यह जीवन एक सफर है
सुख-दुख का भँवर है
सबके जीवन की दिशा आलग है
लोग अलग परिभाषा अलग है
पृथक-पृथक हैं उनके भाव
वेश अलग अभिलाषा अलग है।
कोई जीता है स्व के लिए
कोई जीता है अभिनव के लिए
किसी के हृदय मे प्रेम की इच्छा
किसी को है बस जीत का जज्बा
कहीं सांस लेते हैं संस्कार
कहीं किया कुकर्मों ने कब्जा।
कहीं सत्या नन्ही आँखों से
सूर्य का प्रकाश है ढूंढ रहा
कहीं झूठ का काला बादल
मन के सपनों को रुँध रहा।
देखा है मैंने सपनों को जलते
झुलसे मन मे इच्छा पलते
जब मन को मिलता न किनारा
ढूँढे वह तिनके का सहारा।
सपनों की माला की मोती
बिखरे जैसे बुझती ज्योति
आज फिर से जीवन जी लूँ
मन मे यह विश्वास जागा है
धूप-छांव प्रकृति का नियम है
जितना जीवन मिले वो कम है।
आज मैं चाहता हूँ जीना
ना झुकूँ कभी ताने रहूँ सीना
जीवन का मैंने सार है जाना
सुख और दुख दोनों से निभाना ।
(31.01.2008 पुरानी गली)
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