत आ अमोल के चरित्र सब के मिश्रण देखैत छी. ई बात सेहो हमरा कथा से बानहने रहल.

पोथी के नाम "पापुआ ढपुआ सनपटुआ" किये राखल गेल से हमरा पहिने हे स अनुमान छल किएकि हम लेखक के फॉलो करैत रहै छी, आ ई बात कथा के पात्र रंजीत के मुंह सं ओ बाजी दैत छैथ. मुदा पोथी के कवर डिजाइन हमरा अखन तक स्पष्ट नै भेल, से लेखक से आग्रह जे एकरा स्पष्ट करि.

कथा के संपादन में किछु त्रुटि अवस्से बुझाना जाइत अछी. कथा में कइएक टा पैराग्राफ/कथांश दोहरायल गेल अछी. जकरा सुधार कैल जा सकै छल जै से कथा आरो बेसी कसल बनी सकै छल. किछु मैथिली शब्द में सेहो त्रुटि छैक, खैर "नयी वाली हिंदी" के तर्ज "नया वाला मैथिली" विधा के रचना कहल जा सकै अछी आ लेखक किएकि मूल रूप सं टेक्नोक्रेट छैथ त ई छूट देल जा सकै अछी. किछु प्रिंटिंग त्रुटि सेहो छैक, जै में एकहि शब्द के किछु अंश उपरका लाइन में आ बांकी अगिला लाइन में छैक.

पुस्तक ककरा पढ़ै के चाही: हमारा हिसाब नवतुरिया आ युवा लोक सब के किताब निक लगतैन आ प्रेरक सेहो हेतैन, तैं हिनका सब के किताब पढ़बाक चाहि. किताब पढ़बा के प्रेमी आ अधवयसु आदमी जे अपन जिनगी में स्ट्रगल केलाह तिनको किताब निक लगतैन. मुदा जे किताब में पूर्ण मैथिली साहित्य खोजता तिनका किताब सं निराशा भेंट सकै अछी. कथा के बहुत बेसी ड्रामेटिक सेहो नै बनायल गेल अछी, बेसी फोकस चरित्र सब पर कैल गेल अछी.

छूटल बढ़ल फेर कखनो. पद्मनाभ जी के पोथी के लेल ढेरी-ढाकी शुभकामना . पहिली बेर हम मैथिली किताब ऑनलाइन किनलहुँ अछी आ निक सं भेट गेल ऐ के लेल सेप्पी मार्ट, Mukund Mayank, विकास वत्सनाभ के सेहो बधाई

पुनश्च: ई पोथी हम अपन पीसा के सेहो पढ़ै लेल देने रहियैन जे बड़का पढ़ाक छैथ, हुनकर प्रतिक्रिया छल जे मैथिली में कतेको निक पोथी सब थीक, ऐ कथा में जान नै छौ, साहित्यिक रूप सं बड्ड कमजोर पोथी छौ

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